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Sunday, 2 March, 2025
होममत-विमतरेखा गुप्ता और आतिशी आमने सामने: दिल्ली में साड़ी की सियासी टक्कर

रेखा गुप्ता और आतिशी आमने सामने: दिल्ली में साड़ी की सियासी टक्कर

मुझे कभी-कभी आश्चर्य होता है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मंदिर के किनारे वाले सुंदर पर्दे और आकर्षक ग्राफिक तत्वों के बारे में इतना कम क्यों कहा जाता है. उन्होंने अपनी भूमिका को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से निभाया है.

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दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की साड़ियां दिखने में साधारण हो सकती हैं, जो सुंदरता के शौकीनों को ज्यादा पसंद न आएं. फिर भी, उनके चुनावों में एक सोची-समझी रणनीति नज़र आती है. अब तक उनके सबसे चर्चित, ऊंची आवाज़ वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों में—जब से बीजेपी ने उन्हें दिल्ली चुनावों के लिए शालीमार बाग़ से उम्मीदवार चुना था, लेकर उनके शपथ ग्रहण समारोह तक—गुप्ता ने ज्यादातर पीला और नारंगी रंग पहना है. जिस दिन उनका नाम दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री के रूप में घोषित हुआ, वह एक पीली साड़ी में नज़र आईं, जिसकी सीमा पर मधुबनी कढ़ाई थी, नारंगी रंग का ब्लाउज पहने हुए, जीत का संकेत दिखाते हुए और एक मुस्कान बिखेरते हुए. उनके कंधों पर पड़ा पार्टी का भगवा गमछा उन्हें एक चलता-फिरता झंडा बना रहा था.

नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते समय, उन्होंने नारंगी पहना. पार्टी के रंगों में सजी एक व्यस्त पैटर्न वाली साड़ी, ऊपर से एक मैचिंग हाफ-स्लीव जैकेट के साथ, जिसमें भी व्यस्त पैटर्न थे. यह अनुभवी दर्शकों को दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज के खास तौर पर तैयार किए गए लुक की याद दिला रहा था. स्वराज के “को-ऑर्ड्स”—यह तब की भाषा नहीं थी—उनके स्टेट्सवुमन लुक को परिभाषित करते थे, खासकर उनके करियर के बाद के वर्षों में.

दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजों ने भारतीय राजनीति में साड़ी की कहानी को फिर से जिंदा कर दिया है. सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद—जो दोनों दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और साड़ी राजनीति की प्रमुख हस्तियां थीं—अब एक नया अध्याय शुरू हो चुका है—गुप्ता बनाम आतिशी.

Late BJP leader Sushma Swaraj
दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज | फोटो: X/@DKShivakumar

जब गुप्ता पहली बार विधायक के रूप में शपथ लेने आईं, तब उन्होंने एक क्रीम-सफेद साड़ी पहनी थी, जिसके साथ हाई-नेक ब्लाउज था. लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि उनकी साड़ियों की विशिष्टता, उनके हैंडलूम की क्वालिटी, या अन्य खासियत को लेकर कोई खास चर्चा नहीं होगी. अगर उनके पास शालीमार बाग की जानी-पहचानी वकील-राजनेता की पोशाक से हटकर कुछ दिखाने के लिए है—जो अपने इरादों में निस्संदेह मजबूत हैं—तो वह फिलहाल नजर नहीं आ रहा है. उनके द्वारा पार्टी के रंगों का अत्यधिक प्रयोग और सुषमा स्वराज के अंदाज की नकल ने इसे पूरी तरह से दबा दिया है. कुछ लोग इसे ब्रांडिंग की शुरुआती झलक समझ सकते हैं, लेकिन अभी इस पर अटकलें लगाना जल्दबाजी होगी.

सोचने वाली बात यह है कि इस पर बंसुरी स्वराज—जो अपनी मां की साड़ी-नीतियों की सही उत्तराधिकारी हैं—क्या कहेंगी? बंसुरी, जो बीजेपी की ही वकील-राजनेता हैं, ज़्यादातर साड़ी में ही दिखती हैं, अगर हमेशा नहीं, और उनके हाव-भाव में एक सकारात्मक ऊर्जा झलकती है.


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गुप्ता बनाम आतिशी

आम आदमी पार्टी की अतीशी पर नजर डालें तो “ब्रांडिंग जो उभरती ड्रेस आइडेंटिटी से टकरा जाए” एक उपयोगी वाक्य लगता है. अब दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता बनीं अतीशी सिर्फ राजधानी के मुद्दों पर ही नहीं, बल्कि पहनावे की राजनीति में भी रेखा गुप्ता के मुकाबले खड़ी हैं.

पहली नजर में, स्टीफनियन और रोड्स स्कॉलर अतीशी अपने पहनावे में संतुलित दिखती हैं. लेकिन गौर से देखें तो एक अलग पहचान नजर आती है. जब वह आम आदमी पार्टी की एक अहम सदस्य से दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार बनीं, तब उन्होंने नियमित रूप से साड़ी पहनना शुरू किया.

शुरुआत में, अतीशी एक खाली कुर्सी के बगल में बैठी नजर आईं, जो विवादों में घिरे “राजा” के लौटने का इंतजार कर रही थी. आम आदमी के हितैषी होने का दावा करने वाली पार्टी के लिए यह “ग़ैर-आम” दृश्य रणनीतिक रूप से गलत साबित हुआ और आलोचना का कारण बना.

AAP leader Atishi
आप नेता आतिशी | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट

लेकिन अतीशी ने अपने तरीके में स्थिरता बनाए रखी, जो राजनीति में एक महत्वपूर्ण गुण माना जाता है. जब आप प्रमुख नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पार्टी के संकटों में उलझे थे और आप प्रमुख ‘शीश महल’ विवाद में फंसे थे, तब अतीशी उनसे ऊपर उठीं. उन्होंने अपने भाषणों में मजबूती से दावा किया कि केजरीवाल ही दिल्ली के मुख्यमंत्री बनकर लौटेंगे.

इस पूरे दौर में उन्होंने अपने पहनावे पर खास ध्यान दिया. उन्होंने दिल्ली के स्कूलों का दौरा एक मौवे और लाइलैक रंग की कांजीवरम साड़ी में किया, जिसे उन्होंने हाई-नेक स्वेटर के साथ पहना—दिल्ली की महिलाओं की ठंड के दिनों की पसंदीदा स्टाइल. उन्होंने अपने साधारण सलवार-कुर्तों को छोड़कर सिल्क और कॉटन की साड़ियां पहननी शुरू कीं, जिनके साथ तीन-चौथाई स्लीव के ब्लाउज होते थे.

Delhi Chief Minister Rekha Gupta
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता

अगर आप खोजें, तो आपको उनकी ब्लैक एंड व्हाइट इकत साड़ी, कंट्रास्ट बॉर्डर वाली लाल कोयंबटूर कॉटन, दिल्ली विधानसभा में पहनी गई काली और लाल सिल्क, काले-नीले-लाल रंग की अजरख प्रिंट सिल्क, और सफेद ब्लाउज के साथ पहनी गई प्रिंटेड कॉटन साड़ियां देखने को मिलेंगी.

अतीशी की साड़ियों और उनके साधारण ब्लाउज—जिनमें रेखा गुप्ता के पहनावे की तरह किनारों और सजावट का दिखावा नहीं है—में हैंडलूम सादगी की झलक साफ दिखाई देती है. उन्होंने कैमरों के लिए अपनी छवि को और मजबूत करने के लिए एक अहम मौके पर अपना लुक बदला. जब उन्होंने दिल्ली चुनाव में कालकाजी सीट से नामांकन भरा, तो वह बेज जैकेट, लाल स्कार्फ, ट्राउज़र्स और बूट्स में नजर आईं—एक ऐसा अंदाज जो पारंपरिक साड़ी पहनावे से बिल्कुल अलग था, लेकिन सोच-समझकर चुना गया था.

भारत में महिला राजनीतिज्ञ कैसे कपड़े पहनती हैं?

भारत की विरासत से जुड़े हैंडलूम पहनना राजनीतिक नेताओं के लिए आज भी “सही” चुनाव माना जाता है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि खासतौर पर महिला नेताओं के पास पहले से जो उदाहरण हैं, वे ज्यादातर साड़ी पहनने वाली आदर्श हस्तियों के ही हैं. हैंडलूम को एक देशभक्तिपूर्ण विचार से जोड़ा जाता है. इसी दायरे में, शीला दीक्षित ने अपने व्यक्तिगत चुनाव को अलग तरीके से दर्शाया—उन्होंने गांधी परिवार से अलग पहचान बनाने के लिए कॉटन इकत और बुनी हुई वेंकटगिरी साड़ियों की बजाय हैंडब्लॉक प्रिंटेड सिल्क को प्राथमिकता दी.

सुषमा स्वराज और बाद में स्मृति ईरानी समेत कई महिला नेताओं द्वारा पहने गए सिंदूर और मंगलसूत्र भारतीय “नारी नेता” की छवि का हिस्सा बने रहे हैं. लेकिन ये जरूरी नहीं हैं, और यह देखकर अच्छा लगता है कि रेखा गुप्ता इन्हें लेकर ज्यादा चिंतित नहीं दिखतीं.

TMC MP Mahua Moitra
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा | फोटो: एक्स

अगर व्यक्तिगत स्टाइल की बात करें—भले ही संवाद का मुख्य माध्यम साड़ी ही हो—तो तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और हाल ही में सांसद बनीं फिल्म स्टार कंगना रनौत इस मामले में सबसे आगे हैं. मोइत्रा अपनी खूबसूरत पसंद और स्टाइल की राजनीति में महारथ हासिल कर चुकी हैं. वहीं, कंगना के कपड़ों की भाषा को समझने और उसे आत्मविश्वास से अपनाने की कला भी काबिल-ए-तारीफ है. यह कला सीखना आसान नहीं है। गौर करें तो कोई भी महिला नेता बिना आस्तीन का ब्लाउज पहनकर सार्वजनिक जीवन में नजर नहीं आती.

हो सकता है कि कुछ पाठकों को कपड़ों पर लिखने वाले पत्रकार हल्के लगें. लेकिन जब हम इस विषय पर बात कर ही रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प है कि “हैंडलूम देशभक्ति” की इस छोटी लेकिन गहरी दुनिया में अगर किसी ने नया आयाम जोड़ा है, तो वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की साड़ियों के जरिए देखने को मिला है. मैं कभी-कभी सोचती हूं कि उनकी खूबसूरती से चुनी गई मंदिर-बॉर्डर वाली साड़ियों और उनके प्रभावशाली ग्राफिक डिजाइनों पर इतनी कम चर्चा क्यों होती है. उन्होंने फूलों, ब्लॉक प्रिंट और हैंड-पेंटेड साड़ियों को खास तवज्जो नहीं दी, बल्कि अपने पद की गरिमा के अनुरूप पहनावे को अपनाया.

Droupadi Murmu
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू | फोटो: X/@ADevvrat

इस पूरे रंगमंच में, रेखा गुप्ता और अतीशी के पास अपनी-अपनी मुख्य भूमिकाएं निभाने का मौका है. गुप्ता चाहें तो यह दिखा सकती हैं कि बीजेपी महिला नेताओं के लिए भगवा और नारंगी के मेल से आगे भी कोई स्टाइल हो सकता है. वहीं, अतीशी के पास एक अनूठा अवसर है—उनके पास कोई तयशुदा स्टाइल टेम्पलेट नहीं है, न ही कोई महिला आप नेता जिनकी स्टाइल को वह दोहरा सकें. उम्मीद है कि वह दिल्ली की राजनीति के साथ-साथ दिल्ली की साड़ी परंपरा को भी अच्छे से अपनाएंगी.

(शेफाली वासुदेव ने पाउडर रूम: दि अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियन फैशन किताब लिखी है और वे एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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