महाकुंभ नगर (उप्र), सात फरवरी (भाषा) प्रयागराज महाकुंभ मेला क्षेत्र में सम्राट हर्षवर्धन की विशाल प्रतिमा लगाई जाएगी।
विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने बौद्ध महाकुंभ यात्रा के समापन अवसर पर बौद्ध भिक्षुओं के समक्ष यह बात कही।
इन्द्रेश कुमार ने कहा, ‘‘सम्राट हर्षवर्धन महादानवीर थे। वह प्रत्येक कुंभ में आकर अन्नदान एवं वस्त्रदान करते थे। सम्राट हर्षवर्धन हिंदू थे। विश्व को करुणा एवं मैत्री का संदेश देने के लिए उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया था। संपूर्ण समाज उनके प्रति श्रद्धा का भाव रखता है इसलिए प्रयागराज में उनकी भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी।’’
उल्लेखनीय है कि पिछले कुंभ (2019) में प्रयागराज संगम के नजदीक हर्षवर्धन चौराहे पर सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा लगाई गई थी, लेकिन उस स्थान पर नया ‘फ्लाईओवर बनने से प्रशासन ने वहां से प्रतिमा हटाकर सीएमपी डिग्री कॉलेज के सामने चौराहे पर स्थापित कर दी थी।
विहिप द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, पहली बार दुनिया के 11 देशों के बौद्ध भिक्षु, भंते एवं लामा बड़ी संख्या में प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचे और उन्होंने संगम में डुबकी लगाई।
बयान में कहा गया कि महाकुंभ में आये बौद्ध भिक्षु यहां की व्यवस्था, स्वागत और बौद्ध सनातन के दिव्य-भव्य आयोजन को देखकर अभिभूत दिखे।
निर्वासित तिब्बत सरकार की रक्षामंत्री गैरी डोलमा ने कहा, ‘‘प्रयागराज की पावन धरती पर हम सब एक साथ आये हैं। महाकुंभ में हम बौद्ध और सनातनी एक साथ आए हैं और कदम मिलाकर चल रहे हैं। यह बहुत अच्छा लगा।’’
म्यांमा से आये भदंत नाग वंशा ने कहा, ‘‘मैं पहली बार महाकुंभ में आया हूं। बौद्ध व सनातन में बहुत ही समानता है। हम लोग विश्व शांति के लिए काम करते हैं। हम भारत और यहां के लोगों को खुश देखना चाहते हैं।’’
लाओस से आये भंते वेन वत्थान दामोंग ने कहा, ‘‘हम एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे और दुनिया को अच्छाई का मार्ग दिखा सकेंगे।’’
भिक्षु आर्यवंश महाथेरो ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपसी भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा दिया है और इस आयोजन से दुनियाभर में सुख, शांति और समृद्धि का संदेश दुनिया में जायेगा।
बौद्ध भिक्षु देवानंद वर्धन ने कहा कि महाकुंभ में इस प्रकार का बौद्ध भिक्षुओं का समागम पहली बार हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के भदंत शील रतन ने कहा, ‘‘हम सब एक थे, एक हैं और एक रहेंगे। बुद्ध की विचारधारा ही सनातन है। भारत कभी विचलित नहीं होता, भारत फिर से अखंड होगा और जगद्गुरू बनेगा।’’
बौद्ध महाकुंभ यात्रा में भारत के अलावा, नेपाल, भूटान, म्यांमा, श्रीलंका, तिब्बत, जापान, कोरिया, कंबोडिया, लाओस एवं वियतनाम के बौद्ध भिक्षु शामिल हुए।
भाषा राजेंद्र सिम्मी
सिम्मी
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