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Saturday, 12 July, 2025
होमदेशडीजेबी को 1.42 लाख करोड़ रुपये के बकाये बिल का नहीं किया गया है भुगतान: प्रवेश वर्मा

डीजेबी को 1.42 लाख करोड़ रुपये के बकाये बिल का नहीं किया गया है भुगतान: प्रवेश वर्मा

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(सिद्धांत मिश्रा)

नयी दिल्ली, 12 जुलाई (भाषा) दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने शनिवार को कहा कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) अभूतपूर्व वित्तीय संकट से जूझ रहा है और शहर भर में लगभग 1.42 लाख करोड़ रुपये का पानी का बिल लंबित है।

पानी की आपूर्ति का जिम्मा संभालने वाला डीजेबी भारी वित्तीय संकट से जूझ रहा है।

वर्मा ने कहा, ‘‘हमने पाया है कि तीन श्रेणियों में वाणिज्यिक श्रेणी पर सबसे ज़्यादा बकाया राशि 66,000 करोड़ रुपये है, उसके बाद सरकारी श्रेणी पर 61,000 करोड़ रुपये और फिर घरेलू श्रेणी पर 15,000 करोड़ रुपये बकाया है।’’

मंत्री ने कहा कि ये ज्यादातर विलंबित भुगतान अधिभार (एलपीएससी) हैं और सरकार की योजना घरेलू एवं सरकारी श्रेणियों के लिए इसे माफ करने की है।

उन्होंने कहा कि कितना शुल्क माफ किया जाएगा, यह अभी तय नहीं हुआ है।

डीजेबी पर 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज भी है जिसमें मूलधन और ब्याज राशि शामिल है। वह दिल्ली में अपशिष्ट जल के संग्रहण, शोधन और निपटान समेत निकास प्रणाली का प्रबंधन भी करता है।

वर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने विभिन्न सरकारी प्रतिष्ठानों से बकाया राशि वसूलने में सहायता के लिए केंद्र से संपर्क किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने केंद्र से कई सरकारी प्रतिष्ठानों से बकाया बिल वसूलने में भी मदद करने का अनुरोध किया है। बोर्ड को यमुना की सफाई और जल आपूर्ति नेटवर्क के उन्नयन समेत कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए तत्काल धन की आवश्यकता है।’’

सरकारी अनुमान के अनुसार, घरेलू और सरकारी श्रेणियों में एलपीएससी छूट के बाद कम से कम 6,000 से 7,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।

सरकारी भवनों और कार्यालयों के अलावा, निजी स्कूल और अस्पताल जैसे प्रतिष्ठान भी वाणिज्यिक श्रेणी में शामिल हैं।

फिलहाल दिल्ली जल बोर्ड के लगभग 29 लाख पंजीकृत ग्राहक हैं।

वर्मा ने कहा, ‘‘हम एलपीएससी शुल्क माफ करने की योजना बना रहे हैं और यह प्रणाली एक महीने के भीतर तैयार हो जाएगी।’’

अधिकारियों के अनुसार, देर से बिल जमा करने पर उच्च चक्रवृद्धि ब्याज दर (लगभग 18 प्रतिशत) का भी मुद्दा है, जिससे कुल बिल राशि में अत्यधिक वृद्धि होती है।

उन्होंने बताया कि खराब मीटर और मीटर रीडिंग संबंधी समस्याओं से संबंधित उपभोक्ता विवादों को कम करने की दिशा में एक कदम के रूप में, डीजेबी सभी ‘मैकेनिकल वाटर मीटरों’ को स्मार्ट वाटर मीटर से बदलने की भी योजना बना रहा है।

भाषा

राजकुमार वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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