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बुधवार, 2 जुलाई, 2025
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केरल : चिकित्सक के मेडिकल उपकरणों की कमी के दावे के बाद राजनीतिक घमासान

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तिरुवनंतपुरम, दो जुलाई (भाषा) तिरुवनंतपुरम में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में शल्य चिकित्सा उपकरणों की कमी के बारे में एक वरिष्ठ सरकारी डॉक्टर द्वारा हाल ही में किए गए खुलासे से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने डॉक्टर पर मुद्दे को ठीक तरीके से पेश नहीं करने का आरोप लगाया है, जबकि कांग्रेस नीत यूडीएफ ने मामला उठाने के लिए उनका समर्थन किया है।

हालांकि, इस मुद्दे पर एलडीएफ खेमे में मतभेद देखा गया। माकपा की सहयोगी भाकपा के प्रदेश सचिव बिनॉय विश्वम ने कहा कि डॉ. हैरिस चिरक्कल द्वारा उठाए गए मुद्दों के पीछे कोई गलत इरादा नहीं था।

विश्वम ने कहा, ‘‘उन्होंने इस मुद्दे को इस अच्छे इरादे से उठाया कि चीजें बेहतर तरीके से चलनी चाहिए।’’

दूसरी ओर, उनकी पार्टी के सहयोगी और राज्य नागरिक आपूर्ति मंत्री जी आर अनिल ने कहा कि इस मुद्दे को उजागर करने के कई तरीके थे, लेकिन डॉक्टर द्वारा उठाया गया कदम खेदजनक है क्योंकि इसने विपक्ष को वामपंथी सरकार पर हमला करने का अवसर दे दिया।

माकपा के प्रदेश सचिव एम वी गोविंदन और राज्य मत्स्य पालन मंत्री साजी चेरियन ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए। गोविंदन ने कहा कि मुद्दों को उचित तरह से उठाया किया जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो इसके लिए आलोचना का सामना करना पड़ेगा।

उन्होंने यह बयान मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की एक दिन पहले की टिप्पणी का बचाव करते हुए दिया, जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा था कि डॉक्टर द्वारा मुद्दे को गलत तरीके से उठाए जाने से अनजाने में व्यापक तौर पर गलत तस्वीर पेश हो सकती है।

चेरियन ने कहा कि डॉ. चिरक्कल ने जो किया वह उनके पद के अनुरूप नहीं था।

कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने डॉक्टर का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें सच बोलने के लिए धमकाया या डराया नहीं जाना चाहिए।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने आरोप लगाया कि विजयन और गोविंदन की टिप्पणियों का लहजा दूसरों को बोलने से रोकने के लिए धमकाने की तरह था।

उन्होंने कहा कि डॉक्टर चिरक्कल ने जिन उपकरणों की कमी बताई थी, उन्हें मुद्दा उठाए जाने के तुरंत बाद उपलब्ध करा दिया गया। विपक्षी नेता ने दावा किया, ‘‘इससे पता चलता है कि उन्होंने जो कहा वह सच था।’’

इससे पहले दिन में, डॉक्टर चिरक्कल ने कहा कि उनके द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शल्य चिकित्सा उपकरणों की कमी और सर्जरी में देरी के मुद्दों को सार्वजनिक रूप से उजागर करने के बाद इनका त्वरित समाधान किया गया।

तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉ. चिरक्कल ने यह भी सवाल उठाया कि क्या विवाद पैदा करना ही ऐसे मुद्दों को सुलझाने का एकमात्र तरीका है।

उन्होंने हाल में फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा था कि आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की कमी के कारण सर्जरी टल रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि अधिकारियों द्वारा बार-बार दिए गए आश्वासन के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पाया है, जिससे मरीजों को समय पर उपचार न मिलने के कारण गंभीर पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है।

बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि एक उपकरण से संबंधित फाइल करीब दो महीने से कलेक्ट्रेट में लंबित थी, लेकिन उनके फेसबुक पोस्ट के बाद इस पर तेजी से काम हुआ।

चिरक्कल ने बताया कि उनके खुलासे के सिलसिले में चल रही जांच के बीच अस्पताल में एक और उपकरण पहुंचा दिया गया है।

डॉ. चिरक्कल ने पूछा, ‘‘जब मैंने यह मुद्दा उठाया तो ये इतनी जल्दी कैसे हल हो गए? महीनों तक देरी होने के बाद ये चीजें इतनी तेजी से कैसे आगे बढ़ीं? तो, चीजें तभी हल होंगी जब कोई मुद्दा बनाया जाएगा?’’

साथ ही, उन्होंने स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री विजयन की बात सही है कि इस तरह के खुलासे को गलत तरीके से उजागर करने पर अनजाने में बड़े पैमाने पर छवि खराब हो सकती है।

विजयन ने कन्नूर में एक कार्यक्रम में एक दिन पहले कहा था, ‘‘वह (चिरक्कल) एक ईमानदार सरकारी कर्मचारी हैं, भ्रष्टाचार से मुक्त हैं और अपने कर्तव्य के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, अब वह अनजाने में भारत में सबसे अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को गलत तरीके से पेश करने का कारण बन गए हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि उनका इरादा ऐसा था या नहीं। फिर भी, यह घटना हम सभी के लिए एक सबक होनी चाहिए।’’

डॉ. चिरक्कल ने कहा कि मुख्यमंत्री की टिप्पणियों के बावजूद वह उनका काफी सम्मान करते हैं।

इस बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के मुखपत्र ‘देशाभिमानी’ के संपादकीय में कहा गया कि चिकित्सक ने जो कहा, उससे काफी गलतफहमी पैदा हुई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत हस्तक्षेप किया और मामले को सुलझा लिया।

इसमें कहा गया है कि इस स्थिति के कारणों की जांच करने तथा भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से रोकने के लिए कदम सुझाने हेतु एक समिति गठित की गई है।

संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि विपक्ष यह खबर फैलाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहा है कि राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में समस्याएं हैं।

भाषा शफीक नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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