scorecardresearch
Wednesday, 16 July, 2025
होमदेशसंघ ने उपेक्षा और उपहास से स्वीकार्यता की यात्रा पूर्ण की : होसबाले

संघ ने उपेक्षा और उपहास से स्वीकार्यता की यात्रा पूर्ण की : होसबाले

Text Size:

नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि संघ ने ‘‘राष्ट्रीय पुनर्निर्माण’’ के एक आंदोलन के रूप में शुरुआत करके उपेक्षा और उपहास से जिज्ञासा और स्वीकार्यता की यात्रा पूर्ण की है।

होसबाले ने लोगों से संगठन के संकल्प को पूरा करने में शामिल होने का आग्रह किया।

विश्व संवाद केंद्र भारत वेबसाइट पर ‘‘संघ‌ शताब्दी’’ शीर्षक वाले एक लेख में उन्होंने कहा, ‘‘संघ किसी का विरोध करने में विश्वास नहीं रखता। हमें विश्वास है कि संघ के कार्य का विरोध करने वाला व्यक्ति भी एक दिन राष्ट्र निर्माण के इस पुनीत कार्य में संघ के साथ सहभागी होगा।’’

होसबाले ने कहा कि ऐसे समय में जब विश्व जलवायु परिवर्तन से लेकर हिंसक संघर्ष जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, तब भारत का प्राचीन और अनुभवजन्य ज्ञान समाधान के रूप में नयी दिशा प्रदान करने में सक्षम है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह विशाल किंतु अपरिहार्य कार्य तभी संभव होगा, जब मां भारती की प्रत्येक संतान अपनी भूमिका को समझे तथा एक ऐसा राष्ट्रीय आदर्श निर्मित करने में योगदान दे, जो दूसरों को अनुकरण करने के लिए प्रेरित करे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आइए, हम सब मिलकर सज्जन शक्ति के नेतृत्व में संपूर्ण समाज को साथ लेकर विश्व के समक्ष एक सामंजस्यपूर्ण और संगठित भारत का आदर्श प्रस्तुत करने का संकल्प लें।’’

विश्व संवाद केंद्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से सम्बद्ध एक मीडिया केंद्र है।

वर्ष 1925 में विजयादशमी के दिन स्थापना के बाद से आरएसएस की यात्रा का उल्लेख करते हुए होसबाले ने कहा, ‘‘पिछले सौ वर्षों में संघ ने राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के आंदोलन के रूप में उपेक्षा और उपहास से जिज्ञासा और स्वीकार्यता की यात्रा पूर्ण की है।’’

उन्होंने कहा कि संघ अपने कार्य के 100 वर्ष इस वर्ष पूर्ण कर रहा है, ऐसे समय में उत्सुकता है कि संघ इस अवसर को किस रूप में देखता है।

उन्होंने कहा, ‘‘स्थापना के समय से ही संघ के लिए यह बात स्पष्ट रही है कि ऐसे अवसर उत्सव के लिए नहीं होते, बल्कि ये हमें आत्मचिंतन करने तथा अपने उद्देश्य के प्रति पुनः समर्पित होने का अवसर प्रदान करते हैं।’’

होसबाले ने कहा कि साथ ही यह अवसर इस पूरे आंदोलन को दिशा देने वाले ‘‘मनीषियों’’ और इस यात्रा में ‘‘निःस्वार्थ’’ भाव से जुड़ने वाले स्वयंसेवक व उनके परिवारों के स्मरण का भी है।

उन्होंने कहा, ‘‘सौ वर्षों की इस यात्रा के अवलोकन और विश्व शांति व समृद्धि के साथ सामंजस्यपूर्ण और एकजुट भारत के भविष्य का संकल्प लेने के लिए संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की जयंती से बेहतर कोई अवसर नहीं हो सकता, जो वर्ष प्रतिपदा यानि हिंदू कैलेंडर का पहला दिन है।’’

भाषा अमित दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments