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बुधवार, 25 जून, 2025
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गणतंत्र का सबसे काला अध्याय, लोकतंत्र के सभी स्तंभों पर हमला किया गया: वैष्णव ने आपातकाल पर कहा

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नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को आरोप लगाया कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के सभी चार स्तंभों पर हमला किया गया।

वैष्णव ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग आज संविधान की प्रति लेकर चलते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि उनकी अपनी पार्टी ने उस काले दौर में प्रेस को सेंसर किया था और राष्ट्र की आवाज को दबाया था।

दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘‘भारत लोकतंत्र की जननी है, लेकिन ठीक 50 वर्ष पहले इस लोकतंत्र को गहरा झटका लगा था। देश में आपातकाल घोषित कर दिया गया था। वह दौर हमारे गणतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय है।’’

संस्कृति मंत्रालय ने 25 जून, 1975 को आपातकाल लागू होने के 50 वर्ष पूरे होने पर त्यागराज स्टेडियम में ‘संविधान हत्या दिवस’ का आयोजन किया।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान 21 मार्च, 1977 को आपातकाल हटाए जाने से पहले 21 महीने की अवधि के दौरान की गई प्रेस सेंसरशिप पर प्रकाश डाला।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए वैष्णव ने सेंसरशिप के विरोध में 28 जून, 1975 को अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ द्वारा संपादकीय पृष्ठ को ‘रिक्त’ छोड़ दिये जाने की एक तस्वीर भी दिखाई।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘आपातकाल के 21 महीनों में लोगों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया, लोकतंत्र के सभी चार स्तंभों पर हमला किया गया, न्यायपालिका की निष्पक्षता पर अंकुश लगाया गया, विधायिका को ‘रबर स्टैंप’ में बदल दिया गया, कार्यपालिका को भी दबाया गया और मीडिया की कलम तोड़ दी गई एवं प्रेस की स्वतंत्रता को कुचल दिया गया।’’

सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि लेकिन कुछ ‘‘साहसी योद्धा’’ भी थे जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए उस तानाशाही का मुकाबला किया।

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘जो लोग आज संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि यह उनकी अपनी पार्टी का काम था, जिसका मुकाबला मीडिया ने संपादकीय पृष्ठ रिक्त छोड़कर किया।’’

भाषा शफीक माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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