नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की कल होने वाली रिलीज पर बृहस्पतिवार को तब तक के लिए रोक लगा दी, जब तक केंद्र सरकार इस पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं ले लेती।
मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे दो दिन के भीतर अपनी शिकायत केंद्र सरकार से करें।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार से संपर्क करने का कोई रास्ता नहीं अपनाया है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम यह प्रावधान करते हैं कि जब तक पुनर्विचार याचिका के साथ याचिकाकर्ता द्वारा अंतरिम राहत के लिए दायर आवेदन पर सरकार की ओर से फैसला नहीं हो जाता, तब तक फिल्म की रिलीज पर रोक रहेगी।’’
सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायाधीशों से फाइल देखने का आग्रह किया और इसे ‘घृणास्पद’ और ‘सिनेमाई बर्बरता’ करार दिया।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और दारुल उलूम देवबंद के प्रधानाचार्य मौलाना अरशद मदनी द्वारा दायर याचिकाओं सहित, इन याचिकाओं में दावा किया गया है कि 26 जून को जारी हुआ फिल्म का ट्रेलर ऐसे संवादों और घटनाओं से भरा हुआ है जिनसे 2022 में सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा हुआ था और इसमें फिर से वही सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने की पूरी संभावना है।
सिब्बल ने कहा, ‘‘यह देश कहां जा रहा है? यह देश के लिए सही नहीं है। कृपया इस तरह के दुर्भावनापूर्ण काम को सार्वजनिक रूप से न होने दें। यह निश्चित रूप से कला नहीं है। यह सिनेमाई बर्बरता है। राष्ट्रहित में, बिरादरी के हित में कह रहा हूं।’’
उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माता का घृणास्पद भड़काऊ सामग्री बनाने का इतिहास रहा है।
पीठ ने पाया कि निर्माता ने ट्रेलर के साथ वह हिस्सा भी अपलोड कर दिया जिसे हटाने का आदेश दिया गया था।
उसने फिल्म प्रमाणन बोर्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा के इस कथन पर भी गौर किया कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड कानून के तहत आवश्यक कार्रवाई करेगा।
पीठ ने याचिकाकर्ता को सोमवार तक सरकार से संपर्क करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा, ‘‘जब याचिकाकर्ता पुनरीक्षण याचिका दायर करके केंद्र सरकार से संपर्क करेगा, तो सरकार एक सप्ताह के भीतर उस पर विचार करेगी और निर्माता को अवसर देने के बाद ही निर्णय लेगी।’’
उच्च न्यायालय ने 9 जुलाई को निर्माताओं को याचिकाकर्ताओं के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था।
उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल की जून 2022 में कथित तौर पर मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने हत्या कर दी थी।
हमलावरों ने बाद में एक वीडियो जारी किया था जिसमें दावा किया गया था कि यह हत्या दर्जी द्वारा पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादास्पद टिप्पणियों के बाद उनके समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करने की प्रतिक्रिया में की गई थी।
इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने की थी और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अलावा, गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
मुकदमा जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में लंबित है।
भाषा वैभव पवनेश
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