scorecardresearch
शुक्रवार, 4 जुलाई, 2025
होमदेशविधायिकों को अधिक कुशल बनाने के लिए एआई जैसी प्रौद्योगिकी का हो इस्तेमाल : बिरला

विधायिकों को अधिक कुशल बनाने के लिए एआई जैसी प्रौद्योगिकी का हो इस्तेमाल : बिरला

Text Size:

(तस्वीर के साथ)

धर्मशाला, 30 जून (भाषा)लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को संसाधन प्रबंधन, लोकतंत्र की रक्षा और कृत्रिम मेधा (एआई) जैसे नवाचारों को अपनाकर विधायिका को अधिक कुशल बनाने का आह्वान किया।

बिरला ने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए)भारत क्षेत्र के द्वितीय जोन के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राज्य विधायिकाओं से लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाने, विधायी कार्यों की दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने तथा अपने निर्वाचन क्षेत्रों की चुनौतियों और आकांक्षाओं का बेहतर ढंग से समाधान करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं, नवाचारों और प्रौद्योगिकी को साझा करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि संसद संसदीय कार्य में दक्षता बढ़ाने के लिए एआई जैसे तकनीकी नवाचारों का व्यापक रूप से उपयोग कर रही है।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद सचिवालय पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन को बढ़ावा देने के लिए राज्य विधानसभाओं के साथ इन नवीनतम तकनीकी प्रगति को साझा करने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि एआई और अन्य डिजिटल उपकरणों के उपयोग से जनता और विधायी निकायों के बीच की खाई को पाटा जा सकता है, जिससे शासन अधिक उत्तरदायी और पारदर्शी बन सकता है।

बिरला ने रेखांकित किया कि संसाधनों का प्रभावी उपयोग, सकारात्मक बहस और सुविचारित चर्चाएं न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाती हैं, बल्कि विधायकों और विधायिकाओं की छवि को भी निखारती हैं। उन्होंने कहा कि नवाचारों को साझा करना और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना लोकतांत्रिक शासन को आगे बढ़ाने की कुंजी है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘एक राष्ट्र, एक विधान मंच’ पहल का उल्लेख करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी राज्य विधानमंडलों को जोड़ने वाला एक एकीकृत डिजिटल मंच जल्द ही वास्तविकता बन जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस तरह के मंच से विधायी बहस, बजट चर्चा और कानून बनाने की प्रक्रिया सुचारू होगी तथा राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा।

राज्य विधानसभाओं के साथ अपनी तकनीकी प्रगति को साझा करने की संसद की जिम्मेदारी को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि इससे संघीय ढांचे के सभी स्तरों पर सुशासन और जवाबदेही को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

उन्होंने ग्राम पंचायतों से लेकर नगर पालिकाओं और राज्य विधानसभाओं तक निर्वाचित निकायों से संवाद, नवाचार और उत्कृष्टता का केंद्र बनने का आह्वान किया और कहा कि ‘‘रचनात्मक संवाद संस्थाओं को सशक्त बनाता है जो आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के लिए अहम है’’।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, राज्य विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर, राज्य के संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

भाषा धीरज नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments