गुरुग्राम: हरियाणा सरकार ने 1990 बैच के आईएएस अधिकारी अनुराग रस्तोगी को राज्य का नया मुख्य सचिव (सीएस) नियुक्त किया है. इससे पहले वर्तमान मुख्य सचिव विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त बनाया गया था. रस्तोगी की नियुक्ति के आधिकारिक आदेश बुधवार देर रात जारी किए गए.
हरियाणा आईएएस अधिकारियों की ग्रेडेशन लिस्ट में रस्तोगी तीसरे स्थान पर हैं, जबकि 1990 बैच के सुधीर राजपाल और सुमिता मिश्रा क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर हैं.
हरियाणा सरकार ने अन्य दो अधिकारियों को दरकिनार कर रस्तोगी को मुख्य सचिव नियुक्त किया है.
यह दूसरी बार भी है जब रस्तोगी को चार महीने से भी कम समय में मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है. इससे पहले, उन्हें 31 अक्टूबर, 2024 को इस पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन वे एक हफ्ते से भी कम समय तक इस पद पर रहे, क्योंकि उनके आदेशों में उल्लेख किया गया था कि वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस आने के बाद विवेक जोशी के कार्यभार ग्रहण करने तक मुख्य सचिव बने रहेंगे.
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले रस्तोगी अपनी साफ-सुथरी छवि और सरकार के साथ अच्छे तालमेल के लिए जाने जाते हैं. आईएएस की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें सबसे पहले 17 अगस्त 1992 को नारनौल में सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात किया गया था. बाद में उन्होंने अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर का पद संभाला और पानीपत और हिसार के डिप्टी कमिश्नर रहे. पिछले कुछ सालों में उन्होंने कई अहम पदों पर काम किया है, जिनमें विभिन्न विभागों में निदेशक और प्रमुख सचिव के पद शामिल हैं. 2021 में उन्हें अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) के पद पर पदोन्नत किया गया.
पिछले साल 1990 बैच के तीन आईएएस अधिकारियों — रस्तोगी, अंकुर गुप्ता (अब सेवानिवृत्त) और राजा शेखर वुंडरू ने वरिष्ठता सूची में संशोधन की मांग करते हुए हरियाणा सरकार को एक ज्ञापन दिया था. उन्होंने राजपाल और मिश्रा से आगे रखे जाने की मांग की थी, क्योंकि दोनों को दूसरे राज्यों से हरियाणा में स्थानांतरित किया गया था, जबकि पहले तीन हरियाणा आईएएस कैडर से ही थे.
हालांकि सरकार ने अभी तक प्रतिनिधित्व पर कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन उसने राजपाल और मिश्रा की वरिष्ठता को नज़रअंदाज़ करते हुए रस्तोगी को नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है.
राज्य नौकरशाही में वरिष्ठ पद से सेवानिवृत्त हुए एक आईएएस अधिकारी ने गुरुवार को दिप्रिंट को बताया कि हरियाणा में सरकारें आम तौर पर नए मुख्य सचिव की नियुक्ति करते समय वरिष्ठता का पालन करती हैं. हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि किसी अधिकारी को हटाया गया हो.
उन्होंने कहा, “अप्रैल 1991 में ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने बी.एस. ओझा (1959 बैच के आईएएस अधिकारी) के दावे को नज़रअंदाज कर एम.सी. गुप्ता (1960 बैच) को मुख्य सचिव नियुक्त किया था. हालांकि, उसी महीने चौटाला सरकार गिर गई और भजन लाल के नेतृत्व वाली नई सरकार ने 24 जून, 1991 को ओझा को मुख्य सचिव नियुक्त किया.”
उन्होंने आगे कहा, “इसी तरह, अगस्त 1994 में भजन लाल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 1961 बैच के आईएएस अधिकारियों अमलेंदु बनर्जी और जी.वी. गुप्ता के दावे को नज़रअंदाज कर एच.डी. बंसल (1962 बैच) को मुख्य सचिव नियुक्त किया. अभी हाल ही में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 1984 बैच के सुनील गुलाटी की जगह विजय वर्धन (1985 बैच के अधिकारी) को 1 अक्टूबर, 2020 को मुख्य सचिव नियुक्त किया. हालांकि, सरकार ने गुलाटी को फिर से विशेष मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त किया है.”
आरटीआई कार्यकर्ता और पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने कहा कि हरियाणा कैडर के 1990 बैच के चार अन्य आईएएस अधिकारियों — राजपाल, मिश्रा, आनंद मोहन शरण और वुंडरू को अब उनके वर्तमान एसीएस पद के स्थान पर विशेष मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव और विशेष मुख्य सचिव दोनों का मूल वेतन मुख्य सचिव के समान ही है.
कुमार के अनुसार, चूंकि, 1991 से 1995 बैच के कई आईएएस अधिकारी भी वर्तमान में हरियाणा में एसीएस के पद पर हैं, इसलिए 1990 बैच के चार अधिकारियों को एसीएस पद पर बनाए रखना उचित नहीं होगा, खासकर तब जब उनके बैच के एक अधिकारी अनुराग रस्तोगी को अब राज्य का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है. इसके अलावा, प्रशासनिक सिद्धांतों के अनुसार, एक ही बैच के अधिकारियों के लिए अपने ही बैच के किसी अधिकारी को रिपोर्ट करना उचित नहीं होगा.
कुमार ने पंजाब का उदाहरण दिया, जहां अनिरुद्ध तिवारी (1990 बैच), सर्वजीत सिंह (1992 बैच) और आर.पी. श्रीवास्तव (1992 बैच) को विशेष मुख्य सचिव के रूप में नामित किया गया है, जबकि 1992 बैच के के.ए.पी. सिन्हा मुख्य सचिव हैं.
हालांकि, उक्त सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने कहा कि हरियाणा 1990 बैच के अन्य अधिकारियों को विशेष मुख्य सचिव के रूप में फिर से नामित कर सकता है या नहीं भी कर सकता है.
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने कहा, “हालांकि, पंजाब इस परंपरा का पालन करता है, लेकिन हरियाणा ने सुनील गुलाटी के मामले को छोड़कर पहले ऐसा नहीं किया है, जिन्हें 2020 में विशेष मुख्य सचिव के पद पर फिर से नामित किया गया था.”
हरियाणा में वरिष्ठता विवाद, जो पहली बार 1988 बैच के आईएएस अधिकारी टीवीएसएन प्रसाद की सेवानिवृत्ति से पहले उठा था और 1990 बैच के आईएएस अधिकारियों की वरिष्ठता सूची में दूसरे स्थान पर बहस का कारण बना, अधिकारियों के बीच जारी है.
पिछले साल तीन आईएएस अधिकारियों द्वारा दिए गए ज्ञापन के बाद, तत्कालीन सीएस प्रसाद ने इस मुद्दे पर व्यक्तिगत सुनवाई के लिए पांच अधिकारियों को बुलाया था, लेकिन कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया. हरियाणा कैडर की ग्रेडेशन सूची में पिछले 34 वर्षों से सुधीर राजपाल शीर्ष पर हैं, जबकि सुमिता मिश्रा दूसरे स्थान पर हैं.
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