नयी दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि संविधान के तहत किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता एक बहुमूल्य अधिकार है, इसलिए अदालतों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी स्वतंत्रता में हल्के ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया जाए।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के तीन जनवरी के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें उसने हत्या के प्रयास के एक मामले में एक आरोपी को दी गई जमानत को रद्द कर दिया था।
पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया भी यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि आरोपी को उसकी स्वतंत्रता से वंचित किया जाना चाहिए।
इसने कहा, ‘यह कहना पर्याप्त है कि संविधान के तहत किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता उसका बहुमूल्य अधिकार है, अदालतों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी स्वतंत्रता में हल्के तरीके से हस्तक्षेप नहीं किया जाए। हम इस बात से संतुष्ट हैं कि उच्च न्यायालय के पास जमानत रद्द करने का कोई वैध कारण नहीं था, क्योंकि प्रथम दृष्टया यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि जमानत दिए जाने के बाद अपीलकर्ता का आचरण ऐसा रहा है कि उसे उसकी स्वतंत्रता से वंचित किया जाना चाहिए।’
भाषा
शुभम अविनाश
अविनाश
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