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Tuesday, 28 January, 2025
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राहुल-प्रियंका की रैली, दलबदलुओं को टिकट — क्यों कांग्रेस दिल्ली की इन 12 सीट पर लगा रही है बड़ा दांव

AAP के आने से पहले पार्टी ने दिल्ली में लगातार तीन चुनाव जीते थे, लेकिन पिछले दो चुनावों में 70-सदस्यीय विधानसभा में एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई थी.

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नई दिल्ली: मुस्लिम बहुल ओखला निर्वाचन क्षेत्र के व्यस्त कालिंदी कुंज बाज़ार में पिछले हफ्ते कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक समूह पैम्फलेट बांट रहा था: सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) शाहीन बाग में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध और 2020 के दिल्ली दंगों जैसे महत्वपूर्ण क्षणों के दौरान अल्पसंख्यकों के लिए खड़ी होने में विफल रही.

वह लोगों को बताते हैं कि जब AAP चुप थी, तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने समर्थन में बात की और एक बार फिर ऐसा करने के लिए तैयार हैं.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के करीब आने के साथ ही कांग्रेस ओखला सहित एक दर्जन प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है. इन मुख्य रूप से मुस्लिम और दलित बहुल सीटों के माध्यम से, पार्टी को उस शहर में अपनी राजनीतिक स्थिति को फिर से हासिल करने का एक मौका दिख रहा है, जिस पर उसने वर्षों तक शासन किया था.

कांग्रेस जिन अन्य 11 निर्वाचन क्षेत्रों पर नज़र रख रही है, उनमें नई दिल्ली, सीलमपुर, कालकाजी, बल्लीमारान, नांगलोई जाट, बादली, उत्तम नगर, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल और बाबरपुर शामिल हैं.

चित्रण : श्रुति नैथानी/दिप्रिंट
चित्रण : श्रुति नैथानी/दिप्रिंट

इनमें से सात सीटें — ओखला, सीलमपुर, बल्लीमारान, मुसतफाबाद, बाबरपुर, चांदनी चौक और मटिया महल — मुस्लिम बहुल इलाके हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित (नई दिल्ली), अलका लांबा (कालकाजी), देवेंद्र यादव (बादली) और मुकेश शर्मा (उत्तम नगर) चार सीटों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं.

नांगलोई जाट मजबूत जाट आबादी वाला निर्वाचन क्षेत्र है, कांग्रेस जाट वोटों पर भरोसा कर रही है, किसानों के विरोध प्रदर्शन और पहलवानों के आंदोलन के लिए अपने समर्थन का लाभ उठा रही है. पार्टी ने जाट नेता और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के सचिव रोहित चौधरी को इस सीट के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है.

इस बीच, ओखला में कांग्रेस के अभियान ने, इस बार दलित बहुल इलाके में, एक अलग नज़रिया अपनाया.

यहां पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि कैसे राहुल गांधी पहले नेता थे जिन्होंने ‘संविधान बचाओ’ का मुद्दा उठाया, जब उत्तर प्रदेश के कुछ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं ने दावा किया कि अगर पार्टी को लोकसभा चुनावों में 400 से अधिक सीटें मिलीं तो वह संविधान बदल देंगे. उन्होंने कहा कि राहुल की अपील पर उत्तर प्रदेश में दलितों ने ज्यादातर भाजपा के खिलाफ मतदान किया.

हालांकि, कांग्रेस दिल्ली में सत्ता में लौटने के लिए उत्सुक है, लेकिन पार्टी का अल्पकालिक लक्ष्य काफी सामरिक लगता है. जीतने से ज्यादा, पार्टी AAP के वोट शेयर को कम करके उसे कमज़ोर करना चाहती है और अपने भविष्य के पुनरुद्धार के लिए आधार तैयार करना चाहती है.

दिल्ली कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “हम जानते हैं कि हम दिल्ली में सरकार नहीं बना पाएंगे, लेकिन हम AAP को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने हमारी जगह पर कब्ज़ा किया है. एक बार वह हार गए, तो हमें अगले चुनाव तक भाजपा के साथ सीधी लड़ाई में जगह मिल जाएगी.”

नेता ने कहा, “हमारा ध्यान 2020 में अपने वोट प्रतिशत को 4.26 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 12 प्रतिशत करना है. मुझे लग रहा है कि इस बार इन चुनावों में हमें आधा दर्जन सीटें मिलेंगी. हमें उम्मीद है कि मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा और दलितों का एक वर्ग कांग्रेस की ओर जाएगा.”


यह भी पढ़ें: केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस के संदीप दीक्षित मतदाताओं को ‘शीला जी वाली दिल्ली’ याद दिलाने प्रचार के लिए उतरे


त्रिकोणीय मुकाबले वाली सीटों पर ज्यादा फोकस

कांग्रेस के लिए इससे ज्यादा दांव नहीं हो सकता.

AAP के आने से पहले पार्टी ने दिल्ली में लगातार तीन चुनाव जीते थे, लेकिन पिछले दो चुनावों में 70-सदस्यीय विधानसभा में एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई थी. 2013 से दिल्ली में सत्ता में रही AAP ने पिछले चुनाव में 62 सीटें जीती थीं.

पार्टी इन निर्वाचन क्षेत्रों में स्टार प्रचारकों की अधिक जनसभाएं आयोजित करके अपने प्रयासों को तेज़ कर रही है. चुनाव नज़दीक आने पर राहुल और प्रियंका गांधी के भी इन क्षेत्रों में प्रचार अभियान में शामिल होने की उम्मीद है.

दिल्ली कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा, “अब राहुलजी की तबीयत ठीक हो रही है. विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण में 26 जनवरी से वे और प्रियंकाजी दोनों जनसभाएं और रोड शो करेंगे.”

कई निर्वाचन क्षेत्रों में मुकाबला AAP, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय होता जा रहा है.

उदाहरण के लिए नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस को त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद है. यहां पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा है.

अपने डोर-टू-डोर अभियान के दौरान दीक्षित लोगों को अपनी मां के तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने के दौरान किए गए विकास कार्यों की याद दिला रहे हैं.

दीक्षित ने दिप्रिंट से कहा, “मैं दिल्ली विधानसभा चुनाव के समग्र परिणामों पर कोई दावा नहीं कर सकता, लेकिन केजरीवाल यह सीट ज़रूर हार रहे हैं. उन्होंने पिछले 11 सालों से सभी को बेवकूफ बनाया है, लेकिन अब लोग उनसे चिढ़ गए हैं.”

“संभव है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों मेरी सीट पर प्रचार करेंगे.”

हाई-प्रोफाइल कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र भी त्रिकोणीय मुकाबले के लिए तैयार है.

कांग्रेस ने अपनी महिला विंग की प्रमुख अलका लांबा को कालकाजी से दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ मैदान में उतारा है. भाजपा ने इस सीट से पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को उम्मीदवार बनाया है.

चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि प्रियंका गांधी बिधूड़ी की विवादित टिप्पणियों और आतिशी के प्रदर्शन पर टिप्पणी करने के लिए कालकाजी में रोड शो करेंगी.

बिधूड़ी ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो वह कालकाजी की सड़कों को प्रियंका गांधी के गालों की तरह चिकना बना देंगे. बाद में उन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी.

चांदनी चौक से पूर्व विधायक लांबा आतिशी और बिधूड़ी दोनों पर तीखे हमले कर रहे हैं, यहां तक ​​कि उन्होंने AAP उम्मीदवार को “कठपुतली” मुख्यमंत्री तक कह दिया.

कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी ने इन लक्षित सीटों के लिए अतिरिक्त धन आवंटित नहीं किया है, लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रैलियां होने पर उम्मीदवारों को अतिरिक्त बजटीय सहायता मिलती है.

अतिरिक्त वित्तीय सहायता के अलावा, कांग्रेस ने इन 12 सीटों पर प्रचार करने के लिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य पड़ोसी राज्यों के स्थानीय नेताओं को भी शामिल किया है.


यह भी पढ़ें: कांग्रेस अपने कैंपेन में CM शीला दीक्षित को शामिल करने में इतनी हिचकिचाहट क्यों दिखा रही है


मुस्लिम बहुल सीटों पर रोड शो और चौपाल

कांग्रेस लंबी पारी खेलने के लिए ओखला, मुस्तफाबाद, बल्लीमारान, सीलमपुर, चांदनी चौक, बाबरपुर और मटिया महल पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जहां मुस्लिम आबादी 25 से 50 प्रतिशत के बीच है. पिछले 10 सालों से AAP इन सभी सीटों पर काबिज़ है.

कांग्रेस ने इन निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार का जिम्मा अपने अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख इमरान प्रतापगढ़ी, सांसद इमरान मसूद, एआईसीसी दिल्ली प्रभारी काज़ी निजामुद्दीन और सलमान खुर्शीद जैसे नेताओं को दिया है.

दिल्ली कांग्रेस के पदाधिकारियों के अनुसार, प्रतापगढ़ी रोड शो कर रहे हैं और अन्य मुस्लिम नेताओं को छोटी बैठकें और चौपाल आयोजित करने की जिम्मेदारी दी गई है.

ओखला विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने 29-वर्षीय मौजूदा पार्षद अरीबा खान को मैदान में उतारा है, जो पूर्व कांग्रेस विधायक आसिफ खान की बेटी हैं. उनका मुकाबला आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान से है, जिन पर 2016 से 2021 के बीच दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान धांधली के आरोप हैं.

कांग्रेस अपने अभियान को स्थानीय मुद्दों और अमानतुल्लाह के खिलाफ दर्ज मामलों पर केंद्रित कर रही है.

दिप्रिंट से बात करते हुए आसिफ खान ने कहा, “यह हमारे लिए इस सीट को जीतने का सबसे अच्छा मौका है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में अमानतुल्लाह की छवि बहुत खराब हुई है.”

उन्होंने कहा, “उन्होंने अब तक कोई विकास कार्य भी नहीं किया है. जब भी कोई उनके पास किसी काम के लिए जाता है, तो वे बहाने बनाते हैं कि भाजपा काम नहीं करने दे रही है. इसलिए, आम जनता अब उनसे तंग आ चुकी है, यह इस सीट को जीतने का हमारा सबसे अच्छा मौका है.”

उन्होंने बताया कि ओखला में 50 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम वोट हैं और अगर कांग्रेस को अल्पसंख्यक वोटों का एक बड़ा हिस्सा और दलितों सहित हिंदू वोटों का एक वर्ग मिलता है, तो उसके पास यह सीट जीतने का मौका है.

उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस को वोट दे सकता है, क्योंकि सीएए विरोधी प्रदर्शनों और दिल्ली दंगों के दौरान केजरीवाल का रुख “अल्पसंख्यकों के पक्ष में” नहीं था.

इसी तरह, एक अन्य मुस्लिम बहुल सीट बल्लीमारान में कांग्रेस ने अपने पूर्व कैबिनेट मंत्री और पांच बार के विधायक हारून यूसुफ को AAP के मौजूदा विधायक इमरान हुसैन के खिलाफ मैदान में उतारा है.

कांग्रेस स्थानीय मुद्दों और यूसुफ के कार्यकाल के दौरान किए गए विकास कार्यों को उठाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

बल्लीमारान में दिल्ली कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, “हम लोगों को ‘शीला जी वाली दिल्ली’ की याद दिलाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जब हिंदू और मुसलमान दोनों के साथ समान व्यवहार किया जाता था. हम मुसलमानों को बता रहे हैं कि राज्य में AAP के कार्यकाल और केंद्र में भाजपा के कार्यकाल में उनके साथ कैसा दुर्व्यवहार किया जाता है.”

कांग्रेस सीलमपुर में अब्दुल रहमान और मटिया महल में असीम अहमद खान जैसे AAP के दलबदलुओं पर भरोसा करके सत्तारूढ़ पार्टी को कमज़ोर करने की उम्मीद कर रही है.

सीलमपुर में पार्टी ने AAP के पूर्व नेता अब्दुल रहमान को मैदान में उतारा है, जिन्होंने 2020 में पार्टी के टिकट पर सीट जीती थी. आम आदमी पार्टी ने पांच बार के पूर्व कांग्रेस विधायक मतीन अहमद के बेटे चौधरी जुबैर अहमद को उम्मीदवार बनाया है.

रहमान ने AAP पर “अल्पसंख्यक विरोधी” पार्टी होने का आरोप लगाया है.

मटिया महल में, जहां मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है, कांग्रेस ने AAP के पूर्व विधायक शोएब इकबाल के बेटे आले मोहम्मद इकबाल के खिलाफ AAP के एक और दलबदलू असीम अहमद खान को मैदान में उतारा है.

राहुल और प्रियंका दोनों के बल्लीमारान और सीलमपुर में प्रचार करने की संभावना है.

दिल्ली कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “AAP से अलग हुए लोगों को टिकट देना हमारी रणनीति का हिस्सा है. वह अल्पसंख्यक क्षेत्रों में जा रहे हैं और लोगों को बता रहे हैं कि AAP का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र अल्पसंख्यक विरोधी है. उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान कोई कड़ा रुख नहीं अपनाया.”

उन्होंने कहा, “वह AAP की भाजपा जैसी हिंदुत्व समर्थक छवि को भी उजागर कर रहे हैं. वह AAP को भाजपा की बी-टीम कह रहे हैं. इसका अल्पसंख्यकों पर असर पड़ सकता है. दूसरी ओर, हम संविधान की बुकलेट भी बांट रहे हैं और हमारे शीर्ष नेता दलितों पर अत्याचार के मुद्दे उठा रहे हैं, इसलिए हमें दलितों के वोट मिलने की भी उम्मीद है.”

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस के दृष्टिकोण का सीमित प्रभाव हो सकता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और सामाजिक विज्ञान संस्थान में सेंटर फॉर मल्टीलेवल फ़ेडरलिज़्म (सीएमएफ) के उपाध्यक्ष तनवीर ऐजाज़ ने दिप्रिंट से कहा, “ऐसा लगता है कि कांग्रेस इस बार दिल्ली में मुसलमानों और दलितों पर ज़्यादा ध्यान दे रही है, लेकिन AAP भी इससे अच्छी तरह वाकिफ है. वह उसी हिसाब से अपनी रणनीति बनाएंगे.”

उन्होंने कहा, “बीजेपी के अस्थिर मतदाता AAP को वोट दे सकते हैं क्योंकि वह बहुत सारी मुफ्त सुविधाएं देने की घोषणा कर रहे हैं. कांग्रेस कुछ सीटों पर AAP की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं. फिर भी, इस बार कई सीटों पर मुकाबला काफी नज़दीकी और त्रिकोणीय दिख रहा है. कुछ भी हो सकता है.”

दिल्ली में पांच फरवरी को मतदान होना है और चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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