पुरी, चार फरवरी (भाषा) ओडिशा के पुरी जिले के कोणार्क में मंगलवार को माघ सप्तमी के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने चंद्रबागा समुद्र तट पर आस्था की डुबकी लगाई।
माघ सप्तमी को सूर्य देव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के माघ मास के सातवें दिन पड़ता है।
पवित्र स्नान के बाद श्रद्धालु त्रिमहादेव और कोणार्क के सूर्य मंदिर परिसर स्थित ‘नवग्रह’ की पूजा-अर्चना करते हैं।
इस वर्ष पवित्र स्नान तड़के 4.37 बजे शुरू हुआ। सबसे पहले साधु-संतों को स्नान का अवसर दिया गया। श्रद्धालु चंद्रभागा नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्नान करते हैं। अब नदी अस्तित्व में नहीं है, इसलिए संगम स्थल पर एक कृत्रिम जलाशय बनाया गया है, जहां श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
त्रिमहादेव का प्रतिनिधित्व माधिपुर गांव के त्रिवेणीश्वर, संतपुर गांव के तशनेश्वर और पुरी जिले के कुरुजांग गांव के दक्षिणेश्वर करते हैं। इन मूर्तियों को पालकियों में रखकर आधी रात को शोभायात्रा निकाली गई और फिर कोणार्क मंदिर में इनकी पूजा-अर्चना की गई।
श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है और पापों का नाश होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के पुत्र सांबा को कुष्ठ रोग था और उन्होंने चंद्रभागा नदी में स्नान कर कोणार्क के अरका क्षेत्र में 12 दिनों तक सूर्य देव की आराधना की, जिससे वह रोगमुक्त हो गए।
श्रद्धालु पौराणिक दानव अर्कासुर को पके हुए चावल, सूखी मछली (सुखुआ) और दालमा अर्पित करते हैं। कोणार्क क्षेत्र का नाम इसी दानव के नाम पर ‘अरका क्षेत्र’ पड़ा। मान्यता है कि सूर्य देव ने अर्कासुर का वध किया था।
पुरी जिला प्रशासन ने चंद्रभागा समुद्र तट पर उत्सव के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं। पुरी के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक खुद मौके पर उपस्थित रहकर व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, माघ सप्तमी के पवित्र स्नान के सफल आयोजन के लिए पुलिस की 33 प्लाटून (एक प्लाटून में 30 कर्मी होते हैं) तैनात की गई। उन्होंने बताया कि समुद्र तट पर किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए 20 लाइफगार्ड को वहां तैनात किया गया था और यातायात प्रबंधन के भी समुचित इंतजाम किए गए थे।
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राखी पारुल
पारुल
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