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Tuesday, 4 February, 2025
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अधिग्रहीत जमीनों के मालिकों को मुआवजा देने का फैसला पिछली तारीख से लागू होगाः उच्चतम न्यायालय

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नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक फैसले में कहा कि एनएचएआई अधिनियम के तहत जिन किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई थी, उन्हें मुआवजा एवं ब्याज देने की अनुमति देने वाला उसका 2019 का फैसला पूर्व-व्यापी प्रभाव से लागू होगा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की एक याचिका खारिज करते हुए यह फैसला दिया।

एनएचएआई ने अपनी याचिका में 19 सितंबर, 2019 के उच्चतम न्यायालय के फैसले को भविष्य में लागू करने की मांग की थी। प्राधिकरण ने उन मामलों को दोबारा खोलने पर रोक लगाने की मांग भी की थी जहां भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही पूरी हो चुकी थी और मुआवजे का अंतिम निर्धारण हो चुका था।

पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘‘हमें आवेदक की तरफ से रखी दलीलों में कोई दम नहीं दिखता है। हम 2019 के तरसेम सिंह मामले में ‘मुआवजा’ और ‘ब्याज’ की लाभकारी प्रकृति के बारे में स्थापित सिद्धांतों की पुष्टि करते हैं और विवेकपूर्ण विभेद के अभाव वाले अन्यायपूर्ण वर्गीकरण से बचने की जरूरत पर बल देते हैं। नतीजतन, हम वर्तमान आवेदन को खारिज करना उचित समझते हैं।’

पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, आवेदन में यह स्पष्टीकरण मांगा गया है कि तरसेम सिंह मामले में आए निर्णय को केवल भावी दृष्टि से लागू माना जाए। लेकिन हमारी राय में ऐसा स्पष्टीकरण देने से तरसेम सिंह निर्णय से दी जाने वाली राहत प्रभावी रूप से खत्म हो जाएगी। इस निर्णय को भावी रूप से लागू करने पर स्थिति वैसी ही हो जाएगी जैसी निर्णय के पहले थी।’’

पीठ ने उदाहरण देते हुए कहा कि 2019 के निर्णय को भावी रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो एक भूस्वामी की जमीन 31 दिसंबर, 2014 को अधिग्रहीत होने की स्थिति में वह मुआवजा और ब्याज के लाभ से वंचित हो जाएगा। वहीं एक दिन बाद एक जनवरी, 2015 को अगर किसी किसान की जमीन अधिग्रहीत हुई थी तो वह वैधानिक लाभ पाने का हकदार होगा।

पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि उसके 2019 के निर्णय का अंतिम परिणाम केवल उन पीड़ित भूमि स्वामियों को क्षतिपूर्ति और ब्याज देने तक सीमित था, जिनकी भूमि 1997 और 2015 के बीच एनएचएआई ने अधिग्रहीत की थी। इसने किसी भी तरह से उन मामलों को फिर से खोलने का निर्देश नहीं दिया था जो पहले ही अंतिम रूप ले चुके थे।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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