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गुरूवार, 3 जुलाई, 2025
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एमएफडीसी-एमबीपीटी टकराव के कारण कोली समुदाय के समक्ष विस्थापन का खतरा : आदित्य

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मुंबई, तीन जुलाई (भाषा) शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र मत्स्य विकास निगम (एमएफडीसी) और मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (एमबीपीटी) के मध्य लंबे समय से चल रहे विवाद के बीच मुंबई के प्रसिद्ध ससून डॉक पर कोली समुदाय के समक्ष विस्थापन के खतरे पर बृहस्पतिवार को चिंता जताई।

विधानसभा में बोलते हुए ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने और समुदाय को राहत प्रदान करने का आग्रह किया जो एमएफडीसी को नियमित रूप से किराया देने के बावजूद विस्थापन का सामना कर रहा है।

यह विवाद एक दशक से भी अधिक पुराना है और तब शुरू हुआ जब एमबीपीटी ने बेदखली नोटिस जारी कर आरोप लगाया कि एमएफडीसी पट्टा किराया चुकाने में विफल रहा है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद इस मामले को स्थगित कर दिया गया था, लेकिन हाल में नए सिरे से बेदखली नोटिस जारी किए जाने के साथ यह मामला फिर से सामने आया है।

वर्ली से विधायक ने कहा, ‘एमएफडीसी ने एमबीपीटी से जमीन पट्टे पर ली थी और इसे स्थानीय मछुआरों और मछली व्यापारियों को किराए पर दे दिया था।

एमएफडीसी को बकाया राशि का भुगतान करने के बावजूद, समुदाय को अब बेदखली का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि एमएफडीसी द्वारा कथित तौर पर किराया न चुकाए जाने के कारण एमबीपीटी जमीन को पुनः प्राप्त करना चाहता है।’

ठाकरे ने कहा, ‘मछली की पैकिंग, निर्यात और संबंधित व्यापार में शामिल कोली समुदाय और श्रमिक एक बार फिर अनिश्चितता और संभावित विस्थापन का सामना कर रहे हैं। उन्हें बिना किसी गलती के दंडित किया जा रहा है। वे राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के बीच विवाद में फंस गए हैं।’

ठाकरे ने यह भी बताया कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने छत्रपति शिवाजी महाराज मार्केट में मछली विक्रेताओं को अपने परिसर खाली करने के लिए कहा है, जिससे मछली से संबंधित उद्योग पर निर्भर हजारों मराठी और गैर-मराठी परिवारों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को कोली समुदाय को न्याय दिलाने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।

भाषा

नोमान रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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