नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) सीआरपीएफ के नवनियुक्त महानिदेशक (डीजी) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने तीन लाख से अधिक कर्मियों वाले इस बल के लिए अपनी प्राथमिकताएं बताई हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बल में यौन दुराचार और जवानों के लिए निर्धारित सेवाओं में भ्रष्टाचार के मामलों से “सख्ती” से निपटा जाएगा। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल के प्रमुख ने पिछले सप्ताह बल कमांडरों के साथ पहली बातचीत में यह भी स्पष्ट किया था कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) “राष्ट्र प्रथम” के दर्शन से निर्देशित होगा और उसके बाद संगठन और उसके कर्मचारियों के कल्याण को प्राथमिकता दी जाएगी।
असम-मेघालय कैडर के 1991 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सिंह ने 30 जनवरी को यहां सीआरपीएफ महानिदेशक (डीजी) का पदभार संभाला। इससे पहले वह असम के पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे।
नए महानिदेशक ने अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट करते हुए कहा कि अच्छे इंसान बनना, कनिष्ठ सहकर्मियों के प्रति दयालु होना तथा कार्मिकों और उनके परिवारों के लिए ‘उदार’ वातावरण सुनिश्चित करना ही आगे बढ़ने का रास्ता होना चाहिए।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने कहा कि बल में तनाव को कम करने पर उनका सबसे अधिक ध्यान रहेगा।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि महिला कर्मियों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार, सबसे कनिष्ठ सहकर्मियों के लिए संसाधनों में भ्रष्टाचार के मामलों से ‘सख्ती’ से निपटा जाएगा और ‘कड़ी’ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इन गतिविधियों के लिए कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति होगी।
डीजी ने वरिष्ठ अधिकारियों को मानव संसाधन के मामलों में ‘पारदर्शिता’ सुनिश्चित करने और कल्याणकारी योजनाओं के समय पर क्रियान्वयन का भी निर्देश दिया।
एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि उनका मानना है कि ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले कर्मियों, और पूर्व कर्मियों के परिवारों का हर समय ख्याल रखा जाना चाहिए।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित चर्चा के दौरान महानिदेशक ने इस बात पर जोर दिया कि बल एक ‘सामूहिक निर्णय’ की नीति अपनाएगा और बड़े निर्णय लेने से पहले कांस्टेबल रैंक के सबसे कनिष्ठ सहकर्मियों के विचार सुने जाएंगे।
सीआरपीएफ प्रमुख अब छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में बल के सबसे चुनौतीपूर्ण युद्ध क्षेत्र के आधिकारिक दौरे पर गए हैं। छत्तीसगढ़ में अर्धसैनिक बल मार्च 2026 की घोषित समय सीमा तक देश से वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) के खतरे को समाप्त करने के लिए काम कर रहा है। केंद्र सरकार ने यह समयसीमा तय की है।
भाषा नोमान प्रशांत
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