जयपुर, 24 फरवरी (भाषा) राजस्थान विधानसभा में सोमवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ टिप्पणी एवं छह विपक्षी कांग्रेस विधायकों को निलंबित करने के मुद्दे पर बार-बार कार्यवाही बाधित हुई और बैठक चार बार स्थगित की गई।
विधानसभा में जारी गतिरोध के बीच कांग्रेस विधायकों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
विधानसभा भवन के पास कांग्रेस ने मंत्री से माफी मांगने और विधायकों का निलंबन वापस लेने की मांग को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया।
विधानसभा में गतिरोध समाप्त करने के लिए अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के कक्ष में कई दौर की वार्ता हुई, लेकिन सदन में मुद्दा हल नहीं हो सका क्योंकि अध्यक्ष और संसदीय कार्य मंत्री निलंबित कांग्रेस विधायक और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बयान से संतुष्ट नहीं थे।
बाद में विपक्षी कांग्रेस ने दिन भर के लिए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया।
सदन में सोमवार को चार बार कार्यवाही स्थगित हुई।
सदन के तीन बार स्थगन के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और अन्य ने मुद्दे को सुलझाने के लिए कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक की और गतिरोध समाप्त करने के लिए आम सहमति बनाई।
हालांकि जब सदन की कार्यवाही सहमति के बाद फिर से शुरू हुई तो गतिरोध जारी रहा क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और मंत्री पटेल कांग्रेस विधायक एवं प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के जवाब से संतुष्ट नहीं थे।
पटेल ने कहा कि डोटासरा को सदन में अपने आचरण के लिए माफी मांगनी चाहिए, लेकिन प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने जोर देकर कहा कि मंत्री पहले माफी मांगें। डोटासरा के जवाब से असंतुष्ट होकर विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही को चौथी बार 30 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।
जब सदन की कार्यवाही स्थगन के बाद फिर से शुरू हुई तो विधानसभा अध्यक्ष ने बजट पर चर्चा शुरू कर दी। इस दौरान कांग्रेस विधायक आसन के समक्ष विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
विधानसभा अध्यक्ष ने सदन के अंदर मार्शल भी बुलाए, जिन्होंने एहतियात के तौर पर अध्यक्ष के मंच को घेर लिया।
विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने मांग की कि सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित की जाए, ताकि चर्चा हो सके। लेकिन संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि विपक्ष को पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद एक सदस्य (डोटासरा) अड़े रहे और उनकी वजह से गतिरोध खत्म नहीं हो सका। विरोध के बाद कांग्रेस विधायकों ने दिनभर के लिए सदन से बहिर्गमन कर गये ।
इससे पहले, तीसरे स्थगन के बाद जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो निलंबित छह विधायकों को छोड़कर कांग्रेस के सभी विधायक अपनी सीटों पर लौट आए। डोटासरा समेत निलंबित विधायक सदन में नहीं आए।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि सदन में जो कुछ भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को कोई व्यवस्था देनी चाहिए, ताकि गतिरोध समाप्त हो सके।
कांग्रेस विधायक राजेंद्र पारीक ने भी कहा कि गतिरोध होने पर संवाद की परंपरा रही है।
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने भी कहा कि गतिरोध ठीक नहीं है। उनके बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने गोविंद सिंह डोटासरा को सदन के अंदर बुलाया और उनसे इस मामले पर बोलने को कहा।
डोटासरा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी पर कैबिनेट मंत्री की टिप्पणी के बाद शुक्रवार को सदन में जो कुछ भी हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है और ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने स्वीकार किया कि शुक्रवार को वह और अन्य विधायक विधानसभा अध्यक्ष के आसन के सामने पहुंच गए थे। उन्होंने कहा कि पूरा प्रकरण खेदजनक है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष विपक्ष को संरक्षण दे रहे हैं और उम्मीद है कि यह सिलसिला जारी रहेगा।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि उन्होंने (डोटासरा) अपने आचरण के लिए माफी नहीं मांगी है।
संसदीय कार्य मंत्री ने भी कहा कि डोटासरा को सदन में वही कहना चाहिए जो बैठक में तय हुआ था। उन्होंने कहा कि डोटासरा को अपने आचरण के लिए खेद व्यक्त करना चाहिए।
इस पर कांग्रेस विधायक डोटासरा ने कहा कि मामला कैबिनेट मंत्री की टिप्पणी से शुरू हुआ और उन्हें पहले अपनी टिप्पणी के लिए खेद जताना चाहिए और उसके बाद ही वह बोलेंगे।
उन्होंने कहा, ‘मैं पहले मंत्री की बात सुनूंगा, इसके बाद ही (माफी के लिए) सदन में कहूंगा।’
पटेल ने कहा कि बैठक में डोटासरा ने खेद व्यक्त करने पर स्पष्ट रूप से सहमति जताई थी, लेकिन अब वह ऐसा नहीं कर रहे हैं, जो उनके अनुसार सदन का अपमान है। उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए चौथी बार स्थगित कर दी।
इससे पहले कांग्रेस सदस्यों की नारेबाजी के बीच सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित हुई। इस दौरान सदन में प्रश्नकाल शुरू होने पर डोटासरा समेत सभी छह निलंबित विधायक मौजूद थे।
विधानसभा अध्यक्ष ने निलंबित सदस्यों को सदन से बाहर जाने को कहा, लेकिन उन्होंने अपना विरोध जारी रखा, जिसके बाद अध्यक्ष ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
जब बैठक दोपहर 12 बजे फिर से शुरू हुई तो कांग्रेस विधायकों ने विरोध जारी रखा। विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही फिर दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी और निलंबित विधायकों को सदन से बाहर निकालने के लिए मार्शल बुलाए। हालांकि, निलंबित कांग्रेस विधायकों ने सदन छोड़ने से इनकार कर दिया।
जब सदन की कार्यवाही दोपहर एक बजे फिर से शुरू हुई तब भी हंगामा जारी था जिसके बाद पीठासीन सभापति फूल सिंह ने कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
विधानसभा के बाहर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। विधानसभा भवन के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोक दिया। कांग्रेस विधायक शुक्रवार से ही सदन में धरना दे रहे थे।
उल्लेखनीय है कि मंत्री अविनाश गहलोत ने शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास संबंधी प्रश्न का उत्तर देते समय विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा था, ‘‘2023-24 के बजट में भी आपने हर बार की तरह अपनी ‘दादी’ इंदिरा गांधी के नाम पर इस योजना का नाम रखा था।’’
इस टिप्पणी को लेकर सदन में भारी हंगामा हुआ था, जिसके कारण तीन बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, रामकेश मीणा, अमीन कागजी, जाकिर हुसैन, हाकम अली और संजय कुमार सहित छह कांग्रेस विधायकों को सदन से निलंबित कर दिया गया।
सदन की बैठक स्थगित होने के बाद कांग्रेस विधायकों ने मंत्री से माफी मांगने और निलंबन रद्द करने की मांग करते हुए विधानसभा में धरना शुरू कर दिया।
विधानसभा से कांग्रेस के छह विधायकों के निलंबन के विरोध में विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया।
भाषा कुंज राजकुमार रंजन
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