रांची, 16 जनवरी (भाषा) झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को स्थानीय नगर निकाय चुनाव चार महीने के भीतर कराने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति आनंद सेन ने पूर्व वार्ड पार्षद रोशनी खलको की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में मुख्य सचिव अलका तिवारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था और वह बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान अदालत कक्ष में मौजूद थीं।
उच्च न्यायालय को सूचित किया गया कि सरकार ‘ट्रिपल टेस्ट’ पद्धति का पालन करके चुनाव कराने का इरादा रखती है।
अदालत ने सरकार के रुख पर नाराजगी जताई और कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय ने कहा है कि चुनाव के लिए ‘ट्रिपल टेस्ट’ पद्धति के पालन की जरूरत नहीं है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार ‘ट्रिपल टेस्ट’ पद्धति का पालन करने की आड़ में चुनाव में देरी नहीं कर सकती।
विपक्षी दल निकाय चुनाव कराने से पहले ‘ट्रिपल टेस्ट’ पद्धति लागू करने की मांग कर रहे थे।
‘ट्रिपल टेस्ट’ पद्धति में स्थानीय निकायों के संबंध में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ का आकलन करने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन करना शामिल है।
दूसरी शर्त उक्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार आरक्षण के उस आवश्यक अनुपात को निर्दिष्ट करना है, जिसका प्रावधान स्थानीय निकायों में किए जाने की जरूरत है। तीसरी कसौटी यह है कि आरक्षण अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के पक्ष में कुल मिलाकर आरक्षित सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
झारखंड में स्थानीय नगर निकाय चुनाव अप्रैल 2023 से लंबित हैं।
न्यायमूर्ति सेन ने जनवरी 2024 में राज्य सरकार को तीन हफ्ते में चुनाव कराने का निर्देश दिया था। हालांकि, सरकार समय सीमा पर अमल करने में नाकाम रही, जिसके बाद खलको ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की।
भाषा पारुल धीरज
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