scorecardresearch
Thursday, 17 July, 2025
होमराजनीतिपहलगाम हमले के आतंकी पहचान में आए, जल्द मारे जा सकते हैं: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा

पहलगाम हमले के आतंकी पहचान में आए, जल्द मारे जा सकते हैं: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के रूप में 5 साल पूरे होने पर बोलते हुए मनोज सिन्हा ने कहा कि उनका विज़न हमेशा साफ रहा है—शांति खरीदी नहीं जाती, उसे स्थापित किया जाता है.

Text Size:

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को दिल्ली स्थित गांधी स्मृति में अपने कार्यकाल के 5 साल पूरे होने के मौके पर कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शामिल आतंकियों की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उन्हें मार गिराया जाएगा.

हमले के पीछे की मंशा को लेकर उन्होंने कहा, “इस हमले का मकसद सांप्रदायिक तनाव फैलाना, राज्य की शांति और आर्थिक गतिविधियों को बाधित करना था, ताकि पाकिस्तान फिर से आतंकियों के लिए स्थानीय मददगारों की भर्ती शुरू कर सके.”

मनोज सिन्हा ने कहा, “आतंकवाद पाकिस्तान की सरकारी नीति रही है. पाकिस्तान की सोच में आतंक है. 1947 के बाद से वह लगातार जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने की नीति पर काम करता आया है. यह हमला भी पाकिस्तान की सोची-समझी साजिश का हिस्सा था.”

लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि “कश्मीर के लोगों ने सामने आकर यह दिखा दिया कि वो अब आतंकवाद से तंग आ चुके हैं. वे अब शांति और विकास चाहते हैं.”

दो दिन पहले ही उपराज्यपाल ने राज्य को चौंकाते हुए स्वीकार किया था कि पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की मौत “सुरक्षा चूक” का नतीजा थी. उन्होंने कहा, “यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी. मासूम लोगों की जान गई. मैंने इसकी पूरी जिम्मेदारी ली, लेकिन यह सच है कि इसमें सुरक्षा व्यवस्था की कमी रही.”

पाकिस्तान को “मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन” बताते हुए सिन्हा ने कहा कि “दुनिया की बड़ी ताकतों की जिम्मेदारी है कि पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद को खत्म करें. पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अमन नहीं चाहता, लेकिन अब राज्य में बदलाव आ रहा है. लोग समझ चुके हैं कि उनका भविष्य भारत और शांति के साथ जुड़ा है.”

उन्होंने महात्मा गांधी के एक भाषण का ज़िक्र करते हुए कहा, “गांधी जी ने भी जम्मू-कश्मीर में शांति और समृद्धि की बात कही थी. उन्होंने एक बार कहा था कि अगर कायरता और हिंसा में से चुनना हो, तो मैं हिंसा को चुनूंगा. जब पाकिस्तान ने कश्मीर की शांति को बिगाड़ा, तब गांधी जी ने कहा कि हमारी सेना को आगे बढ़ना चाहिए और दुश्मन को हराना चाहिए.”

1924 में गांधी जी ने कहा था, “मेरा अहिंसा का सिद्धांत यह नहीं कहता कि हम खतरे से भाग जाएं और अपने अपनों को असुरक्षित छोड़ दें. कायरता से बेहतर है हिंसा. अहिंसा छोड़ना बहादुरी का सबसे बड़ा रूप है.”

मनोज सिन्हा ने गांधीजी की इन बातों के ज़रिए भारत द्वारा पाकिस्तान पर की गई जवाबी कार्रवाई का ज़िक्र बिना नाम लिए किया. कार्यक्रम में गांधी स्मृति और दर्शन समिति के उपाध्यक्ष विजय गोयल ने कहा, “जैसे गांधी शांति और समृद्धि लाए, वैसे ही आज मोदी जी जम्मू-कश्मीर में वही कर रहे हैं.”

2020 में उपराज्यपाल बनने के बाद की स्थिति का ज़िक्र करते हुए सिन्हा ने कहा, “कश्मीर की अर्थव्यवस्था दोगुनी हो गई है. जम्मू-कश्मीर बैंक जो पहले 1300 करोड़ के घाटे में था, अब 1700 करोड़ के मुनाफे में है. पिछले साल करीब 2.38 करोड़ पर्यटक कश्मीर आए और 5,000 नए होटल बने. यहां 1.5 लाख करोड़ रुपये का हाईवे प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है. बुरहान वानी के गांव में तिरंगा यात्रा निकाली गई.”

उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव शांतिपूर्वक हुए. “एक भी हिंसक घटना नहीं हुई. न गोली चली, न पत्थर फेंका गया. आज लोग नाइटलाइफ का आनंद ले रहे हैं, बच्चे स्कूल जा रहे हैं.”

‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि अगर कोई भारत की तरफ गलत नज़र से देखेगा, तो उसे करारा जवाब मिलेगा.

उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में भारत ने देश में बने ड्रोन्स और हथियारों का उपयोग कर हमला किया. प्रधानमंत्री मोदी ने भी साफ कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है. कोई भी दुस्साहस युद्ध की कार्यवाही मानी जाएगी.

राज्य में सामान्य हालात स्थापित करने की कोशिशों को लेकर सिन्हा ने कहा, पत्थरबाजी अब इतिहास बन चुकी है. पाकिस्तान द्वारा आतंकियों की भर्ती लगभग खत्म हो गई है. पहले 150 स्थानीय लड़कों की भर्ती होती थी, पिछले साल सिर्फ 6 और इस साल केवल 1 मामला सामने आया है. उग्रपंथी सोच का प्रभाव भी लगभग खत्म हो गया है.

उन्होंने कहा कि एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के सख्त रवैये और लोगों की सोच में बदलाव ने राज्य में शांति बहाल करने में अहम भूमिका निभाई है.

अंत में उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370 हटाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी का विज़न था कि राज्य में शांति और समृद्धि आए. मेरा भी साफ मानना है कि शांति खरीदी नहीं जाती, उसे स्थापित किया जाता है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: शहीद दिवस विवाद ने फिर कुरेदे कश्मीर के सबसे गहरे ज़ख्म


 

share & View comments