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Friday, 22 November, 2024
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अयोध्या विवाद पर मध्यस्थता समिति फेल, अब 6 अगस्त से रोजाना होगी मामले की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की कोशिश फेल होने के बाद अब मामले में सुनवाई के लिए आगे की रूपरेखा बनाई है.

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नई दिल्ली : अयोध्या विवाद मामले में नया मोड़ सामने आया है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या विवाद पर नियुक्त मध्यस्थता समिति मंदिर-मस्जिद विवाद को हल कर पाने में विफल साबित हुई है. इस समिति में जाने-माने लोग शामिल हैं, जिन्हें सहमति बनाने के लिए जाना जाता है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 18 जुलाई को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति से इस मामले की मध्यस्थता प्रक्रिया के निष्कर्ष के बारे में 1 अगस्त को अदालत को सूचित करने को कहा था. इस तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की अगुवाई शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एफएम कलीफुल्ला कर रहे हैं.

रपट में दावा किया गया है कि मध्यस्थता ठोस नतीजे पर पहुंचने में विफल रही है.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मध्यस्थता पैनल कोई अंतिम समाधान तक नहीं पहुंच सका है. उन्होंने कहा कि 6 अगस्त से मामले की रोजाना सुनवाई की जाएगी.

बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मेरा नरेंद्र मोदी को सुझाव है कि जितनी भी गलत सुझाव की याचिकाएं हैं उसे वह वापस ले. चूंकि सरकार को वीएचपी को रामजन्मभूमि देने की अनुमति की आवश्यकता नहीं है. जब एससी फैसला करता है तो मुआवजा देता है.

एक जानकार सूत्र ने कहा, ‘इस मामले के विभिन्न पक्ष कभी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हुए. वास्तव में मध्यस्थता उन पर थोपी गई थी. कई प्रस्ताव रखे गए, लेकिन किसी भी एक प्रस्ताव को पक्षों ने स्वीकार नहीं किया, जिससे कि सर्वसम्मति बन पाती.’

मध्यस्थता के घटनाक्रम से परिचित एक सूत्र ने कहा, ‘मध्यस्थता को आगे बढ़ाने के प्रयास भी विफल रहे. वास्तव में हर तरह से प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली.’ समिति के दो अन्य सदस्यों में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर व वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं. ये विवादित मुद्दों पर सर्वसम्मति बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं.

सूत्र ने कहा, ‘चूंकि मध्यस्थता विफल रही है, लिहाजा अदालत को मामले पर फैसला करना चाहिए. कई संयुक्त बैठकें आयोजित हुईं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.’

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कुल 14 अपील दाखिल की गई हैं.

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