श्रीनगर, 23 फरवरी (भाषा) जम्मू-कश्मीर ने अपने प्रसिद्ध हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों का पिछले दो वित्त वर्षों में 2,567 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात किया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
चालू वित्त वर्ष के अंत (मार्च, 2025) तक निर्यात का यह आंकड़ा 3,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
एक अधिकारी ने बताया, “पिछले दो वित्त वर्षों और चालू वित्त वर्ष (2024-25) की पहली तीन तिमाहियों में कश्मीर घाटी से 2,567 करोड़ रुपये मूल्य के विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों का निर्यात किया गया है।”
हालांकि, चालू वित्त वर्ष में निर्यात वैश्विक संघर्षों से प्रभावित हुआ है।
कश्मीर के हस्तशिल्प एवं हथकरघा विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में कानी और सोजनी शॉल का निर्यात 1,105 करोड़ रुपये रहा, जबकि हाथ से बुने कालीन का निर्यात 728 करोड़ रुपये का रहा।
निर्यात किए गए अन्य उत्पादों में क्रूएल, पेपियर माचे (कागज की लुग्दी से बनाए जाने वाले सजावटी सामान), चेन स्टिच और लकड़ी की नक्काशी शामिल हैं।
अधिकारियों ने कहा कि विभाग हस्तनिर्मित कश्मीरी उत्पादों के निर्यात को सुगम बनाएगा, जिसके लिए सब्सिडी योजना उपलब्ध है। इसके तहत किसी भी देश को हथकरघा/हस्तशिल्प निर्यात उत्पादों की कुल मात्रा का 10 प्रतिशत प्रोत्साहन दिया जाएगा, तथा विभाग के साथ पंजीकृत पात्र निर्यातकों के पक्ष में अधिकतम पांच करोड़ रुपये तक की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
घाटी में कारीगर समुदाय के कल्याण के लिए सरकार की रणनीति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि विभाग के पास भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान में एक अच्छी तरह से स्थापित ‘डिजायन स्टूडियो’ है और स्कूल ऑफ डिजायन्स और शिल्प विकास संस्थान द्वारा परिकल्पित अद्वितीय प्रोटोटाइप हैं।
भाषा अनुराग अजय
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