कोच्चि, 18 जून (भाषा) नौवहन महानिदेशालय (डीजीएस) ने बुधवार को बताया कि पिछले महीने केरल तट पर डूबे लाइबेरियाई ध्वज वाले पोत से तेल निकालने में मानसून की मौजूदा चरम स्थिति और अभियान में इससे जुड़े जोखिमों के कारण और अधिक समय लगेगा।
डीजीएस ने बताया कि मौसम की मौजूदा स्थिति के कारण अभियान चलाने के लिए बहुत कम और खंडित समय मिल पा रहा है जो तेल को ‘‘स्थिर एवं सुरक्षित’’ तरीके से निकालने के लिए उपयुक्त नहीं है।
उसने कहा कि जिस पोत नंद सारथी से तेल निकालने के लिए संतृप्ति गोताखोरी अभियान चलाए जाने हैं वह प्रतिकूल समुद्री परिस्थितियों के कारण कोच्चि बंदरगाह पर ही है।
संतृप्ति गोताखोरी (सैचुरेशन डाइविंग) एक विशेष प्रकार की गोताखोरी तकनीक है, जिसमें गोताखोर लंबे समय तक एक ही गहराई पर रहकर काम कर सकते हैं।
डीजीएस ने कहा, ‘‘मौसम में सुधार होने पर यह पोत मलबे वाली जगह पर जाएगा। तेल प्राप्त करने के लिए नंद सारथी पर लगे उपकरण को अगले चरण के लिए केनरा मेघ को सौंपा जाना है। सभी सहायक उपकरण एवं गैस उपलब्ध हैं और नए ठेकेदार के कार्यभार संभालने के बाद उन्हें तैनात किया जाएगा।’’
उसने कहा कि जिस सीमैक III पोत से गोताखोर डूबे हुए जहाज में तेल रिसाव को बंद करने का काम कर रहे थे, उसे वहां से हटा दिया गया है तथा रिसाव के सभी बिंदुओं को बंद करने के बाद वह मुंबई रवाना हो गया है।
डीजीएस ने कहा कि भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने प्रदूषण निगरानी प्रणाली (पीएसएस) से लैस डोर्नियर विमान से हवाई उड़ानें भरी हैं ताकि यदि तेल रिसाव हुआ है तो उसका पता लगाया जा सके।
उसने कहा, ‘‘मलबे वाली जगह से लगभग 60 समुद्री मील की दूरी तक तेल रिसाव का कोई निशान नहीं देखा गया है। स्थिति पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त उड़ानें भी भेजे जाने की योजना है।’’
इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय टैंकर मालिक प्रदूषण संघ (आईटीओपीएफ) की उपग्रह तस्वीरों की प्रतीक्षा की जा रही है, ताकि यह पुष्टि की जा सके कि क्या तटरेखा और अपतटीय क्षेत्र में तेल के कोई निशान हैं या नहीं।
डीजीएस ने कहा कि इसलिए बचाव कार्य नए ठेकेदार के कार्यभार संभालने तक फिलहाल केवल देखभाल चरण में है।
सफाई अभियान के संबंध में डीजीएस ने कहा कि जहाज से बहकर किनारे पर आए प्लास्टिक के अवशेषों का प्रबंधन और निपटान चिंता का विषय बना हुआ है।
लाइबेरियाई कंटेनर पोत – एमएससी एल्सा 3 कोच्चि तट के पास 24-25 मई को डूब गया था। यह 640 कंटेनर के साथ डूबा, जिसमें 13 खतरनाक कार्गो और 12 कैल्शियम कार्बाइड वाले कंटेनर थे।
रक्षा मंत्रालय ने बताया था कि कंटेनर पोत में 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन ‘फर्नेस ऑयल’ भी भरा हुआ था।
भाषा
सिम्मी मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.