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Thursday, 23 January, 2025
होमदेश'24 किमी पूरे': जम्मू के 'घुसपैठ संभावित क्षेत्र' में आतंकवादी सुरंगों पर BSF की कार्रवाई तेज़

’24 किमी पूरे’: जम्मू के ‘घुसपैठ संभावित क्षेत्र’ में आतंकवादी सुरंगों पर BSF की कार्रवाई तेज़

सुरंगों की पहचान एक "खामी" के रूप में की गई थी जिसका उपयोग आतंकवादी गुर्गों द्वारा भारत में घुसपैठ करने के लिए किया जा सकता था. बीएसएफ ऐसी सुरंगों का पता लगाने के लिए प्रायोगिक आधार पर स्कैनर भी तैनात कर रहा है.

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नई दिल्ली: सीमा पार घुसपैठ को रोकने के उपायों के तहत, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने जम्मू क्षेत्र के उन इलाकों में खाई खोदने का काम लगभग दो-तिहाई हिस्से में पूरा कर लिया है, जो सुरंगों के माध्यम से घुसपैठ के लिए संवेदनशील माने जाते हैं.

जम्मू, सांबा और कठुआ के बीच 31 किलोमीटर के संवेदनशील क्षेत्र में से लगभग 24 किलोमीटर की खाई खोदने का काम पूरा हो चुका है. सूत्रों के मुताबिक, इस इलाके में सुरंगों को आतंकियों के घुसपैठ के संभावित रास्ते के रूप में पहचाना गया है, खासकर पिछले साल हुए हमलों और टारगेट किलिंग की घटनाओं को देखते हुए.

दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था कि 2021 से पिछले साल जुलाई तक सुरक्षा बलों—जिसमें सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और जम्मू-कश्मीर पुलिस शामिल हैं—ने आतंकियों द्वारा किए गए घात लगाकर हमलों में 50 से अधिक जवान गंवाए. इन आतंकियों के हाल ही में भारत में प्रवेश करने का संदेह है.

बीएसएफ के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले इन सुरंगों को नष्ट करने का काम शुरू हुआ था, और इसे अगले कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा.”

पिछले महीने, बीएसएफ ने ओडिशा के वामपंथी उग्रवाद (एलडब्लूई) थिएटर से अपनी दो कंपनियों—लगभग 200 सैनिकों को जम्मू भेजा। जम्मू, पाकिस्तान के साथ 192 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है. इस सीमा की निगरानी बीएसएफ करती है, जबकि कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के बड़े हिस्से का संचालन सेना के अधीन है.

सुरंगों को उन “कमियों” में से एक के रूप में पहचाना गया है, जिनका उपयोग आतंकवादी कर सकते हैं, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को अब तक घुसपैठ के रास्ते पर कोई “ठोस” सुराग नहीं मिला है.

सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक अधिकारी ने कहा, “हाल के दिनों में आतंकियों का तरीका बदल गया है. मोबाइल फोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे हम उन्हें ट्रैक कर सकते थे, लेकिन अब वे सैटेलाइट पर चलने वाले एन्क्रिप्टेड ऐप का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उनकी लोकेशन ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो गया है.” 

हालांकि, अधिकारियों ने विश्वास जताया कि आतंकियों के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ में हाल के दिनों में बढ़ोतरी हुई है, जो उन्हें ट्रैक और निष्प्रभावी करने की प्रणाली में सुधार का संकेत देता है. एक अन्य अधिकारी ने कहा, “बलों की इन आतंकियों के साथ मुठभेड़ इस बात की पुष्टि करती है कि उन्हें पहचाना और ट्रैक किया जा रहा है. वे सभी हमारी नजरों से ओझल नहीं हुए हैं.”

सुरंगों के जरिए घुसपैठ का पता लगाने और उसे रोकने के लिए बीएसएफ ने परीक्षण के तौर पर स्कैनर लगाए हैं. ये स्कैनर जमीन से 10 फीट गहरी तक खुदी हुई सुरंगों का पता लगा सकते हैं। एक तीसरे अधिकारी ने बताया, “विभिन्न प्रकार के स्कैनर की प्रभावशीलता को परखने के लिए उपयोग किया जा रहा है. कुछ स्कैनर सतह के नीचे कंपन का पता लगाकर नई या चल रही खुदाई का पता लगाते हैं, जबकि कुछ स्कैनर मिट्टी के कणों की बनावट और उसमें मौजूद असामान्यताओं को स्कैन करते हैं.”

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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