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Thursday, 10 July, 2025
होमफीचर'हम अपने पैट्स के लिए लड़ेंगे' — कैसे सूरत के NOC ने कुत्ते के मालिकों को उलझन में डाला

‘हम अपने पैट्स के लिए लड़ेंगे’ — कैसे सूरत के NOC ने कुत्ते के मालिकों को उलझन में डाला

हालांकि सूरत भारत का पहला शहर नहीं है जहां पालतू कुत्ते के पंजीकरण के लिए पड़ोसियों से एनओसी की आवश्यकता है, लेकिन यह 10 पड़ोसियों की सहमति अनिवार्य करने वाला पहला शहर है — जो अब तक की सबसे अधिक संख्या है.

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नई दिल्ली: कुत्ता पालने वालों और न पालने वालों के बीच की लड़ाई अब और जटिल हो गई है. सूरत नगर निगम अब चाहता है कि कुत्ता पालने वाले लोग अपने दस पड़ोसियों और हाउसिंग सोसायटी के अध्यक्ष से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लें. यह देश के सबसे सख्त नियमों में से एक है और इसने कुत्ता पालने वालों के लिए एक नया कागजी झंझट और उलझन खड़ा कर दिया है.

इस नियम ने पालतू जानवर पालने वालों और अन्य लोगों के बीच बढ़ती नाराजगी को और गहरा कर दिया है.

सूरत नगर निगम (एसएमसी) के कुत्ता पालन को लेकर बनाए गए नए नियमों से नगर निगम के अधिकारी, पालतू कुत्ता पालने वाले और हाउसिंग सोसायटी के लोग आपस में टकरा रहे हैं.

यह कदम अहमदाबाद में हुई एक दुखद घटना के बाद उठाया गया है, जहां एक पालतू कुत्ते ने चार महीने के बच्चे को मार डाला था. अधिकारियों का कहना है कि सूरत की यह नीति लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, गैर-जिम्मेदाराना ढंग से जानवर पालने पर रोक लगाने और कुत्तों के काटने के मामलों को कम करने के उद्देश्य से लाई गई है.

एसएमसी के मार्केट अधीक्षक दिग्विजय राम ने कहा, “सिर्फ कुत्ता पालना ही नहीं, समाज के प्रति जिम्मेदार होना भी जरूरी है। यह पहल लोगों में जागरूकता बढ़ाएगी.”

नए नियम को लेकर पालतू जानवर प्रेमियों और आम लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है. कुछ लोग इसे जरूरी सुरक्षा कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे जिम्मेदार पालतू जानवर पालकों के अधिकारों का हनन मानते हैं.

“जो कुत्ता हम सालों से पाल रहे हैं, उसके लिए अब किसी की इजाजत क्यों चाहिए?” 33 साल की रश्मि, जो तीन पालतू कुत्तों की मालिक हैं और गृहिणी हैं, ने पूछा. “और जो सरकार या नगर निगम यह नियम बना रही है, क्या उनके पास कोई सुविधा है जहां किसी के त्यागे हुए पालतू जानवर को सुरक्षित रखा जा सके?”

सूरत भारत का पहला ऐसा शहर नहीं है जहां पालतू कुत्तों के रजिस्ट्रेशन के लिए पड़ोसियों से एनओसी ली जाती है, लेकिन यह ऐसा पहला शहर है जहां 10 पड़ोसियों की सहमति अनिवार्य की गई है—जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. 2023 में उत्तराखंड के रुद्रपुर शहर में भी ऐसा ही एनओसी नियम लागू किया गया था. लेकिन रुद्रपुर नगर निगम को विरोध के कारण अपना फैसला वापस लेना पड़ा था.

रुद्रपुर नगर निगम के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “पड़ोसियों की एनओसी की जरूरत को लोगों के विरोध के बाद वापस ले लिया गया था.”

अधिकारी ने बताया कि यह नियम नगर निगम बोर्ड की एक आंतरिक बैठक में खुद ही वापस ले लिया गया था.

‘कोई भी साइन करने को तैयार नहीं’

यह नियम कई लोगों को उलझन में डाल रहा है. सूरत के निवासी नियमों की बारीकियों को समझने और इसे लागू करने में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. सख्त समयसीमा ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. सूरत नगर निगम (SMC) के अनुसार, कुत्ते का पंजीकरण कराने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2025 है.

सूरत की निवासी रश्मि के पास तीन पालतू कुत्ते हैं — 9 साल का लैब्राडोर, 7 साल का शीह-त्ज़ू और 3 साल का गोल्डन रिट्रीवर. जब उन्हें पालतू कुत्तों के पंजीकरण के नए नियम के बारे में पता चला, तो उन्होंने भविष्य में किसी परेशानी से बचने के लिए तुरंत प्रक्रिया शुरू कर दी.

अपने कुत्तों के टीकाकरण प्रमाणपत्रों और अन्य जरूरी दस्तावेजों के साथ रश्मि ने अपनी हाउसिंग सोसायटी के प्रशासन को एनओसी के लिए पत्र लिखा, जो पंजीकरण प्रक्रिया में एक अनिवार्य कदम है.

हालांकि, रश्मि प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा सकीं. सोसायटी अध्यक्ष से उन्हें एक लिखित जवाब मिला जिसमें कहा गया, “हम, सोसायटी की समिति के रूप में, परिसर में कुत्ते रखने के लिए एनओसी जारी करने के लिए अधिकृत नहीं हैं.” दिप्रिंट के पास इस पत्र की एक प्रति है.

रश्मि ने कहा, “एसएमसी ने पालतू कुत्ते के पंजीकरण के लिए सोसायटी प्रशासन और पड़ोसियों से एनओसी मांगा है, लेकिन कोई भी साइन करने को तैयार नहीं है. वे कहते हैं कि यह राज्य सरकार के नियमों या आधिकारिक पंजीकरण दिशानिर्देशों का हिस्सा नहीं है. तो मेरे जैसे व्यक्ति को क्या करना चाहिए?”

सूरत में पालतू पंजीकरण की नई प्रक्रिया पर बोलते हुए पूर्व लोकसभा सांसद और पशु अधिकार कार्यकर्ता तथा पीपल फॉर एनिमल्स (PFA) की संस्थापक मेनका गांधी ने इस नियम की आलोचना करते हुए इसे “कानूनी रूप से दोषपूर्ण” बताया.

“यह नियम सिर्फ ब्लैकमेल की स्थिति पैदा करेगा. पड़ोसी और रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) एनओसी देने के बदले पैसे मांग सकते हैं,” उन्होंने कहा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एसएमसी को यह नियम वापस लेना चाहिए.

गांधी ने एक अहम सवाल उठाया: अगर RWA या पड़ोसी एनओसी देने से इनकार कर दें तो क्या होगा? उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में लोग अपने पालतू जानवरों को सड़कों पर छोड़ने के लिए मजबूर हो सकते हैं.

उन्होंने जोड़ा, “क्या एसएमसी के पास ऐसी स्थिति से निपटने की कोई योजना है, जहां छोड़े गए जानवरों की संख्या बढ़ने लगे? उन्हें कुत्ते के काटने और सार्वजनिक सुरक्षा जैसे असली मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए — न कि ऐसी नीतियां लानी चाहिए जो और अधिक समस्याएं पैदा करें.”

एसएमसी की आम सभा ने 2008 में शहर में पालतू जानवरों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया था। लेकिन शुरुआत में यह नियम केवल बुनियादी पंजीकरण की मांग करता था — जैसा कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद और पुणे जैसे कई शहरों में होता है.

अब, एनओसी नियम लागू कर इस नीति को और सख्त बना दिया गया है.

“सूरत में पुलिस को कुत्ता पालकों के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं, और एफआईआर भी दर्ज की गई हैं,” दिग्विजय राम ने कहा. “इस मुद्दे को सुलझाने के लिए, हमने तय किया है कि कुत्ता पालने वालों को एसएमसी से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा.”

सूरत में कुत्ता पालने का लाइसेंस पाने के लिए अब आवेदकों को कई दस्तावेज जमा करने होंगे, जिनमें आधार कार्ड की प्रति, नवीनतम नगर निगम टैक्स रसीद, और किराए का अनुबंध (यदि लागू हो) शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें स्टांप पेपर पर नोटरी शपथ पत्र, पालतू कुत्ते की साफ तस्वीर, और वैध टीकाकरण प्रमाणपत्र भी देना होगा. सबसे खास बात यह है कि आवेदन के साथ दस पड़ोसियों और हाउसिंग सोसायटी के अध्यक्ष से एनओसी देना जरूरी है — जिससे यह देश की सबसे सख्त पालतू पंजीकरण प्रक्रिया बन गई है.

राम ने कहा, “पूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही लाइसेंस जारी किया जाएगा. अभी तक हमें 300 आवेदन मिले हैं, जिनमें से 150 से अधिक लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं.”

नए नियम पर विभाजित

पालतू जानवर रखने के लिए सूरत में अनिवार्य एनओसी नियम को लेकर उन लोगों की ओर से भी मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है, जिनके पास कोई पालतू जानवर नहीं है.

सूरत की एक हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले 42 वर्षीय ग्राफिक डिज़ाइनर अमृत दयाल ने कहा, “शहरों में अब पालतू जानवरों के मालिक काफी आक्रामक हो गए हैं. आजकल अगर कोई व्यक्ति कोई शिकायत करता है, तो मालिक तुरंत रक्षात्मक और झगड़ालू हो जाते हैं — ऐसा लगता है जैसे उन्हें लोगों से ज़्यादा अपने जानवरों की परवाह है.”

29 वर्षीय आकाश बंसल के पास कोई पालतू कुत्ता नहीं है, लेकिन वे अपनी सोसायटी में किसी को कुत्ता पालने से विरोध नहीं करते. उन्हें जो बात परेशान करती है, वह यह है कि कोई उनके घर आकर अपने कुत्ते के लिए एनओसी साइन करने को कहे — कुछ ऐसा जिससे उनका कोई लेना-देना नहीं है.

बंसल ने कहा, “सूरत में ज़्यादातर हाई-राइज़ बिल्डिंग्स हैं, और ऐसी सोसायटीज़ में लोग अक्सर अपने पड़ोसियों को जानते तक नहीं. तो कोई किसी और के पालतू जानवर के लिए एनओसी क्यों देगा?”

“मैं किसी और के पालतू जानवर के लिए एनओसी क्यों दूं? अगर भविष्य में कुछ हो गया तो मुझे भी उसमें घसीटा जा सकता है?” उन्होंने पूछा. “प्रशासन को ऐसे नियम लागू करने से पहले अच्छी तरह सोचना चाहिए — विशेषज्ञों और निवासियों से सलाह लेनी चाहिए.”

पालतू जानवर रखने वालों ने कहा है कि अगर वे इन बोझिल नियमों की वजह से पंजीकरण प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाते, और इसके कारण उनके पालतू जानवरों पर कोई असर पड़ता है, तो वे इन नए नियमों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. कई कुत्ते पालकों और पशु प्रेमियों ने एसएमसी के इस नए निर्देश के विरोध में एक ऑनलाइन याचिका भी शुरू की है.

पालतू मालिक चिन्मय रॉय ने कहा, “हमारे पालतू जानवर हमारे बच्चों जैसे हैं, और कोई भी अपने बच्चों को ना तो छोड़ सकता है और ना ही ऐसा कोई नियम स्वीकार कर सकता है जो उनके खिलाफ हो. हम अपने पालतू जानवरों के लिए लड़ेंगे, जो हमारे परिवार का हिस्सा हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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