नयी दिल्ली, 20 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका में यह घोषित करने का अनुरोध किया गया है कि उपभोक्ताओं को उत्पादों की गुणवत्ता, शुद्धता और प्रमाणीकरण के अलावा वितरकों एवं विक्रेताओं के विवरण के बारे में जानने का अधिकार है ताकि वे अनुचित प्रतिबंधात्मक व्यापार चलन संबंधी अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें।
याचिका में केंद्र और राज्यों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया है कि प्रत्येक वितरक, व्यापारी और दुकान मालिक प्रवेश द्वार पर नाम, पता, फोन नंबर और कर्मचारियों की संख्या समेत पंजीकरण विवरण एक बोर्ड पर मोटे अक्षरों में प्रदर्शित करें।
यह याचिका सोमवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएगी।
याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि ‘‘जानने का अधिकार’’ उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है ताकि वे उचित विकल्प चुन सकें तथा अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं एवं बेईमानी के कारण होने वाले शोषण से स्वयं को बचा सकें।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘जानने का अधिकार उपभोक्ताओं को ऐसे धोखेबाज या भ्रामक वितरकों, डीलर, व्यापारियों, विक्रेताओं और दुकान मालिकों का शिकार होने से बचाता है जो उत्पाद या सेवा के बारे में गलत जानकारी दे सकते हैं या बिक्री, खरीद और धन के लेन-देन के बाद गायब हो सकते हैं।’’
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सिम्मी प्रशांत
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