नयी दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण, राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड की स्थापना एवं कार्यप्रणाली के बारे में उसे जानकारी उपलब्ध कराए।
न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा की पीठ ने सात फरवरी को पारित आदेश में केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को इस सिलसिले में 21 मार्च तक एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, “हलफनामे में प्राधिकरण और समीक्षा बोर्ड में वैधानिक और अनिवार्य नियुक्तियों का भी जिक्र किया जाएगा।”
शीर्ष अदालत अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता वाले व्यक्तियों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
न्यायालय ने पहले कहा था कि मानसिक बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को जंजीर से बांधने की इजाजत नहीं दी जा सकती। उसने ऐसे कृत्यों को “नृशंस”, “अमानवीय” और संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत गारंटीकृत जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करार दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता वाले व्यक्तियों की गरिमा से समझौता नहीं किया जा सकता है।
बंसल ने 2018 में दाखिल अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के एक आश्रय गृह में मानसिक बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए जंजीरों से बांधकर रखा गया था।
भाषा पारुल माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.