scorecardresearch
Monday, 25 November, 2024
होमदेशशिक्षक ने अपनी सैलरी से बनाया सरकारी स्कूल में टॉयलेट, बढ़ी छात्राओं की संख्या

शिक्षक ने अपनी सैलरी से बनाया सरकारी स्कूल में टॉयलेट, बढ़ी छात्राओं की संख्या

दीक्षित का मुख्य फोकस बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के साथ ही स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरुक करना भी है. वे बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ पर्यावरण बचाने और पेड़ पौधे लगाने का संदेश भी दे रहे है.

Text Size:

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों से खबरें आती हैं कि स्कूलों में शिक्षक नहीं है, शिक्षकों को अपने विषय का ज्ञान नहीं है..ऐसे कई वीडियो वायरल भी होते रहे हैं. लेकिन इसी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के खानपुर से एक शिक्षक सुनील कुमार दीक्षित सामने आए हैं, जिन्होंने छात्राओं और महिला टीचर के लिए स्कूल में शौचालय बनाने के लिए अपनी सैलरी और बचत किए गए पैसे तक स्कूल को दान कर दिए. यही नहीं शहरी छात्रों को टक्कर देने के लिए वह गांव के स्कूली छात्रों को अपने लैपटॉप के जरिए पढ़ा रहे हैं और स्मार्ट बना रहे हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के खानपुर क्षेत्र के लढ़ाना गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक सुनील ने स्वच्छ भारत मिशन एक ​ताजा उदारहण पेश किया है. उन्होंने स्कूल में पढ़ने वाले 400 छा​त्राओं के लिए अपने वेतन से पांच शौचालय का निर्माण करवाया है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘स्कूल में 800 छात्र पढ़ते है, इनमें 400 लड़किया हैं. इसके बावजूद यहां पर लड़कियों के लिए एक ही टॉयलेट था. बाकि जो भी शौचालय थे वह केवल लड़कों के लिए ही थे.

‘2016 वह में इस स्कूल में पदस्थ हुए है. तभी से वह देखते आ रहे है कि स्कूल की छात्राएं शौचालय के लिए परेशान रहती है. स्कूल परिसर में एक ही शौचालय होने के चलते हर रोज लाइन लगी रहती थी.’

‘गदंगी और बदबू के चलते वे मुंह ढंक कर शौचालय जाती थीं. बदबू के कारण छात्राओं को उल्टी भी आ जाती थी. वहीं कई छात्राएं बीमार भी हो जाती थी.’

स्कूल प्रबंधन ने नहीं दिया ध्यान

सुनील ने बताया कि स्कूली छात्राओं के साथ साथी सहायक महिला शिक्षकों की भी परेशानी को देखते हुए कई दफा स्कूल प्रबंधन से शौचालय बनाए जाने को लेकर बात भी की. इसके अलावा अन्य शिक्षकों से भी इस समस्या के समाधान किए जाने को लेकर अपनी बात रखी. लेकिन उनके साथी और सहयोगियों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. इस संदर्भ में कई बार छात्राओं ने भी अपनी बात रखी लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया.

आठवीं में पढ़ने वाली गरिमा शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, ‘स्कूल में शौचालय नहीं होने से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था. एक ही टॉयलेट होने के कारण बहुत गदंगी होती थी. जिससे कई छात्राएं बीमार तक हो जाती थीं.’

शिक्षक सीमा शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि पांच शौचालय के बनने से महिला शिक्षक और छात्राओं के लिए आसानी हुई है. शौचालय के निर्माण के बाद से इस बार स्कूल में 100 छात्राओं का दाखिला भी हुआ. वहीं अब छात्राओं की क्लास में उपस्थिति भी बढ़ी है.

स्कूल में ही पढ़ाने वाली शिक्षक जगत सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘स्कूल के ही टीचर सुनील ने अपने वेतन से शौचालय का निर्माण काम करवाया है. उन्होंने दूसरे शिक्षकों के लिए एक अच्छा उदारहण पेश किया है.’

स्कूल ने कुछ नहीं किया तो खुद आए आगे

स्कूली छात्राओं की परेशानी और उनकी निजी समस्या को मानते हुए सुनील ने अपने एक माह की पूरी तनख्वाह के अलावा कुछ रुपए (80 हजार) स्कूल को दान दे दिया. इसके बाद भी प्रबंधन ने इसका प्रयोग नहीं किया. इसके बाद छात्राओं की समस्याआं को देखते हुए खुद ही शौचालय निर्माण करने की ठानी. इसके बाद परिसर में एक साथ छात्राओं के लिए पांच शौचालयों का निर्माण करवाया. इसके अलावा छोटे बच्चों के लिए भी एक अलग से शौचालय का निर्माण किया है. उन्होंने बताया कि इस काम की प्रेरणा उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम से मिली है.

स्वच्छता से लेकर पर्यावरण का बचाने का दे रहे संदेश

सुनील ने बताया कि उनका मुख्य फोकस बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के साथ ही स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरुक करना भी है. वे बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ पर्यावरण बचाने और पेड़ पौधे लगाने का संदेश भी दे रहे हैं. दीक्षित का काम यही खत्म नहीं होता है वह अपना लैपटॉप स्कूल लाते हैं और बच्चों को स्मार्ट एजुकेशन से भी दो-चार कराते हैं. उनका मानना हैं कि हमारे गांव के बच्चे किसी से कम नहीं है बस जरा सा ध्यान देने की जरूरी है.

share & View comments