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Thursday, 10 July, 2025
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मंडी में बारिश से तबाही के बीच कंगना ने फिर BJP की मुश्किल बढ़ाई, नड्डा नुकसान की भरपाई में जुटे

मंडी सांसद की शुरुआत में राहत कार्य का जायज़ा लेने में अनुपस्थिति और बाद में दिए गए ‘ना कैबिनेट है, ना फंड’ वाले बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है.

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नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा दिए गए बयान और उनकी गैरमौजूदगी के कारण शुरू हुए विवाद को थामने के लिए भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा एक बार फिर सामने आए हैं. मंडी इस समय बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं से बुरी तरह प्रभावित है.

कंगना रनौत की शुरुआत में अपने संसदीय क्षेत्र से अनुपस्थिति और फिर 6 जुलाई को दौरे के दौरान दिया गया ‘ना कैबिनेट, ना फंड्स’ वाला बयान, राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच नया टकराव बन गया है.

बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और हिमाचल भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल के साथ केंद्रीय मंत्री नड्डा ने मंडी में बारिश से प्रभावित लोगों से मुलाकात की. मंडी सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक है. कंगना इस दौरे में उनके साथ नहीं थीं, जबकि वे स्थानीय सांसद हैं.

विवाद के असर को कम करने के लिए भाजपा ने मंडी में राहत कार्यों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. पूरी राज्य इकाई इसमें जुटी है और ठाकुर इसकी निगरानी कर रहे हैं. नाचन विधायक विनोद कुमार और करसोग विधायक दीप राज को प्रभावित लोगों की मदद की जिम्मेदारी दी गई है. बिंदल भी लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं. नड्डा, जो एक हफ्ते पहले ही अपने पिता के 100वें जन्मदिन के लिए राज्य आए थे, बुधवार को फिर लौटे.

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, इस मानसून में हिमाचल प्रदेश में अब तक 85 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 54 की मौत वर्षा जनित घटनाओं जैसे भूस्खलन, बादल फटना, अचानक आई बाढ़ आदि के कारण हुई है, जबकि 31 की मौत सड़क हादसों में हुई. मंडी जिले में बारिश जनित घटनाओं में अब तक 17 मौतें हो चुकी हैं, साथ ही मवेशियों और संपत्ति का भी भारी नुकसान हुआ है.

विवाद कैसे सामने आया

कंगना रनौत से जुड़ा ताज़ा विवाद जून के आखिरी सप्ताह में कुल्लू और मंडी ज़िलों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के बाद शुरू हुआ, जब उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा नहीं किया और न ही इस मुद्दे पर कोई बयान जारी किया. 2 जुलाई को, एक एक्स पोस्ट के जवाब में जिसमें उनकी आलोचना की गई थी, उन्होंने लिखा, “2-3 दिन पहले मैं #mandiconstituency दौरे पर थी, साफ मौसम में भी मेरी कार पर कई पत्थर और चट्टानें गिरीं, जैसा कि आप देख सकते हैं, शीशे में दरारें आ गईं और कार में कई डेंट आ गए, अभी हिमाचल जाने का समय नहीं है…” इसके साथ ही उन्होंने एक्स यूज़र पर तंज भी कसा.

 

कांग्रेस ने उनके इस बयान को असंवेदनशील बताया और मंडी न जाने के लिए उन्हें घेरा. जब सोशल मीडिया पर यह मामला तूल पकड़ने लगा, तो भाजपा ने तुरंत जयराम ठाकुर को मंडी और उसके गांवों में राहत कार्य का जायज़ा लेने भेजा और तब से वे वहीं डटे हुए हैं. 3 जुलाई को जब स्थानीय मीडिया ने उनसे कंगना की अनुपस्थिति को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा, “जो परवाह नहीं करते, उनके बारे में मैं बात नहीं करना चाहता…”

हालांकि, एक दिन बाद कंगना ने एक्स पर लिखा: “हिमाचल में हर साल इतनी बड़ी बाढ़ की तबाही देखना दिल तोड़ने वाला है, मैंने मंडी के सेराज और अन्य बाढ़ प्रभावित इलाकों तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन माननीय नेता प्रतिपक्ष श्री जयराम ठाकुर जी ने सुझाव दिया कि जब तक सड़क संपर्क और पहुंच बहाल नहीं हो जाती, तब तक रुकना चाहिए…”

कंगना आखिरकार 6 जुलाई को जयराम ठाकुर के साथ मंडी पहुंचीं. सेराज में जब एक स्थानीय निवासी ने उनसे सवाल किया कि क्या वे सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए आई हैं, तो उन्होंने मीडिया से हंसते हुए कहा, “चाहे राहत हो या आपदा खुद, मेरे पास कोई आधिकारिक कैबिनेट नहीं है. मेरे दो भाई हैं जो हमेशा मेरे साथ रहते हैं, वही मेरी कैबिनेट हैं… मेरे पास कोई राहत फंड नहीं है, न ही कोई मंत्री पद है. सांसद का काम संसद तक ही सीमित होता है.”

इस बयान को पार्टी के लिए और शर्मिंदगी वाला माना गया. हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने इस बयान को “हास्यास्पद” बताते हुए कहा, “केंद्र सरकार हर सांसद को पांच करोड़ रुपये देती है, और पांच साल में यह 25 करोड़ रुपये हो जाता है. कंगना इन फंड्स का उपयोग प्रभावित इलाकों में कर सकती हैं, लेकिन वह कह रही हैं कि उनके पास न फंड है, न कैबिनेट… मंत्री बनने की कोई ज़रूरत नहीं है.”

विपक्ष के हमले के बाद, कंगना ने कहा कि कांग्रेस उनसे मुख्यमंत्री और लोक निर्माण मंत्री जैसा काम करने की उम्मीद कर रही है, जो विक्रमादित्य सिंह का इशारा था — जिन्होंने लोकसभा चुनाव में उनके खिलाफ चुनाव लड़ा था और अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सुख्खू की कैबिनेट में पीडब्ल्यूडी मंत्रालय संभाल रहे हैं.

हिमाचल भाजपा के एक नेता ने दिप्रिंट से कहा कि वह “राजनीति के लिए अयोग्य” हैं. “उन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी, उन्होंने खुद कई इंटरव्यू में यह बात मानी है. उन्हें लगा कि राजनीति एक ताकतवर काम है, और उन्हें बॉलीवुड की तरह ताकत और चमक-दमक मिलेगी. लेकिन राजनीति बॉलीवुड नहीं है.”

नेता ने आगे कहा, “लोग लगातार उनके संसदीय क्षेत्र में उनकी गैरमौजूदगी की शिकायत करते हैं, और पार्टी या फिर जयराम ठाकुर को उनकी जगह भरनी पड़ती है क्योंकि यह उनका घरेलू ज़िला है.”

भाजपा मंडी ज़िला अध्यक्ष निहाल चंद ने कहा, “हमने उनसे सांसद निधि (MPLADS) के तहत कुछ गांवों के स्कूलों और सड़कों के लिए कुछ फंड देने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने आपदा से जुड़ा कोई फंड खर्च करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि यह राज्य सरकार का काम है.”

हालांकि, पार्टी के प्रदेश महासचिव राकेश जम्वाल ने उनका बचाव किया और कहा, “वह तब वहां पहुंचीं जब हालात सामान्य हो गए थे, और वैसे भी यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. जहां तक पार्टी की बात है, पूरी पार्टी राहत और बहाली के काम में जुटी हुई है.”

पिछले विवाद

यह पहली बार नहीं है जब कंगना रनौत के बयानों ने बीजेपी को मुश्किल में डाला हो. इस महीने की शुरुआत में यूट्यूब पर प्रसारित एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीति में मजा नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा, “मैं धीरे-धीरे समझ रही हूं, लेकिन ये कहना ठीक नहीं होगा कि मुझे राजनीति में मजा आ रहा है। ये एक अलग ही तरह का काम है, ज़्यादा सामाजिक सेवा जैसा. ये मेरा बैकग्राउंड नहीं रहा है। मैंने कभी लोगों की सेवा करने के बारे में नहीं सोचा था.”

उन्होंने कहा कि लोग उनसे “पंचायत स्तर की समस्याएं” लेकर आते हैं. “मैंने महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी है, लेकिन वो अलग बात है… किसी की नाली टूटी हुई है, और मैं सोचती हूं कि ‘मैं तो सांसद हूं और लोग मुझसे पंचायत स्तर की समस्याएं लेकर आ रहे हैं.’ उन्हें फर्क नहीं पड़ता. जब वे मुझे देखते हैं, तो विधायक जैसी समस्याएं लेकर आ जाते हैं, टूटी सड़कें वगैरह. मैं उन्हें कहती हूं कि ये राज्य सरकार का मुद्दा है, तो वे कहते हैं, ‘आपके पास पैसे हैं, आप अपने पैसे लगाइए.’”

उन्होंने यह भी कहा कि उनमें प्रधानमंत्री बनने का न तो जोश है और न ही इच्छा.  “सामाजिक सेवा कभी मेरा बैकग्राउंड नहीं रही. मैंने बहुत ही स्वार्थी किस्म की जिंदगी जी है। मुझे बड़ा घर चाहिए, बड़ी गाड़ी चाहिए, हीरे चाहिए, मुझे अच्छा दिखना है.”

इससे पहले मई में, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एप्पल के सीईओ टिम कुक से कहा था कि वह भारत में प्रोडक्ट्स नहीं बनवाना चाहते, तो कंगना ने ट्रंप की आलोचना करते हुए एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तुलना की थी.

उन्होंने लिखा था: “इस मोहभंग की क्या वजह हो सकती है? वह अमेरिकी राष्ट्रपति हैं लेकिन दुनिया के सबसे प्यारे नेता भारतीय प्रधानमंत्री हैं। ट्रंप का दूसरा कार्यकाल, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री का तीसरा कार्यकाल. निस्संदेह ट्रंप अल्फा मेल हैं, लेकिन हमारे पीएम तो सब अल्फा मेल के बाप हैं. आपको क्या लगता है? ये व्यक्तिगत जलन है या कूटनीतिक असुरक्षा?”

हालांकि, जे.पी. नड्डा ने उन्हें यह ट्वीट डिलीट करने के लिए कहा, और उन्होंने ऐसा किया, जिसकी जानकारी उन्होंने खुद एक्स पर दी.

पिछले साल हरियाणा में चुनावों के दौरान — जहां किसान आंदोलन एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा रहा है और सिख समुदाय की आबादी 5 प्रतिशत से अधिक है — कंगना ने एक हिंदी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि 2020-2021 के किसान आंदोलन के दौरान “लाशें लटक रही थीं और बलात्कार हो रहे थे”, और यह कि “भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करने की साजिश थी.”

उनके इस बयान ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया, जिससे हरियाणा और पंजाब में बीजेपी नेताओं ने हाईकमान के सामने अपनी नाराजगी जाहिर की. विपक्ष ने उनके बयान को “किसानों का बड़ा अपमान” करार दिया.

इसके अलावा, अगस्त 2024 में उन्होंने तीनों रद्द किए गए कृषि कानूनों को फिर से लाने की मांग की. उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि ये विवादास्पद होगा… लेकिन मुझे लगता है कि जो कृषि कानून रद्द किए गए थे, उन्हें वापस लाया जाना चाहिए. किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए. वे राष्ट्र के विकास की रीढ़ हैं और मैं उनसे अपील करती हूं — अपने ही भले के लिए उस कानून को वापस मांगिए.” हालांकि, पार्टी ने उनके इस बयान से दूरी बना ली थी और उन्हें संवेदनशील मुद्दों पर बोलने से मना किया था.

बाद में, पिछले साल गांधी जयंती पर, उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी में महात्मा गांधी की आज़ादी की लड़ाई में भूमिका को कमतर आंकने जैसा पोस्ट किया. उन्होंने लिखा था: “देश के पिता नहीं, देश के तो लाल होते हैं. धन्य हैं भारत मां के ये लाल,” और इसके साथ पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की तस्वीर साझा की थी, जिनका जन्मदिन भी उसी दिन पड़ता है. इस पोस्ट की पार्टी नेताओं ने आलोचना की थी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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