नई दिल्ली : सुरक्षा बलों को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में पूरी तरह से अलर्ट पर पर रहने के लिए कहा गया है. राज्य से आर्टिकल 370 हटाने और राज्य को बांटने के प्रस्ताव के मद्देजनर किसी भी संभावना को विफल करने के लिए सेना को स्टैंडबाय पर रखा गया है.
सुरक्षा एजेंसियो के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सेना को एलओसी पर भी हाई अलर्ट पर रखा गया है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि पथराव और हिंसा की घटनाएं हो सकती हैं. मुख्य क्षेत्र कश्मीर में सभी प्रकार के एहतियात बरती जा रही है.
विश्वस्त सूत्रों ने कहा कि राज्य में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की पर्याप्त संख्या है, फिर भी कुछ और सैनिकों बुलवाया जा रहा है. लेकिन इस बात का पूरा भरोसा है कि सीएपीएफ के साथ-साथ जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ पूरी तरह से स्थित को संभाल लेगी.
सूत्रों ने कहा कि इंटरनेट को बंद करना और राज्य के नेताओं को नजरबंद करना का मकसद यह था कि हिंसा हो तो वह हिंसा न फैलाए.
सुरक्षा बल और सुरक्षा एजेंसियां ने इस कदम का स्वागत किया
राज्य में कठोर कार्रवाई पर जोर दे रहे सुरक्षा एजेंसियों और सशस्त्र बलों ने फैसले का स्वागत किया है सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि शुरुआती दौर की कठिनाई के बाद राज्य में समग्र सुरक्षा परिदृश्य को भारी गति मिलेगी.
सूत्रों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली की तरह विधानसभा के साथ केंद्रशासित प्रदेश बन गया है. कानून और व्यवस्था मशीनरी दिल्ली की तरह गृह मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में आ जाएगी.
‘सुरक्षा नीति तय करने के अलावा स्थानांतरण और पोस्टिंग में स्थानीय राजनीतिक दलों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. जब कभी कोई राज्य सुरक्षा की समस्या से जूझ रहा हो तो ऐसे समय में इसकी बहुत जरूरत थी.’
सूत्रों ने कहा कि यह कदम कुछ ऐसा था जो लंबे समय से चर्चा में था, लेकिन कोई भी सरकार इस पर निर्णय लेने के लिए तैयार नहीं थी. एक अन्य सूत्र ने दिप्रिंट ने कहा ‘आज के कदम के साथ भारत कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक है.’