नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी ही नाटकीयता से धारा 370 हटाने का विधेयक राज्य सभा में पेश किया. इसकी तैयारी इतने गुपचुप तरीके से हुई की किसी को कानोकान खबर भी न लगी और कांग्रेस पार्टी के लिए ये न केवल अप्रत्याशित था बल्कि पार्टी में इस को लेकर विभाजित मत भी सामने आये हैं. ऐसा लगा मानो पार्टी तय ही नहीं कर पाई की उसका रुख क्या होना चाहिए.
कांग्रेस में धार-370 पर दो फाड़ तक खुलकर सामने आई जब कांग्रेस के पहले लाइन के नेताओं में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन किया. सिंधिया ने ट्वीट किया कि ‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश मे उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं.’
सिंधिया ने ट्वीट में यह भी लिखा, ‘संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता, साथ ही कोई प्रश्न भी खड़े नहीं होते. लेकिन ये फैसला राष्ट्र हित में लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं.’
#जम्मूकश्मीर और #लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश मे उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूँ। संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता, साथ ही कोई प्रश्न भी खड़े नही होते। लेकिन ये फैसला राष्ट्र हित मे लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूँ।
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) August 6, 2019
सोमवार को राज्य सभा में विधेयक के पेश होने के साथ ही कांग्रेस के राज्य सभा में मुख्य व्हीप भुवनेश्वर कलिता ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उनका कहना था, ‘कांग्रेस ने व्हीप जारी करने को कहा है जबकि सच्चाई यह है कि देश का मूड पूरी तरह से बदल गया है.’
‘जहां तक आर्टिकल 370 की बात है तो पंडित नेहरू ने खुद कहा था कि आर्टिकल 370 एक दिन घिसते-घिसते पूरी तरह घिस जायेगा. आज की कांग्रेस की विचारधारा से लग रहा है कि कांग्रेस आत्महत्या कर रही है और मैं इस कांग्रेस का हिस्सा नहीं बनना चाहता.’
Congress leader Bhubaneswar Kalita on his resignation from Rajya Sabha today: The resignation has been accepted. I will not analyse the reasons now, maybe tomorrow or day after, I will explain them to you. pic.twitter.com/inCCI9nOtP
— ANI (@ANI) August 5, 2019
कलिता से जो बात शुरू हुई वो दूर तक पहुंची. पार्टी के आधिकारिक स्टैंड से इतर कई नेताओं के बयान एक के बाद एक आने लगे. हरियाणा कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद दीपिंदर हुड्डा ने कहा, ‘मैने हमेशा कहा है कि आर्टिकल 370 हटाया जाना चाहिए. इसकी 21वी सदी में कोई जगह नहीं है.’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी, जो कि गांधी परिवार के खास माने जाते है, उन्होंने भी सरकार के आर्टिकल 370 हटाने के निर्णय का समर्थन किया. ये एक बहुत पुराना मामला है. स्वतंत्रता के बाद बहुत से स्वतंत्रता सेनानी धारा 370 को हटाने के पक्ष में थे.
#WATCH Janardan Dwivedi, Congress on #Article370revoked : My political guru Ram Manohar Lohia ji was always against this Article. A mistake of history has been corrected today, albeit late. I welcome this. pic.twitter.com/KqBsROImgS
— ANI (@ANI) August 5, 2019
पार्टी के पूर्व सांसद और मुम्बई कांग्रेस के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने भी असहमति जताई. वे राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद से हटने के बाद स्वयं भी अपने पद से हट गए थे. उनका कहना था ‘ये दुख की बात है कि आर्टिकल 370 को हटाने को उदार और रूढ़ीवादी के बीच बहस का हिस्सा बना दिया गया. पार्टियों को अपने विचारों को दरकिनार कर के देश के लिए जो सबसे अच्छा है उसकी चर्चा करनी चाहिए…’
Very unfortunate that Article 370 is being converted into a liberal vs conservative debate.
Parties should put aside ideological fixations & debate what’s best for India’s sovereignty & federalism, peace in J&K, jobs for Kashmiri youth & justice for Kashmiri Pandits.
— Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) August 5, 2019
कांग्रेस के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल मे भी ट्विटर पर अपना मतभेद व्यक्त किया पर साथ ही कहा कि इस धारा को हटाने के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा की राय़ ली जानी चाहिए थी. हालांकि निजी तौर पर वे धारा 370 को हटाने के पक्ष में है.
My Personal Point of View : I support abrogation of Art 370 (as opening words say it’s temporary) but Only & Only in accordance with provisions & methodology provided by the Constitution of India which mandates consent of J&K State Assembly -any other way is Unconstitutional
— Jaiveer Shergill (@JaiveerShergill) August 5, 2019
राजस्थान कांग्रेस के अशोक चांदना ने भी भाजपा सरकार के कदम की सरहाना की.
यह मेरी निजी राय है, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाना सरकार का पहला फैसला है जिसका मैं स्वागत करता हूँ।
लेकिन 370 बदलने का क्रियान्वरण तानाशाही से ना होकर शांति और विश्वास के माहौल में होकर इसका अच्छे से निस्तारण हो ताकि भविष्य में देश के किसी नागरिक को कोई समस्या ना होl— Ashok Chandna (@AshokChandnaINC) August 6, 2019
कांग्रेस की दिक्कत इस से भी बढ़ी की राहुल गांधी ने पूरे दिन इस पर कुछ भी नहीं कहा, जिससे पार्टी के काडर को उसके नज़रियें पर स्पष्टता नहीं मिली. हालांकि अब उनका एक ट्वीट आया है.
राहुल ने ट्वीट में लिखा है, ‘जम्मू-कश्मीर में कार्यकारी शक्तियों का दुरुपयोग हुआ है. सरकार ने सत्ता का गलत इस्तेमाल किया है. यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ है.’
National integration isn’t furthered by unilaterally tearing apart J&K, imprisoning elected representatives and violating our Constitution. This nation is made by its people, not plots of land.
This abuse of executive power has grave implications for our national security.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 6, 2019
कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर को मुख्यधारा में एकीकृत करने में मदद करेगा. यह एक ऐतिहासिक निर्णय है. इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. एक विधायक के रूप में अपनी क्षमता में मैं इस निर्णय का स्वागत करती हूं.
Aditi Singh, Congress MLA from Raebareli Sadar on #Article370revoked: I'm in absolute support of the decision taken. It will help in integrating J&K into the mainstream. It's a historic decision. It should not be politicised. As an MLA, in my capacity, I welcome this decision. pic.twitter.com/TZI5VQcrGH
— ANI UP (@ANINewsUP) August 6, 2019
वहीं सदन में बिल पेश किए जाने के साथ ही सदन में अगर किसी ने विपक्ष की तरफ से अहम भूमिका निभाई तो वो हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर से सांसद गुलाम नबी आज़ाद. आज़ाद ने न केवल सरकार को बार-बार सरकार को सदन में घेरने की कोशिश की बल्कि वेल में धरने पर भी बैठे. उन्होंने ज़ोरदार तरीके से राज्य़ सभा में पार्टा का मत रखा. उनका कहना था कि भाजपा ने ‘लोकतंत्र की हत्या की है ‘ वहीं, पी चिदंबरम ने इसे संवैधानिक कुरूपता की संज्ञा दी.
LoP RS Ghulam Nabi Azad speaks on the abrogation of article 370https://t.co/XLAZsmfQEs
— Congress (@INCIndia) August 5, 2019
कांग्रेस का बिखराव जो चुनावों के बाद शुरू हुआ था वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है और बिना अध्यक्ष की ये पार्टी जिस दिशाहीनता में दिख रही है वो संसद में भी नज़र आ रही है. बिखराव से जूझ रही कांग्रेस का फायदा मोदी सरकार को कमज़ोर विपक्ष के रूप में मिल रहा है.