नई दिल्ली : जम्मू और कश्मीर से अलग लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की प्रक्रिया नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के अंतिम महीनों में कई चरणों में बना ली थी.
गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को अनुच्छेद 370 को खत्म करने की घोषणा की, जो जम्मू और कश्मीर को एक विशेष दर्जा प्रदान करता है, और एक नए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 के माध्यम से राज्य के विभाजन का प्रस्ताव दिया.
विधेयक में जम्मू और कश्मीर को एक विधानसभा क्षेत्र के रूप में नामित करने का प्रस्ताव है और लद्दाख को बिना विधानसभा के एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है.
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि हमने मोदी 2.0 सरकार के साथ ही आर्टिकल 370 को हटाने के फैसले को आकार देना शुरू कर दिया था. लेकिन लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग करने के लिए मोदी सरकार ने काम अपने पहले कार्यकाल में ही शुरू कर दिया था.
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एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि यह सब प्रमुख संशोधनों के माध्यम से लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद अधिनियम को मजबूत करके स्थानीय लद्दाख पहाड़ी विकास परिषद को अधिक स्वायत्तता प्रदान करने के साथ शुरू हुई.
सितंबर 2018 में, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद अधिनियम में संशोधन के लिए राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में राज्य प्रशासनिक परिषद ने लद्दाख पहाड़ी परिषद को अधिक स्वायत्तता और वित्तीय शक्ति दी थी. संशोधनों ने परिषद को टैक्स लगाने की शक्ति दी. इससे अब लद्दाख हिल डेवलपमेंट काउंसिल के खाते में जमा करने के लिए कुछ स्थानीय रूप से कर वसूले और एकत्र किए जा सकते हैं. जैसा कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार में नहीं होता था. संशोधनों से स्थानीय लोगों को भी परिषद में जगह मिली है.
इसके तुरंत बाद, इस साल फरवरी में, एक अलग लद्दाख डिवीजन बनाया गया जो एक डिवीजनल कमिश्नर और एक इंस्पेक्टर जनरल रैंक के पुलिस अधिकारी द्वारा चलाया जा रहा था. पहले सिर्फ दो डिवीजन थे. जबकि जम्मू 10 जिलों के साथ एक अलग डिवीजन था, लेह और कारगिल सहित 12 जिलों के साथ कश्मीर अलग.
ऊपर दिए गए आधिकारिक उद्धरण में कहा गया है, ‘एक अलग लद्दाख डिवीजन के निर्माण ने लद्दाख के लिए एक अलग प्रशासनिक व्यवस्था बनाने में मदद की, जिसे कश्मीर प्रशासन द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था.’
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तीसरा कदम यह सुनिश्चित करना था कि केंद्र के प्रायोजित कार्यक्रमों के लिए सभी केंद्रीय फंड सीधे लद्दाख पहुंचे.
एक दूसरे सरकार के अधिकारी ने कहा, ‘लद्दाख के स्थानीय लोगों की शिकायतें थी कि लद्दाख में परियोजनाओं को जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा प्राथमिकता नहीं दी गई थी और लिहाजा लद्दाख को विकास के लिए बहुत कम धनराशि दी गई. इसलिए यह तय किया गया कि लद्दाख में फंड सीधा पहुंचाया जाय.’ अधिकारी ने कहा, ‘लद्दाख में कई विकासात्मक परियोजनाएं, जैसे कि श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर ज़ोजिला टनल की शुरुआत और लद्दाख-श्रीनगर-लेह ट्रांसमिशन लाइन लद्दाख की आबादी के लिए केंद्रीय परियोजनाएं हैं. यह विचार लद्दाख की आबादी के लिए अधिक फंड, और योजनाएं सुनिश्चित करने के लिए था.
शाह के एक बयान में सोमवार को कहा गया कि लद्दाख क्षेत्र बड़ा है, लेकिन बहुत मुश्किल इलाके में यह बिखरा हुआ बसा है. ‘लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाए ताकि वे अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर सकें. केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख विधानसभा के बिना होगा.’
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