राजस्व गुप्तचर निदेशालय यानी डीआरआई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में सोने की तस्करी बढ़ती जा रही है. आंकड़े जो बता रहे हैं उनसे एक बड़ी तस्वीर सामने आ रही है कि सोने की स्मगलिंग एक बार फिर अपने चरम पर है. डीआरआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में कुल 974 करोड़ रुपए का सोना पकड़ा गया. इसी साल जुलाई 2 से 25 के बीच में लगभग 25 टन तस्करी का सोना डीआरआई ने जब्त किया. इसके अलावा कस्टम विभाग ने भी तकरीबन इतने की जब्ती की है. डीआरआई का यह भी मानना है कि जब्त सोना कुल तस्करी का 5 से 10 प्रतिशत ही है. इसका मतलब हुआ कि देश में कम से कम 10 हजार करोड़ रुपए का सोना तस्करी से आया.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का अंदाजा है कि 2017 में लगभग 200 टन सोना तस्करी से आया. लेकन अब सोने पर टैक्स और बढ़ गया है जिससे तस्करों की इसमें रुचि बढ़ गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट में इस बहुमूल्य धातु पर 2.5 प्रतिशत टैक्स और लगा दिया. उम्मीद थी कि इस बार इसमें कटौती होगी लेकिन अब कुल टैक्स 12.5 प्रतिशत हो गया है. सोने और उसके आभूषणों पर 3 प्रतिशत का जीएसटी भी है. इसके अलावा सोने के व्यापारी और स्वर्णकार इस पर 2 प्रतिशत अलग से शुल्क लेते हैं जिसमें कार्टेज और अन्य चीजें शामिल होती हैं. यानी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से कुल फर्क 15.5 प्रतिशत का है. कीमतों में इतना ज्यादा अंतर सोने की तस्करी को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है. अपने पिछले बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक समग्र स्वर्ण नीति बनाने की योजना की घोषणा भी की थी लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. इसका असर इसके कारोबार पर पड़ा है.
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भारत सोने का कई वर्षों तक सबसे बड़ा खरीदार रहा है. फिलहाल यह सोने के आयात के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है. पिछले साल भारत ने कुल 760.4 टन सोने का आयात किया था. उसके पिछले साल 771.2 टन का. इसमें से कुल 598 टन सोने का इस्तेमाल आभूषण बनाने में हुआ. अब सोने पर टैक्स बढ़ जाने से इसके आयात में गिरावट तो आएगी ही, लेकिन तस्करी से अब कहीं ज्यादा सोना आएगा या यूं कहें कि आ रहा है. यही कारण है कि हर दिन देश न किसी कोने से तस्करी से लाए जा रहे सोने के पकड़े जाने की खबरें आती रहती हैं. समाचार पत्रों की रिपोर्ट के मुताबिक इस समय सोना तस्करी से जल, थल और आकाश मार्ग से भी आ रहा है. हवाई अड्डों पर सोने के पकड़े जाने की खबरें हर दूसरे-तीसरे दिन आ रही हैं. इसके अलावा भी सीमावर्ती इलाकों से सोने की बरामदगी की खबरें आती रहती हैं.
भारत में एक समय सोने की तस्करी का दौर चला था जिसने अंडरवर्ल्ड को जन्म दिया था. करीम लाला और हाजी कुली मस्तान के किस्से मुंबई के लोग आज भी याद करते हैं जब धाओ (नाव) में भरकर सोने की तस्करी खाड़ी देशों से होती थी. तत्कालीन वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने देश में सोने की खपत रोकने के लिए कड़ा कानून बनाया था जिसका नाम था गोल्ड कंट्रोल एक्ट. इसके अलावा सोने पर टैक्स भी था. इन परिस्थितियों में सोने की स्मगलिंग खूब बढ़ी और उस समय करोड़ों का सोना अवैध तरीके से भारत आने लगा. उस समय लंदन और भारत में सोने की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत का फर्क था जिसने सोने की तस्करी को खूब बढ़ावा दिया. बाद में 1990 में तत्कालीन वित्त मंत्री मधु दंडवते ने इस कानून को रद्द कर दिया और उसके साथ ही सोने की तस्करी घटती चली गई. इसके पीछे यह भी कारण था कि उस कानून को कोई मान भी नहीं रहा था और खुलआम उसकी अवहेलना हो रही थी.
आज हालात वैसे तो नहीं हैं लेकिन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी अंतर के कारण सोने की जमकर तस्करी हो रही है.
लेकिन आज के हालात में सोना न केवल खाड़ी के देशों और दुबई से तस्करी के जरिये आ रहा है बल्कि थाइलैंड, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार से भी आ रहा है. इसमें इतनी कमाई है कि पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठन हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी छोड़कर म्यांमार के रास्ते सोने की स्मगलिंग करने लगे हैं. वहां से बड़ी आसानी से तस्करी हो सकती है क्योंकि वह रास्ता जंगल का है और दुर्गम है. स्थानीय लोग भी उसमें रुचि ले रहे हैं जिससे यह बड़े पैमाने पर हो रहा है. 10 ग्राम सोने पर 5,000 रुपए तक का अंतर है जिससे यह अवैध धंधा आकर्षक बन गया है.
सोने की तस्करी रोकना सरकार की एजेंसियों के बस का नहीं. इस विशाल देश में जिसकी समुद्री सीमा ही 7516 किलोमीटर है. इसकी सुरक्षा करना टेढ़ी खीर है और समुद्र के रास्ते तस्करी हमेशा ही होती रही है और अब यह बढ़ी है. इस पर रोक लगा पाना भारतीय एजेंसियों के बस का नहीं. इसके लिए 24 घंटे की निगरानी के अलावा भी इंटेलिजेंस की जरूरत है. यह संभव नहीं है. जब एजेंसियां एक रास्ता बंद करती हैं तो स्मगलर दूसरा रास्ता खोल लेते हैं. इसमें आम आदमी को भी लालच देकर शामिल कर लिया जाता है.
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सोने की भारी तस्करी से इसके आभूषण उद्योग को धक्का पहुंच रहा है. द बुलियन ऐंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश सिंघल का मानना है कि सोने पर इतना बड़ा टैक्स लगाना किसी भी तरह से उचित नहीं है. इससे आभूषण बाज़ार में मंदी आई है और ग्राहक कतरा रहे हैं. इतना ही नहीं तस्करी से बड़े पैमाने पर सोना भी आ रहा है जिससे ईमानदार कारोबारियों के लिए कठिनाइयां आ रही हैं. उनके बनाए आभूषणों की लागत कहीं ज्यादा पड़ रही है और बिक्री भी घट गई है.
बहरहाल सोने पर भारी भरकम टैक्स किसी के हित में नहीं है. यह स्मगलिंग को बढ़ावा दे रहा है और महंगाई को भी. बढ़ती लागत के कारण इसकी बिक्री गिरती जा रही है और हजारों कारीगरों के सामने बेरोजगारी का खतरा पैदा हो गया है. रत्न एवं आभूषण निर्यात पर भी इसका असर पड़ना लाजिमी है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह उनके निजी विचार हैं.)