नयी दिल्ली, छह फरवरी (भाषा) महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर मानते हैं कि साझेदारी हमेशा विश्वास से बढ़ती है और उन्होंने बृहस्पतिवार को यहां राष्ट्रपति भवन में बताया कि वह जानते थे कि किसी खिलाड़ी से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाने के लिए उसे किस तरह से नियंत्रित किया जाए।
उन्होंने बताया कि वह जानते थे कि वीरेंद्र सहवाग को आक्रामक तेवर दिखाने और रक्षात्मक होकर खेलने के लिए कैसे नियंत्रित किया जा सके और युवराज सिंह को कैसे प्रेरित किया जाए।
टेस्ट और वनडे में क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी तेंदुलकर बृहस्पतिवार को यहां ‘राष्ट्रपति भवन विमर्श श्रृंखला’ सम्मेलन में मौजूद थे जहां प्रतिष्ठित हस्तियां लोगों के साथ अपने जीवन की यात्रा को साझा करती हैं।
तेंदुलकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अतिथि थे जहां इस खिलाड़ी ने उन्हें अपने हस्ताक्षर वाली भारतीय टेस्ट जर्सी भेंट की। इस स्टार के साथ उनकी पत्नी अंजलि और बेटी सारा भी थीं।
उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे खेल सभी के साथ समान व्यवहार करता है।
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘आप अच्छी फॉर्म में हो सकते हैं लेकिन हो सकता है कि कोई और नहीं है तथा ऐसा हो सकता है कि कोई और अच्छी फॉर्म में है लेकिन आप नहीं हैं। एक टीम के रूप में आपको अच्छे और बुरे समय में एक-दूसरे का साथ देना चाहिए। आपको अपने साथी पर भरोसा करने की जरूरत है। ’’
उन्होंने दर्शकों को अपने खेलने के दिनों के किस्से सुनाए।
तेंदुलकर ने कहा कि हर टीम में अलग-अलग तरह के खिलाड़ी होते हैं और उनसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाने के लिए उन्हें समझना जरूरी है।
उन्होंने याद करते हुए कहा, ‘‘सहवाग की बात करें तो मैं उससे जो चाहता था, वह उसके विपरीत काम करता था। इसलिए मैं वीरू से कुछ ओवर तक रक्षात्मक खेल चाहता था तो मैं उससे कहता था कि ‘वीरू जाओ और गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाओ और बड़े छक्के लगाओ। तब वीरू कहता था ‘नहीं पाजी, मुझे लगता है कि मुझे चार ओवर तक रक्षात्मक खेल दिखाना चाहिए और फिर छक्के मारने की कोशिश करनी चाहिए। ’’
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘वीरू से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाने के लिए मुझे इसके विपरीत कहना पड़ता था। मैं मुस्कुराता था क्योंकि मुझे जो चाहिए वो मिल गया होता। ’’
इसी तरह उन्होंने याद किया कि 2011 विश्व कप की शुरुआत से पहले युवराज थोड़े कम ऊर्जावान लग रहे थे और लेकिन तब उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि इस टूर्नामेंट के बाद उन्हें कैंसर हो जाएगा।
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैंने युवी को रात्रिभोज पर बुलाया और उससे पूछा कि वह कम ऊर्जावान क्यों दिख रहा है। उसने कहा, पाजी मैं गेंद को सही से टाइम नहीं कर पा रहा हूं। मैंने उससे कहा कि बल्लेबाजी को भूलकर क्षेत्ररक्षण पर ध्यान दो। क्षेत्ररक्षण के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित करो। ’’
तेंदुलकर कई बार पुरस्कार लेने के लिए राष्ट्रपति भवन आ चुके हैं लेकिन यह पहली बार था जब वह राष्ट्रपति के अतिथि के रूप में आए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘माननीय राष्ट्रपति और मैंने भुवनेश्वर में विश्व कप हॉकी के बारे में बात की जिसे मैंने अपने मित्र दिलीप तिर्की के साथ बैठकर देखा था। हमने ओडिशा के खाने के बारे में बात की। जब मैं राष्ट्रपति भवन के गलियारों से गुजर रहा था तो मैंने दीवारों पर हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र देखे। यह देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। ’’
महानतम बल्लेबाजों में शुमार तेंदुलकर ने टेस्ट मैचों में 15,921 रन और वनडे में 18,426 रन बनाए।
तेंदुलकर को 2014 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उनके नाम सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय शतक (टेस्ट में 51 और वनडे में 49) लगाने का रिकॉर्ड भी है।
भाषा नमिता सुधीर
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