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बुधवार, 2 जुलाई, 2025
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राजस्थान: तीन बाघों की हड्डियां मिलने से रणथंभौर में शिकार को लेकर चिंताएं बढ़ीं

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जयपुर, दो जुलाई (भाषा) शिकारियों के एक अंतरराज्यीय गिरोह द्वारा मारे गए तीन बाघों के रणथंभौर बाघ अभयारण्य (आरटीआर) से होने की आशंका के बाद राजस्थान के इस विख्यात अभयारण्य में शिकार को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने मध्य प्रदेश की ‘स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स’, राजस्थान वन विभाग और सवाई माधोपुर के एक गैर सरकारी संगठन ‘टाइगर वॉच’ के एक संयुक्त अभियान के बाद यह खुलासा हुआ। इसके तहत छह शिकारियों को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार शिकारियों में तीन राजस्थान से हैं।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार पांच जून को मध्य प्रदेश के श्योपुर के पास बाघों की हड्डियों के 225 से अधिक टुकड़े जब्त किए गए थे।

गिरफ्तार किए गए लोगों में राजस्थान के दौसा के निवासी दाऊजी भील और सुनीता दाऊजी और मध्य प्रदेश के श्योपुर के बेस्ता भील शामिल हैं। इनके पास बाघों की खोपड़ी और हड्डियां मिलीं। मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों ने शिवपुरी से बानीराम मोघिया और नरेश तथा राजस्थान के टोंक निवासी राजाराम मोघिया को भी पकड़ा।

एक आधिकारिक संवाद में मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों ने राजस्थान से रणथंभौर के बाघों की डीएनए प्रोफाइल साझा करने को कहा है ताकि जब्त किए गए अवशेषों से इनका मिलान किया जा सके।

राजस्थान वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें पत्र मिला है और समुचित परख के बाद जवाब दिया जाएगा। हमारी टीम इस पर सक्रियता से काम कर रही हैं।’

रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप के आर ने राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन को एक रिपोर्ट भेजी है। इसमें कहा गया है, ‘कुछ हड्डियां, बाघ की होना पाया गया है। ये हड्डियां किसकी हैं, यह पता लगाने के लिए आगे की जांच हेतु मध्य प्रदेश और राजस्थान वन विभागों की संयुक्त टीम समन्वय में काम कर रही है।’

मध्य प्रदेश के जबलपुर में डीएनए परीक्षण से पुष्टि हुई कि जब्त किए गए अवशेष तीन बाघ और एक तेंदुए के हैं। नमूनों को रणथंभौर के बाघ डेटाबेस के साथ मिलान के लिए राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र (एनसीबीएस) बेंगलुरु भेजा गया है। वन अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट तीन सप्ताह में आने की उम्मीद है।

सूत्रों के अनुसार यह शिकार चंबल के राजस्थान की ओर वाले इलाके में होने का संदेह है। सूत्रों ने बताया कि जांच में पता चला है कि करीब छह महीने पहले एक बाघ और होली के आसपास एक तेंदुआ मारा गया था। सूत्रों ने बताया कि ये दोनों घटनाएं राजस्थान में होने की आशंका है।

वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने मांग की है। उन्होंने इस शिकार को ‘संगठित अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क’ की करतूत बताया है।

उन्होंने कहा, ‘चूंकि केवल राजस्थान के बाघ ही कुनो-माधव-रणथंभौर कॉरिडोर का उपयोग करते हैं, इसलिए ये मौतें बहुत बड़े शिकार रैकेट की ओर इशारा करती हैं जिसकी गहन जांच होनी चाहिए।’

राजस्थान वन विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि जून 2022 और मई 2024 के बीच रणथंभौर के पांच बाघ – टी79, टी131, टी138, टी139 और टी2401 – संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गए। लापता बाघों में 3-12 वर्ष की आयु की दो मादा बाघ और तीन नर बाघ शामिल हैं।

वन अधिकारियों ने कहा कि यदि डीएनए परीक्षण से यह पुष्टि हो जाती है कि जब्त किए गए अवशेष रणथंभौर के लापता बाघों के हैं तो इससे न केवल संरक्षित क्षेत्रों से बाहर भटकने वाले बाघों पर मंडराता खतरा सामने आएगा बल्कि अवैध शिकार के खिलाफ अंतरराज्यीय तालमेल की आवश्यकता भी सामने आएगी।

भाषा पृथ्वी

अमित

अमित

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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