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Thursday, 6 February, 2025
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इंजीनियर रशीद की अभिरक्षा पैरोल के मुद्दे पर एनआईए से जवाब मांगा

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नयी दिल्ली, छह फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेल में बंद सांसद इंजीनियर रशीद को अभिरक्षा पैरोल पर संसद के मौजूदा सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति देने के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) का रुख जानना चाहा।

रशीद आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा, ‘‘इस बीच, वह न्यायिक हिरासत में संसद सत्र में शामिल हो सकते हैं। वह एक निर्वाचित सांसद हैं। उन्हें हिरासत में भेजने में क्या परेशानी है?’’

अदालत ने इस मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करने के लिए एनआईए के वकील को शुक्रवार तक का समय दिया।

एनआईए के वकील ने कहा कि मामला ‘‘इतना सरल नहीं है’’, क्योंकि सुरक्षा का भी मुद्दा है।

अदालत रशीद की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पिछले साल लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही एनआईए अदालत ने उन्हें इस आधार पर अधर में छोड़ दिया कि यह विशेष सांसद/विधायक (एमपी/एमएलए) अदालत नहीं है।

सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय प्रशासन की ओर से पेश वकील ने कहा कि स्पष्टीकरण के लिए शीर्ष अदालत में एक आवेदन दायर किया गया है और इसे शुक्रवार को सूचीबद्ध किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि शीर्ष अदालत की वेबसाइट के अनुसार, मामले की सुनवाई 10 या 11 फरवरी को होने की संभावना है।

इससे पहले, एनआईए ने संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए अंतरिम जमानत देने के अनुरोध वाली रशीद की याचिका का विरोध किया था और कहा था कि एक सांसद के तौर पर उन्हें ऐसा कोई ‘‘अधिकार’’ हासिल नहीं है।

अपनी याचिका में रशीद ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि या तो वह एनआईए अदालत को उनकी लंबित जमानत याचिका का जल्द निपटारा करने का निर्देश दे या फिर मामले पर खुद ही फैसला ले।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने जिला न्यायाधीश से मामले को सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने 24 दिसंबर 2024 को एनआईए मामले में लंबित जमानत अर्जी पर आदेश देने का रशीद का अनुरोध ठुकरा दिया था।

जिला न्यायाधीश के मामला वापस उनके पास भेजे जाने के बाद अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि वह केवल विविध आवेदन पर ही फैसला कर सकते हैं, जमानत याचिका पर नहीं।

भाषा सुरभि पारुल

पारुल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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