नई दिल्ली: धारा 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में जमीन ख़रीदने की इच्छा रखने वाले बाहरी लोगों के लिए बुरी खबर है, क्योंकि राज्य बीजेपी स्थानीय कश्मीरियों की हितों की रक्षा के लिए जमीन ख़रीद फ़रोख़्त पर हिमाचल और उत्तराखंड की तर्ज़ पर सख़्ती चाहती है. राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह के मुताबिक बीजेपी स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए किसी क़िस्म का सरकारी नियंत्रण चाहती है, उनका कहना है, ‘ऐसा नहीं हो सकता कि कोई भी बाहरी आदमी आकर जितनी जमीन ख़रीदना चाहे ख़रीद ले.’
हिमाचल उत्रराखंड पूर्वोतर के राज्यों में बिना राज्य सरकार की अनुमति के कृषि योग्य भूमि नहीं ख़रीद सकते हैं. जबकि उत्तराखंड में बाहरी व्यक्ति केवल दो नाली यानि 250 स्काव्यर मीटर ही जमीन ख़रीद सकता है .
जम्मू कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष रवीन्द्र रैना के मुताबिक, अनुच्छेद 370 खत्म होने का यह मतलब नहीं है कि कोई भी बाहरी व्यक्ति आकर मनचाही भूमि का मालिक बन जाए, जमीन ख़रीदने के लिए उस व्यक्ति का जम्मू-कश्मीर में एक ख़ास अवधि के लिए निवासी होना जरूर होना चाहिये.’
‘सरकार जब क़ानून बनाएगी उसमें इन चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा लेकिन इस समय घाटी में हालात सामान्य हो बीजेपी की यही प्राथमिकता है.
जम्मू-कश्मीर बीजेपी के उपाध्यक्ष नरेन्द्र गुप्ता कहतें है, ‘पहले कुछ ही प्रभावशाली लोगों के पास जमीन ख़रीद फ़रोख़्त का अधिकार था पर अब स्थानीय लोगों को बेचने ख़रीदने में प्राथमिकता दी जाएगी.’
‘उद्योग लगाने के लिए जमीन देना एक अलग बात है और बाहरी लोगों को कृषि योग्य जमीन ख़रीदने की अंधाधुंध छूट देना अलग बात है.’
गुप्ता के मुताबिक इस समय रोजगार का सृजन करना सरकार की पहली प्राथमिकता है सरकारी नौकरियों में महज पांच छह फीसदी कश्मीरियों को मौका मिला है.
प्रधानमंत्री ने अपने राष्ट्र के संदेश से साफ़ किया है कि सरकार बड़े पैमाने पर कश्मीरी युवाओं के लिए रोजगार सृजित करना चाहती है और इसके लिए अक्टूबर के महीने में जम्मू कश्मीर में निवेश सम्मेलन बुलाने की कोशिश भी सरकार कर रही है .