नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी का मार्ग प्रशस्त करने वाले उच्च न्यायालय से रिटायर न्यायाधीश सुनील गौर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट अपील अधिकरण (एटीपीएमएलए) के अध्यक्ष बना दिए गए हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश इस पद पर 23 सितंबर को पदभार ग्रहण करेंगे. दिप्रिंट को टॉप ट्रिब्यूनल के सूत्र ने बताया कि वह एटीपीएमएलए के मौजूदा अध्यक्ष न्यायाधीश मनमोहन सिंह के सेवानिवृत्त होने के एक दिन बाद पदभार ग्रहण करेंगे.
दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी सेवाएं दे चुके जस्टिस सुनील गौर ने अपने रिटायर होने से पहले ही पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की गिरफ्तारी का रास्ता साफ कर दिया था. जिसके बाद उन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट अपील अधिकरण का चेयरमैन नियुक्त किया गया है.
हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस मनमोहन सिंह का बतौर अधिकरण का चेयरमैन का कार्यकाल 22 सितंबर को खत्म हो रहा है. ट्रिब्यूनल के सूत्र ने दिप्रिंट को जानकारी दी है कि सुनील गौर 23 सितंबर को अपना कार्यकाल संभालेंगे. जस्टिस गौर ने अपने अंतिम आदेश में चिदंबरम की आईएनएक्स मीडिया मामले में अंतरिम राहत की याचिका खारिज कर दी थी.
दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस गौर ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर चल रहे नेशनल हेराल्ड मामले में भी जांच के आदेश दिए थे. गौर को अप्रैल 2008 में हाई कोर्ट का जस्टिस नियुक्त किया गया था. 11 अप्रैल 2012 को उनकी नियुक्ति स्थाई की गई थी.
पिछले साल 2018 में जस्टिस गौर ने कांग्रेस के मुख्यपत्र नेशनल हेराल्ड के पब्लिशर एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेग को आईटीओ स्थित दफ्तर खाली करने का आदेश दिया था. जस्टिस गौर के इस फैसले को हाई कोर्ट के डिविशन बेंच ने भी सही ठहराया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. अभी भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. जस्टिस गौर हाई प्रोफाइल मामलों की सुनवाई से जुड़े रहे हैं.
उन्हें भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों पर महारत हासिल हैं. विवादित मीट निर्यातक मोइन कुरेशी मामले की सुनवाई भी जस्टिस गौर ही कर रहे थे.
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पी चिदंबरम मामले की सुनवाई करने में जस्टिस गौर मुख्य व्यक्ति थे. जिसमें उन्होंने जमानत याचिका खारिज कर दी थी. हाई कोर्ट से रिटायर होने के बाद गौर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट अपील अधिकरण के चेयरमैन की भूमिका निभाएंगे.
पिछले बुधवार रात सीबीआई द्वारा गिरफ्तार होने के बाद कांग्रेस नेता चिदंबरम ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी.
गौर का कैरियर
दिल्ली में अपनी कानूनी सेवा के दौरान जस्टिस गौर ने कई जगह सेवाएं दी हैं. जिसमें उन्होंने कई सारे सिविल और आपराधिक मामलों की सुनवाई की है. उन्होंने शिवानी भटनागर मर्डर केस मामले में भी सुनवाई की थी. जस्टिस गौर ने दिल्ली मेडिएशन सेंटर की अध्यक्षता भी की है और तीस हज़ारी सहित कड़कड़डूमा कोर्ट में भी अपनी सेवाएं दी है.
11 अप्रैल 2008 में उनकी जिम्मेदारी को बढ़ा दिया गया और उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में पदोन्नत कर दिया गया. आईएनएक्स मामले में चिदंबरम का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. पिछले महीने गौर ने रिलायंस इंटस्ट्रीज लिमिटेड के मामले में भी सुनवाई की थी.
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कूलिंग ऑफ पीरियड
इस साल फरवरी में मोदी सरकार ने रिटायर जजों की ट्रिब्यूनल में नियुक्ति करने की कूलिंग ऑफ पीरियड की समयसीमा में बदलाव किया था. सरकार ने संसद में इस बारे में जानकारी भी दी थी. तत्कालीन कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने राज्यसभा सांसद अमर सिंह के सवाल का जवाब देते हुए इस बारे में बताया था.
अमर सिंह केंद्र सरकार से जानना चाहते थे कि क्या सरकार उच्च और उच्चतम न्यायलयों के जजों के रिटायर होने के बाद 5 साल तक की कूलिंग-ऑफ पीरियड को समाप्त करने वाली है. अमर सिंह ने कहा था कि संविधान में इस बारे में जिक्र भी है ताकि संस्थाओं की स्वायत्ता बनी रहे.
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