कोलंबो, 20 जुलाई (भाषा) श्रीलंका में 2019 ईस्टर संडे आतंकवादी हमलों से संबंधित अनुशासनात्मक जांच के बाद पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
राष्ट्रीय पुलिस आयोग (एनपीसी) ने पूर्व में राज्य खुफिया सेवा (एसआईएस) के प्रमुख के रूप में कार्यरत नीलांथा जयवर्धने को जुलाई 2024 में आंतरिक जांच लंबित रहने तक अनिवार्य अवकाश पर रखा था।
जांच पूरी होने के बाद एनपीसी ने जयवर्धने को सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया।
एनसीपी ने एक बयान में कहा, ‘‘17 जुलाई को आयोजित पुलिस आयोग की बैठक में वरिष्ठ पुलिस उपमहानिरीक्षक नीलांथा जयवर्धने को पुलिस सेवा से तत्काल बर्खास्त करने का आदेश देने का निर्णय लिया गया।’’
आईएसआईएस से जुड़े स्थानीय इस्लामी चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात के आत्मघाती हमलावरों ने 2019 में ईस्टर संडे को श्रीलंका में तीन गिरजाघरों और कई लक्जरी होटलों में विस्फोट किए, जिनमें 11 भारतीयों समेत लगभग 270 लोग मारे गए।
पुलिस आयोग ने 21 मार्च 2024 को जयवर्धने के खिलाफ कर्तव्य के प्रति लापरवाही के लिए अनुशासनात्मक जांच करने का फैसला किया और इसी लापरवाही के कारण ईस्टर संडे पर हमला हुआ।
अनुशासनात्मक जांच की रिपोर्ट पुलिस आयोग को दो सप्ताह पहले प्राप्त हुई थी।
आयोग ने फैसला सुनाया कि आरोपपत्र में लगाए गए सभी आरोपों में जयवर्धने दोषी हैं।
उनपर 7.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है और आदेश दिए गए हैं कि ये राशि पीड़ितों को मुआवजे के रूप में दी जाए।
उच्चतम न्यायालय ने 2023 में फैसला सुनाया कि पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना, पूर्व रक्षा सचिव हेमासिरी फर्नांडो, राष्ट्रीय खुफिया के पूर्व प्रमुख सिसिरा मेंडिस और एसआईएस के पूर्व प्रमुख जयवर्धने ने खुफिया जानकारी पर कार्रवाई करने में विफल रहने के कारण याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया था।
तत्कालीन राष्ट्रपति सिरिसेना को पीड़ितों के परिजन को 10 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।
भाषा यासिर जोहेब
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