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शुक्रवार, 4 जुलाई, 2025
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बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती, मौलिक अधिकारों के हनन का दावा

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बेंगलुरु, 24 जून (भाषा) दो बाइक मालिकों ने मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख करते हुए हाल ही में एकल न्यायाधीश के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें राज्य में बाइक टैक्सियों के संचालन पर प्रतिबंध लगाया गया था।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि कोई मेट्रो या बस की बजाय बाइक टैक्सी को चुनना चाहे, तो यह उसका मौलिक अधिकार है और राज्य इसका उल्लंघन नहीं कर सकता।

वरिष्ठ अधिवक्ता ध्यान चिन्नप्पा ने बाइक मालिकों की ओर से तर्क दिया कि प्रतिबंध का न केवल मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों से विरोधाभास है, बल्कि इससे उनकी आजीविका और सार्वजनिक सुविधा दोनों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति सी एम जोशी की खंडपीठ के समक्ष पेश हुए चिन्नप्पा ने तर्क दिया कि मोटर वाहन अधिनियम दोपहिया वाहनों को परिवहन वाहन के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति देता है। इसलिए, राज्य सरकार कानूनी रूप से टैक्सी उपयोग के लिए बाइक को अनुबंध वाहन परमिट जारी करने से इनकार नहीं कर सकती है।

जब पीठ ने पूछा कि क्या अन्य राज्यों में बाइक टैक्सी बिना किसी समस्या के चल रही हैं, तो महाधिवक्ता ने जवाब दिया कि कुछ राज्य एग्रीगेटर के तहत सीमित संख्या में उन्हें अनुमति देते हैं, लेकिन कोई भी राज्य शर्तों के बिना परमिट नहीं देता है।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 25 जून को निर्धारित की।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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