(एम. जुल्करनैन)
लाहौर, 27 फरवरी (भाषा) एक अमेरिकी शोधकर्ता ने लाहौर किले में सिख साम्राज्य (1799-1849) के समय के करीब 100 स्मारकों की पहचान की है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। इनमें से करीब 30 स्मारक आज मौजूद नहीं हैं।
सिख साम्राज्य के दौरान लाहौर किले और इसके ऐतिहासिक महत्व की व्यापक जानकारी प्रदान करने के लिए सरकारी निकाय ‘वाल्ड सिटी ऑफ लाहौर अथॉरिटी’ (डब्ल्यूसीएलए) ने डॉ. तरुणजीत सिंह बुटालिया को सिख शासन के दौरान लाहौर किले पर एक ‘टूर गाइडबुक’ लिखने के लिए नियुक्त किया।
डॉ. बुटालिया ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘लाहौर किला, सिख मानस में गहराई से समाया एक भावनात्मक स्मारक है, जो लगभग आधी सदी तक सिख साम्राज्य के लिए सत्ता केंद्र रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे दिल में एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि फारसी अभिलेखों के अनुसार, मेरे पूर्वजों ने सिख दरबार में सम्मानित पदों पर कार्य किया था।’’
बुटालिया ने कहा, ‘‘भारत में सिखों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि 1947 में सिख विरासत और पूजा स्थल दुनिया के दो हिस्सों में विभाजित हो गये। बहुत लंबे समय तक भारत के सिख पाकिस्तान में अपने ऐतिहासिक स्थलों से कटे रहे।’’
लाहौर किले का समृद्ध मुगल इतिहास 16वीं शताब्दी से शुरू होता है जब सम्राट अकबर ने इसे बनवाया था। इसके अलावा, ये किला आधी सदी तक सिख साम्राज्य के अधीन रहा।
वर्ष 1799 में पंजाब के सिख शासक ने इस किले को जीत लिया और 1849 तक उनके नियंत्रण में रहा। इसके बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने इसे सेना की छावनी में बदल दिया।
महाराजा रणजीत सिंह, महाराजा खड़क सिंह, कंवर नौनिहाल सिंह और महाराजा शेर सिंह ने किले की कई संरचनाओं को संरक्षित किया तथा हजूरी बाग और इसकी शानदार बारादरी सहित कई नई संरचनाओं का निर्माण किया।
भाषा शफीक माधव
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