अहमदाबाद, सात फरवरी (भाषा) गुजरात सरकार ने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संबंध में दर्ज नौ मामलों को वापस लेने का फैसला किया है। राज्य के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने शुक्रवार को यह बात कही।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक हार्दिक पटेल ने दावा किया है कि इन अपराधों में उनके और अन्य आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के दो मामले भी शामिल हैं। पटेल उस समय आरक्षण आंदोलन का चेहरा थे और उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।
पत्रकारों से बात करते हुए संघवी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े नौ मामलों को वापस लेने का फैसला किया है। इन मामलों की जांच पूरी हो चुकी है और आरोपपत्र भी दाखिल कर दिए गए हैं।’’
पच्चीस अगस्त, 2015 को अहमदाबाद में पटेल समुदाय की बड़ी रैली के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद, शहर की अपराध शाखा ने हार्दिक पटेल और उनके तीन सहयोगियों को गिरफ्तार किया था और उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया था।
सूरत पुलिस ने हार्दिक पटेल के खिलाफ राजद्रोह का एक और मामला दर्ज किया था। भाजपा विधायक हार्दिक पटेल पाला बदलने से पहले कांग्रेस में थे। उन्होंने मामले वापस लेने के फैसले के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद दिया।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हुए और वीरमगाम सीट से निर्वाचित हुए हार्दिक पटेल ने कहा, ‘‘मैं भाजपा सरकार को मेरे और कई अन्य पाटीदार युवाओं के खिलाफ दर्ज राजद्रोह सहित मामलों को वापस लेने के लिए धन्यवाद देता हूं। इस फैसले से लगभग 30 से 35 युवाओं को फायदा होगा।’’
पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के पूर्व सदस्य दिनेश बांभणिया ने दावा किया कि इन नौ मामलों को वापस लेने के बाद करीब 50 मामले बचे रहेंगे।
भाषा अमित रंजन
रंजन
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.