नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) दिल्ली की एक अदालत 24 मार्च को इस बारे में अपना आदेश सुना सकती है कि 2020 के दिल्ली दंगों में कथित भूमिका की जांच के लिए दिल्ली के कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का पुलिस को निर्देश दिया जाए या नहीं।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) वैभव चौरसिया ने 27 फरवरी को तब आदेश सुरक्षित रख लिया जब एक जांच में कहा गया कि ‘‘मिश्रा पर दोष मढ़ने की एक योजना बनाई गई थी।’’
न्यायाधीश एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जो यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास द्वारा दायर की गई थी। याचिका में प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया था। हालांकि दिल्ली पुलिस ने विरोध किया और दावा किया कि दंगों में मिश्रा की कोई भूमिका नहीं थी।
पुलिस ने अदालत को बताया कि प्राथमिकी में मिश्रा की भूमिका की जांच की गई थी।
अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा, ‘‘डीपीएसजी (दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट) समूह की चैट से पता चलता है कि चक्का जाम की योजना पहले से ही बनाई गई थी, 15 और 17 फरवरी, 2020 की शुरुआत में। पुलिस जांच से पता चला है कि मिश्रा पर दोष मढ़ने की एक योजना बनाई गई थी।’’
शिकायतकर्ता ने मिश्रा, दयालपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी, भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट और पूर्व भाजपा विधायक जगदीश प्रधान तथा सतपाल सहित पांच अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
भाषा अमित नेत्रपाल
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