नई दिल्ली: यह निखिल गुप्ता की बिज़नेस ट्रिप के दौरान प्राग में परिवार की छुट्टियों का भी हिस्सा बनने वाली थी. सभी ने वीजा ले लिया था, लेकिन उनकी बेटी के अचानक किसी जरूरी काम की वजह से यह योजना आखिरी वक्त पर रद्द करनी पड़ी. कुछ दिनों तक परिवार को यह भी पता नहीं चला कि गुप्ता कहां हैं, जब तक कि कुछ दिन बाद उन्हें चेक गणराज्य से उनकी गिरफ्तारी की सूचना देने वाला फोन नहीं मिला.
30 जून 2023 को चेक गणराज्य में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को गिरफ्तार किया गया. उन पर अमेरिका के सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ कथित “मर्डर-फॉर-हायर” (सुपारी देकर हत्या) की साजिश में शामिल होने के लिए अमेरिकी न्याय विभाग ने आरोप लगाया है.
पन्नू, जो “सिख्स फॉर जस्टिस” नाम के भारत में प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन के प्रमुख हैं, अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता रखते हैं.
गुप्ता फिलहाल न्यूयॉर्क की जेल में हैं। उन्हें 14 जून 2024 को चेक गणराज्य से अमेरिका लाया गया. वहीं, सह-आरोपी और भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व अधिकारी विकास यादव भारत में जबरन वसूली और अपहरण के आरोपों का सामना कर रहे हैं. यादव, जिन्हें पहले अभियोग में सीसी1 (सह-आरोपी 1) के रूप में पहचाना गया था, को अब विस्तारित अभियोग में नामित किया गया है.
दिप्रिंट ने गुप्ता परिवार के एक करीबी सूत्र से बात की, जिसमें गुप्ता की स्थिति, उनका बचाव, विकास यादव के साथ उनकी कथित भूमिका और भारत में परिवार की स्थिति पर जानकारी दी गई.
सूत्र के अनुसार, गुप्ता हेंडक्राफ्ट का बिजनेस करते हैं और काम के सिलसिले में विदेश यात्राएं करते रहते हैं.
सूत्र ने कहा,”भारत सरकार की ओर से परिवार से अब तक किसी ने संपर्क नहीं किया है. उनके बच्चों ने अधिकारियों को कई ईमेल लिखे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.”
सूत्र ने बताया कि परिवार ने चेक गणराज्य में अपनी सारी जमा पूंजी खर्च कर दी, जहां गुप्ता को जेल में मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा, इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में उनकी रिहाई के लिए हस्तक्षेप और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए वकील नियुक्त करने पर भी पैसा खर्च किया गया.
एक गुमनाम रिश्तेदार द्वारा दायर याचिका में यह भी कहा गया था कि गुप्ता को चेक गणराज्य में अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को पिछले साल जनवरी में खारिज कर दिया.
“चेक की जेल में उनका वजन काफी घट गया था. वह वहां बहुत परेशान थे और भूखे रह रहे थे क्योंकि वह शाकाहारी हैं और उन्हें मांस, जिसमें बीफ भी शामिल था, परोसा गया. अब वह थोड़ा बेहतर दिखते हैं,” सूत्र ने बताया.
“परिवार ने लगभग दो साल से उन्हें नहीं देखा है. अमेरिकी वीज़ा लेना भी मुश्किल है. वे स्काइप पर उनसे बात करते हैं, लेकिन वह बहादुर पिता का चेहरा दिखाते हैं. वह मुस्कुराते हैं और कहते हैं कि वह ठीक हैं. उन्हें पता है कि उनकी पत्नी सुन रही है और उनकी बूढ़ी मां ज्यादा सहन नहीं कर सकती.”
“परिवार को यह भी नहीं पता कि जब मुकदमा शुरू होगा तो उनकी रक्षा कैसे की जाएगी. पिछले साल 30 अक्टूबर को नियुक्त नया वकील परिवार के संपर्क में है. हालांकि, एक बात स्पष्ट है कि गुप्ता अपने काम और यात्राओं के कारण बहुत लोगों से मिले थे, लेकिन विकाश यादव का नाम उनके परिवार को बिल्कुल भी परिचित नहीं लगता. गुप्ता किसी भारतीय एजेंट के साथ काम नहीं कर रहे थे और उनके खिलाफ गुजरात में भी कोई मामला नहीं था, जैसा कि अमेरिका ने दावा किया है,” सूत्र ने कहा.
गुप्ता ने अपने बचाव के लिए सरकारी वकील की मांग की थी. उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करते हुए खुद को निर्दोष बताया.
“उन्होंने अमेरिका में सरकारी वकील की मांग की क्योंकि उनका परिवार भारी कर्ज में है, लेकिन नया वकील आपराधिक मामलों में अनुभवहीन है. भारतीय सरकार ने अमेरिका में अब तक कोई काउंसलर सहायता नहीं ली है. चेक में उन्हें तीन बार काउंसलर की सहायता मिली थी,” सूत्र ने कहा.
दिप्रिंट ने गुप्ता के नए वकील को कई ईमेल भेजे हैं. जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
सूत्र ने बताया, “वह कभी शिकायत नहीं करते. जब वह अपने बच्चों से बात करते हैं तो बहादुर पिता होने का दिखावा करते हैं. वह ज्यादा बात नहीं कर सकते क्योंकि कॉल की निगरानी होती है, लेकिन सभी जानते हैं कि यह अकेला और डरावना है. कभी-कभी वह जेल लॉकडाउन के कारण हफ्तों तक उनसे बात नहीं कर पाते. यह जगह बहुत असुरक्षित है.”
“परिवार को अब भी उम्मीद है कि भारतीय सरकार का कोई व्यक्ति उनसे बात करेगा और उनके ईमेल का जवाब देगा. उन्हें उम्मीद है. यह कहना मुश्किल है कि परिवार किस तरह से खुद को संभाल रहा है, लेकिन वे अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं. वह निर्दोष हैं. यह सब कैसे हुआ, इसके बारे में वे पूरी तरह अनजान हैं.”
अगर गुप्ता को पन्नू के खिलाफ हत्या की साजिश और हत्या की साजिश के लिए दोषी ठहराया गया, तो उन्हें प्रत्येक आरोप के लिए अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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