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Wednesday, 16 July, 2025
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ठाकरे स्मारक पर सरकार के फैसले में दखल देने से उच्च न्यायालय का इनकार

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मुंबई, एक जुलाई (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई स्थित महापौर के बंगले को शिवसेना संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के स्मारक में बदलने के फैसले में दखल देने से मंगलवार को इनकार कर दिया।

अदालत ने कहा कि इस मामले में नीतिगत निर्णय को चुनौती देने का कोई वैध आधार नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि वह योजना विशेषज्ञों द्वारा लिये गए निर्णय पर अपीलीय प्राधिकारी के रूप में काम नहीं कर सकती, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां योजना मानदंडों का ‘घोर उल्लंघन’ हुआ हो।

पीठ ने कहा, “आखिरकार, केवल इमारत का नाम ‘महापौर बंगला’ से ‘बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक’ ही किया गया है।”

पीठ ने कहा कि स्मारक बनाने का निर्णय एक नीतिगत निर्णय है और वह इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी।

अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि स्मारक का कार्य अब लगभग पूरा हो चुका है और महापौर बंगले की भव्य संरचना को यथावत रखते हुए उसकी विरासत के गौरव को कायम रखा गया है।

पीठ ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि उसे राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने का कोई वैध आधार नहीं मिला।

शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे का निधन नवंबर 2012 में हुआ था।

वर्ष 2017 में दायर याचिकाओं में शिवाजी पार्क स्थित महापौर बंगले को बाल ठाकरे स्मारक में बदलने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी।

याचिकाओं में स्मारक के निर्माण कार्य के लिए गठित सरकारी ट्रस्ट ‘बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक समिति’ के न्यासी बोर्ड में राजनीतिक दल के सदस्यों और परिवार के सदस्यों को शामिल करने को भी चुनौती दी गई है।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि उसे शिवसेना पार्टी के तीन सदस्यों और ठाकरे परिवार के दो सदस्यों को न्यासी बोर्ड का हिस्सा बनाने के सरकार के फैसले में कोई मनमानी नहीं दिखती।

भाषा

राखी सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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