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Friday, 21 February, 2025
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उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशन को लेकर छिड़ा राजनीतिक विवाद, कांग्रेस ने किया जनमत संग्रह कार्यक्रम शुरू

उत्तराखंड सरकार ने अनिवार्य रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के ज़रिए से लिव-इन रिलेशनशिप को विनियमित करने के लिए 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता लागू की.

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नई दिल्ली: उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के मुद्दे पर नागरिक समाज के प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है, वहीं राज्य की कांग्रेस इकाई ने लिव-इन रिलेशनशिप की स्वीकार्यता पर दो महीने लंबा आंदोलन और जनमत संग्रह कार्यक्रम शुरू किया है.

कांग्रेस ने भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर लिव-इन रिलेशनशिप को वैध बनाने का आरोप लगाया है, जो सामाजिक लोकाचार के खिलाफ है. पार्टी ने भाजपा सरकार पर लिव-इन जोड़ों का स्वागत करके और राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें निवास प्रदान करके राज्य में बाहरी मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की साजिश का भी आरोप लगाया है.

उत्तराखंड में कांग्रेस ने यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप के प्रावधान के खिलाफ गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया और राज्य विधानसभा का घेराव किया.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण महारा ने दिप्रिंट से कहा, “लिव-इन रिलेशनशिप हमारे सांस्कृतिक लोकाचार के खिलाफ हैं. हम लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ हैं. हमारे समाज में कौन सा परिवार अपने बच्चों को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की इज़ाज़त देगा?”

उन्होंने कहा, “उत्तराखंड यूसीसी ने लिव-इन रिलेशनशिप को वैध बनाया है और इसे स्वीकार्य बनाया है. यह हमारे समाज को नष्ट कर देगा. उनका कहना है कि उन्होंने कानून बनाने से पहले 2 लाख लोगों से सलाह ली है. हम सरकार से एक सूची उपलब्ध कराने के लिए कह रहे हैं ताकि हम यह भी जांच सकें कि लोग लिव-इन रिलेशनशिप की अनुमति देने से खुश हैं या नहीं, लेकिन सरकार हमें कोई डेटा उपलब्ध नहीं करा रही है. इसलिए, हमने लिव-इन रिलेशनशिप पर लोगों की राय जानने के लिए उनसे संपर्क करने का फैसला किया है.”

उत्तराखंड सरकार ने अनिवार्य रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के ज़रिए से लिव-इन रिलेशन को रेगुलेट करने के लिए 27 जनवरी को यूसीसी को लागू किया.

लिव-इन रिश्तों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है और इसे इस आधार पर अदालत में चुनौती दी गई है कि यह व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन करता है.

इस कदम ने 16-पेज के फॉर्म और एक धार्मिक नेता से प्रमाण पत्र की ज़रूरत को लेकर विवाद खड़ा कर दिया, जिसमें कहा गया था कि युगल विवाह के लिए पात्र हैं.

जबकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि रजिस्ट्रेशन का उद्देश्य केवल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना है, नागरिक समाज के सदस्यों ने जोड़ों की गोपनीयता पर चिंता जताई है.

उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र द्वारा 19 फरवरी को इस तरह के रिश्तों में गोपनीयता की अवधारणा पर सवाल उठाने से विवाद खड़ा हो गया.

न्यायमूर्ति नरेंद्र आधार के ज़रिए से इस तरह के रिश्तों को रजिस्टर्ड करने और पिछले रिश्तों का सबूत देने की ज़रूरत को चुनौती देने वाली याचिका का जवाब दे रहे थे.

उन्होंने पूछा था, “गोपनीयता क्या है? आप दोनों एक साथ रह रहे हैं, आपके पड़ोसी जानते हैं, समाज जानता है और दुनिया जानती है. क्या आप गुप्त रूप से किसी एकांत गुफा में रह रहे हैं? आप बिना शादी के बेशर्मी से नागरिक समाज में रह रहे हैं. तो किस गोपनीयता का उल्लंघन हो रहा है?”

अपने जनमत संग्रह के हिस्से के रूप में, कांग्रेस पार्टी ने 15 सवालों वाला एक फॉर्म जारी किया है जिसे पार्टी कार्यकर्ता जनता की राय का मूल्यांकन करने के लिए पूछेंगे.

सर्वेक्षण का उद्देश्य लोगों की लिव-इन रिलेशन के बारे में जागरूकता का आकलन करना और क्या वह इस तरह के रिश्तों को कानूनी मान्यता देने के पक्ष में हैं.

पूर्व मंत्री यशपाल आर्य ने दिप्रिंट से कहा, “राज्य में यूसीसी लागू होने के बाद लोग किस तरह चिंतित हैं, खासकर लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर, इसका विश्लेषण करने के लिए सभी डेटा कांग्रेस मुख्यालय को भेजे जाएंगे.”

उन्होंने कहा, “समाज में गुस्सा बढ़ रहा है, जिसे हम सर्वेक्षण के जरिए इकट्ठा करना चाहते हैं.”

हालांकि, उत्तराखंड भाजपा के महासचिव राजेंद्र बिष्ट ने इसे खारिज कर दिया है.

बिष्ट ने दिप्रिंट से कहा, “राज्य सरकार न तो किसी रिश्ते को बढ़ावा दे रही है और न ही हतोत्साहित कर रही है. वह सिर्फ ऐसे रिश्तों को रजिस्टर्ड करके महिलाओं को सुरक्षा और सशक्त बना रही है. अन्य राज्यों में जघन्य अपराध इसलिए हुए हैं, क्योंकि लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने की कोई प्रक्रिया नहीं थी. समय रहते अलर्ट होने पर ऐसे रिश्तों में फंसी महिलाओं को बचाया जा सकता है और अगर कोई महिला ऐसे रिश्ते में टूट जाती है, तो उसे शादी के बराबर मुआवजा मिल सके, इसके लिए नियम बनाए गए हैं. इसमें क्या बुराई है? यह दूरदर्शी कानून है.”

UCC लिव-इन बहुविवाह को बढ़ावा देगा

उत्तराखंड कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि यूसीसी में लिव-इन संबंधों के बारे में कई प्रावधान समाज में बहुविवाह को बढ़ावा देंगे और राज्य के पारिवारिक मूल्यों को नष्ट करेंगे.

म्हारा ने कहा, “अगर कोई जोड़ा अपना रिश्ता तोड़ना चाहता है, तो उसे ब्रेकअप के 15 दिनों के भीतर प्रमाण पत्र मिल जाएगा. ब्रेकअप के बाद वह बिना शादी के दूसरा रिश्ता बना सकते हैं.”

उन्होंने कहा, “आखिरकार, यह बिना शादी किए कई महिलाओं के साथ लिव-इन में रहने की बहुविवाह को बढ़ावा देगा. तलाक में समय लगता है, लेकिन लिव-इन ब्रेकअप में वह केवल 15 दिनों में अलग हो सकते हैं. हमें इस क्लॉज पर आपत्ति है.”

कांग्रेस पार्टी द्वारा उठाई गई एक और आपत्ति उन जोड़ों से पैदा होने वाले बच्चों के अधिकारों पर स्पष्टता की कमी है, जिनका लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्ट्रेशन खारिज हो जाता है या जो जोड़े अलग हो जाते हैं.

म्हारा ने कहा, “बच्चे का क्या होगा और उनके अधिकारों की रक्षा कैसे की जाएगी? यूसीसी में ऐसी कई कमियां हैं. ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप को बढ़ावा दे रही है, जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा.”

मतदान प्रतिशत बढ़ाने का तरीका

उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह बाहरी लोगों को लिव-इन में रहने की अनुमति देकर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की साजिश कर रही है, ताकि चुनावों को प्रभावित किया जा सके.

कांग्रेस अध्यक्ष ने दिप्रिंट से कहा, “एक तरफ सरकार उत्तराखंड के मूल निवासियों के हितों की रक्षा के लिए बाहरी लोगों द्वारा ज़मीन खरीदने के खिलाफ सख्त कानून ला रही है. वहीं, दूसरी तरफ वह बाहरी लोगों को लिव-इन रजिस्ट्रेशन के ज़रिए राज्य में निवास करने की अनुमति दे रही है.”

उन्होंने कहा, “क्या भाजपा बाहरी लोगों को निवास की अनुमति देकर मतदाता संख्या बढ़ाना चाहती है, यह जनमत संग्रह के दौरान पूछा जाने वाला मुद्दा होगा. क्या लोग लिव-इन जोड़ों को उत्तराखंड में रहने और बंद समाज वाले राज्य के मतदाता बनने की अनुमति देंगे?”

कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में महाराष्ट्र की मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाया और वोटर्स रजिस्ट्रेशन में खामियों के बारे में सवाल उठाए.

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि एक ही पते पर 7,000 वोटर्स कैसे रजिस्टर्ड हैं और लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदाताओं की संख्या में इतनी बड़ी वृद्धि कैसे हुई.

कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि चुनाव आयोग महाराष्ट्र में मतदाताओं की वास्तविक संख्या की पुष्टि करने के लिए पूरी मतदाता सूची और मतदान डेटा उपलब्ध कराए.

कई राजनीतिक दलों ने भाजपा सरकार द्वारा लिव-इन रिलेशनशिप को वैधता देने के प्रयास के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की योजना की घोषणा की है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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