नई दिल्ली: भारत का मिशन चंद्रयान 2 अपने मुकाम तक नहीं पहुंच सका. आखिरी के कुछ मिनिटों में चंद्रयान दो का संपर्क इसरो मुख्यालय से टूट गया. इसरो चीफ ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर पहले ही विक्रम लैंडर से हमारा संपर्क टूट गया है. सभी वैज्ञानिक फिलहाल आंकड़ो का अध्ययन कर रहे है.
Communication lost with #VikramLander at 2.1 km from Lunar surface. #Chandrayaan2Landing pic.twitter.com/0bM5kJCBGC
— ANI (@ANI) September 6, 2019
चंद्रयान 2 के चंद्रमा की सतह पर उतरने की घटना का साक्षी बनने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी खुद इसरो के सेंटर में वैज्ञानिकों के साथ मौजूद थे. विक्रम से संपर्क टूटने की जानकारी मिलने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने इसरो मुख्यालय में मौजूद वैज्ञानिकों से कहा कि जीवन में उतार चढाव आते रहते है. देश आप पर गर्व करता है. अगर फिर से संपर्क हुआ तो हमे आगे बढने से कोई नहीं रोक सकता है.आप सभी बधाई के पात्र है. देश आप पर गर्व करता है. आगे भी प्रयास जारी रखेंगे. मैं आपके साथ हूं.
India is proud of our scientists! They’ve given their best and have always made India proud. These are moments to be courageous, and courageous we will be!
Chairman @isro gave updates on Chandrayaan-2. We remain hopeful and will continue working hard on our space programme.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 6, 2019
चंद्रयान 2 को 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था. इसका प्रक्षेपण इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 की मदद से किया गया था. दो सितंबर को यान के आर्बिटर से लैंडर को अलग किया गया था. तीन और चार सितंबर को इसकी कक्षा को कम डी आर्बिटिंग करते हुए इसे चांद के नजदीक पहुंचाया गया. इस मिशन को सफल बनाने के लिए इसरों के वैज्ञानिक 10 वर्षों से जुट थे. उन्होंने खुद ही लैंडर और रोवर बनाया है. इस प्रोजेक्ट में करीब 978 करोड़ की लागत आई है.
अब तक 52 प्रतिशत लैडिंग रही सफल
चांद पर गुरुत्वाकर्षण कम है. इसके चलते चांद पर उतराना आसान नहीं है. चंद्रमा पर केवल 52 प्रतिशत सैटेलाइट यान सफल लैडिंग में अभी तक सफल रहे है. अप्रैल माह में इसराइल की एक निजी कंपनी ने एक लैंडर भेजा था. लेकिन, आधे रास्तें में ही उसका संचार संपर्क टूट गया. हालांकि, चीन ने सफलता पूर्वक चांग-4 लैडर सफलतापूर्वक चंद्रमा के दूर वाले हिस्से पर उतारा था. जो हम धरती से कभी देख नहीं सकते है.
चांद पर लंबे समय तक सूर्य की रोशनी नहीं होती है. वहां धरती के दिन के हिसाब से 14 दिन सूर्य की रोशनी आती है और 14 दिन अंधेरा रहता है. वहां का तापमान 130 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर माइनंस 180 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है. क्योंकि वहां लंबे समय तक अंधेरा रहता है इसलिए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सोलर पैनल 14 दिन से ज्यादा काम नहीं कर पाएंगे. इसके बाद इसरों लेडिग के 28 दिनों के बाद यानि जब वापस सूर्य की रोशनी चंद्रमा पर आएगी इसरों विक्रम और प्रज्ञान रोवर को जागृत करने की कोशिश करेगा.
गौरतलब है कि भारत का मिशन चंद्रयान एक 22 अक्टूबर 2008 को पीएसएलवी सी-11 रॉकेट द्वारा श्रीहरिकोटा से भेजा गया था. इसमें 11 उपकरण लगाए गए थे. इस मिशन की अवधि दो साल की थी लेकिन यह 10 माह छह दिन ही सक्रिय हो सका.