(गौरव सैनी और सागर कुलकर्णी)
(फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की प्रमुख सेलेस्टे साउलो ने चेतावनी दी है कि सरकारें और निजी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं, जिसका भविष्य की पीढ़ियों पर अपरिवर्तनीय परिणाम होगा। हालांकि, उन्होंने यह कहने से परहेज किया कि पृथ्वी उस बिंदु पर पहुंच गई है जहां से वापसी संभव नहीं है।
वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभाव से बचने के लिए दीर्घकालिक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर के 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का आह्वान किया गया था। डब्ल्यूएमओ ने पिछले सप्ताह कहा था कि 2024 में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार हो गई, जिससे बीता साल सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया।
साउलो से पूछा गया कि क्या दुनिया भर की सरकारें और निजी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए पर्याप्त काम कर रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से नहीं।’’
भारत यात्रा के दौरान ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘‘हमें अर्थव्यवस्था पर अपना दृष्टिकोण बदलने और स्थिरता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।’’
साउलो ने कहा कि कुछ बड़े खिलाड़ी जलवायु पर विचार किए बिना निर्णय ले रहे हैं, जो अंततः अधिक महंगा होगा।
हालांकि, पेरिस समझौते में जलवायु परिवर्तन का हवाला देते हुए 20-31 साल की अवधि में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को स्थायी रूप से पार करने की बात कही गई है, लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि दुनिया पहले ही ऐसे चरण में प्रवेश कर चुकी है जहां तापमान लगातार इस सीमा से अधिक रहेगा।
डब्ल्यूएमओ की अध्यक्षता करने वाली पहली महिला और दक्षिण अमेरिकी साउलो ने कहा, ‘‘अल्पकालिक सोच एक बड़ी बाधा है। कुछ देश अपने लक्ष्यों तक पहुंच रहे हैं, यह पर्याप्त नहीं है। यही संदेश है। निजी क्षेत्र चुनौती के प्रति जागरूक नहीं है। वे अक्सर अल्पकालिक दृष्टिकोण अपनाते हैं।’’
साउलो ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने में निवेश किए गए प्रत्येक डॉलर से दस गुना रिटर्न मिलता है।
साउलो ने कहा, ‘‘पिछला दशक रिकॉर्ड सबसे गर्म वर्ष था। पूरे दशक में धरती ने नए रिकॉर्ड देखे और 2024 में रिकॉर्ड बना है, लेकिन ऐसा रिकॉर्ड जिसे कोई भी देखना पसंद नहीं करेगा।’’
उन्होंने कहा कि इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि मौसम की चरम घटनाएं बढ़ रही हैं और तीव्रता एवं आवृत्ति में ये और अधिक गंभीर होती जा रही हैं।
साउलो से जब पूछा गया कि क्या जलवायु परिवर्तन के मामले में दुनिया एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गई है जहां से वापसी नहीं हो सकती, तो उन्होंने कहा, ‘‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह कहना कठिन है। लेकिन महासागरों के गर्म होने के परिणाम सदियों तक बने रहेंगे। क्या यह एक वापसी बिंदु है? तकनीकी रूप से नहीं। लेकिन आपके और आने वाली पीढ़ियों के लिए यह है।’’
साउलो ने कहा, ‘‘यह केवल तापमान के बारे में नहीं है। अक्सर, हम पूरी तरह से समझ नहीं पाते हैं कि इसका क्या मतलब है।’’
उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र को बहुत नुकसान पहुंचेगा क्योंकि उनका नाजुक संतुलन बिगड़ जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘समुद्री ‘कोरल रीफ’ मछली की कई प्रजातियों और पर्यटन उद्योग का समर्थन करते हैं। मछलियां ‘कोरल रीफ’ पर निर्भर हैं, मनुष्य मत्स्य पालन पर निर्भर हैं और कई देश अपने अस्तित्व के लिए इन मछलियों पर निर्भर हैं, यह एक श्रृंखला है।’’
साउलो ने कहा कि समुद्र का स्तर बढ़ना कुछ देशों के ‘‘अस्तित्व’’ के लिए एक खतरा है।
संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मौसम विज्ञानी ने कहा कि वह जलवायु परिवर्तन के लिए आम लोगों को दोष नहीं देंगी, लेकिन उन्हें भी इस मुद्दे के समाधान में शामिल होने की आवश्यकता है।
साउलो ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक मुद्दा है और हम सभी की जिम्मेदारी है। जो कुछ हुआ है उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हो सकते हैं, लेकिन हम पर कार्रवाई की जिम्मेदारी है। जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में सभी की भूमिका है।’’
भाषा सुरभि मनीषा
मनीषा
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