कोलकाता, 26 मई (भाषा) पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने दोबारा भर्ती परीक्षाओं में न बैठने की सोमवार को घोषणा की और कहा कि वे अपना आंदोलन राष्ट्रीय राजधानी तक ले जाएंगे।
उच्चतम न्यायालय ने तीन अप्रैल को राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त विद्यालयों के 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को अमान्य करार देते हुए उनकी सेवाएं समाप्त करने का आदेश दिया था।
योग्य शिक्षक अधिकार मंच के सदस्य वृंदावन घोष ने कहा, “आने वाले दिनों में शहर में विरोध प्रदर्शन जारी रखने के अलावा हम देश को उन हजारों योग्य शिक्षकों के साथ हुए अन्याय के बारे में बताना चाहते हैं, जिन्होंने अपनी योग्यता के आधार पर 2016 में एसएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।”
उन्होंने कहा, “अभ्यर्थियों के एक वर्ग द्वारा की गई गलती के लिए बेदाग शिक्षकों को दंडित क्यों किया जाना चाहिए? उपलब्ध ‘ओएमआर शीट’ का उपयोग ‘दागी’ और ‘बेदाग’ के बीच अंतर करने के लिए क्यों नहीं किया जा सकता है?”
घोष, उस छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जिसने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव विनोद कुमार और सचिव शुभ्रा चक्रवर्ती से मुलाकात की।
घोष ने जोर देकर कहा, “2016 में पश्चिम बंगाल कर्मचारी चयन आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती परीक्षाओं के लिए इतनी कठिन तैयारी और नौकरियों के लिए योग्य माने जाने के बाद हम किसी भी नयी परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं।”
उन्होंने कहा, “अगर चंद प्रतिशत लोग ही अवैध गतिविधियों में शामिल थे, तो हर योग्य उम्मीदवार को क्यों दंडित किया जाना चाहिए?”
घोष ने कहा, “हम पूरी विनम्रता के साथ राज्य सरकार से फिर आग्रह करते हैं कि वह सुनिश्चित करे कि लगभग 26,000 अभ्यर्थियों की प्रत्येक ओएमआर शीट की जांच कर दागी लोगों को चिन्हित किया जाए।”
मंच के एक अन्य सदस्य हबीबुर रहमान ने कहा, “भले ही पिछली सुनवाई में इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की पीठ और राज्य के बीच गलतफहमी हुई हो, लेकिन अब हम विनम्रतापूर्वक न्यायालय से मानवीय दृष्टिकोण से हमारी स्थिति पर विचार करने का आग्रह करते हैं।”
रहमान ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि न तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और न ही शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने उनकी मांगों को सुनने के लिए उनके साथ बैठकर बात की।
उन्होंने कहा, “शिक्षा विभाग के दोनों (प्रधान सचिव और सचिव) शीर्ष अधिकारियों ने हमारी स्थिति के बारे में अपनी सहानुभूति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे हमारे रुख के बारे में सरकार से बात करेंगे।”
रहमान ने कहा, “लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिन्हें केवल मंत्री स्तर पर ही सुलझाया जा सकता है। हम कल (मंगलवार) तक शिक्षा मंत्री को एक नया ईमेल भेजकर आमने-सामने चर्चा का अनुरोध करेंगे।”
उच्चतम न्यायालय द्वारा एसएससी को 2016 की भर्ती के संबंध में 31 मई तक नई अधिसूचना जारी करने के निर्देश के बारे में पूछे जाने पर घोष ने जवाब दिया, “हम कोई नई अधिसूचना नहीं चाहते हैं। सरकार को माननीय न्यायाधीशों को हमारी स्थिति से अवगत कराने के लिए कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करना चाहिए। हम प्रार्थना करते हैं कि राज्य सरकार न्यायालय के समक्ष बेदाग अभ्यर्थियों के नामों वाले एक नए पैनल के गठन की बात रखे।”
इससे पहले योग्य शिक्षक अधिकार मंच के सदस्यों ने सॉल्ट लेक स्थित शिक्षा विभाग के मुख्यालय विकास भवन में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के साथ दो घंटे तक बैठक की।
प्रतिनिधिमंडल ने बातचीत के परिणाम के बारे में कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई और मीडिया से उनकी आधिकारिक प्रतिक्रिया के लिए कुछ इंतजार करने को कहा।
यह पूछे जाने पर कि क्या बातचीत को ‘सकारात्मक’ कहा जा सकता है, मंच के सदस्य चिन्मय मंडल ने कहा, ‘‘हम ऐसा नहीं कह सकते। चर्चा के दौरान कई मुद्दे सामने आए। सरकार ने अपने विचार व्यक्त किए और स्पष्ट किया कि वह वर्तमान स्थिति में क्या कर सकती है और क्या नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम आपस में चर्चा करेंगे और फिर जल्द ही अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया देंगे। तब तक हम कुछ नहीं कह सकते।’’
प्रदर्शनकारी शिक्षक विकास भवन के पास कई दिनों से धरना दे रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उन्हें बहाल किया जाए। उन्होंने शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार नयी भर्ती परीक्षा में भाग लेने से भी इनकार कर दिया।
भाषा जितेंद्र माधव
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