जयपुर, छह मई (भाषा) राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू का नाम बदलकर ‘आबूराज तीर्थ’ करने और यहां मांसाहारी भोजन तथा शराब पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का विरोध तेज हो गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे शहर की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा।
स्वायत शासन विभाग की ओर से 25 अप्रैल को नगर परिषद आयुक्त को लिखे पत्र में माउंट आबू का नाम बदलकर ‘आबूराज तीर्थ’ करने तथा खुले में मांस-मदिरा पीने पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में आयुक्त से ‘तथ्यात्मक टिप्पणी’ मांगी गई है।
उल्लेखनीय है कि माउंट आबू के धार्मिक महत्व को देखते हुए पिछले साल अक्टूबर में नगर परिषद की बोर्ड बैठक में इसका नाम बदलकर ‘आबूराज तीर्थ’ करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। यह प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया और अभी वहां लंबित है।
इसके बाद राज्य में सत्ताधारी पार्टी के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर माउंट आबू के धार्मिक महत्व को देखते हुए इसका नाम बदलने तथा खुले में मदिरापान व मांसाहार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
स्थानीय व्यापारियों की दलील है कि माउंट आबू को दुनियाभर में इसी नाम से जाना जाता है और नाम बदलने से भ्रम की स्थिति पैदा होगी। उनका कहना है कि साथ ही मांसाहारी भोजन व शराब पर प्रतिबंध लगाने से पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आएगी।
माउंट आबू होटल एसोसिएशन, लघु व्यापार संघ, सिंधी सेवा समाज, वाल्मीकि समाज, मुस्लिम औकाफ कमेटी, नक्की झील व्यापार संस्थान समेत 23 संगठनों ने सोमवार को उपखंड अधिकारी (एसडीएम) डॉ. अंशु प्रिया को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
अधिकारी ने बताया कि प्रस्ताव राज्य सरकार स्तर पर लंबित है।
माउंट आबू होटल एसोसिएशन के सचिव सौरभ गंगाडिया ने बताया कि माउंट आबू में रोजाना करीब पांच से छह हजार पर्यटक आते हैं, जिनमें से ज्यादातर पड़ोसी राज्य गुजरात से होते हैं, जहां ‘शराबबंदी’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘माउंट आबू की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन गतिविधियों पर आधारित है और माउंट आबू को ‘तीर्थ’ घोषित करने तथा शराब और मांस पर प्रतिबंध लगाने से अर्थव्यवस्था नष्ट हो जाएगी।’
उन्होंने दावा किया कि माउंट आबू में पर्यटन संबंधी गतिविधियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करीब 15000 लोग जुड़े हुए हैं और यदि पर्यटकों की संख्या में कमी आती है तो इससे उनकी आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
स्ट्रीट वेंडर्स कमेटी के सचिव दिनेश माली ने कहा, ‘पर्यटकों की संख्या में कमी से बेरोजगारी होगी और पलायन बढ़ेगा तथा व्यापारिक इकाइयां बंद हो जाएंगी।’ उन्होंने कहा, ‘नाम बदलने और ऐसे कदम उठाने की कोई जरूरत नहीं है जो स्थानी अर्थव्यवस्था और इसके लोगों को बहुत नुकसानदेह हो सकते हैं।’
स्थानीय व्यवसाय हितधारकों का कहना है कि ‘माउंट आबू’ नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित है और यह वैश्विक यात्रा पुस्तकों, गूगल मैप, पर्यटन पोर्टल, विदेशी टूर पैकेज, अंतरराष्ट्रीय निर्देशिकाओं और शैक्षणिक ग्रंथों में शामिल है।
पर्यटन विभाग के अनुसार माउंट आबू का जिक्र पुराणों में मिलता है। पौराणिक काल में इसे अर्बुदारण्य या ‘अर्बुदा का जंगल’ कहा कहा गया है।
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अमित
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