(कुंदन कुमार)
गंगटोक, 23 दिसंबर (भाषा) सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) को अप्रैल 2024 के विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दिलाने वाले मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग राज्य के निर्विवाद क्षत्रप के तौर पर उभरे। राज्य बीतने जा रहे वर्ष 2024 में प्राकृतिक आपदा का शिकार भी हुआ।
ईरान के प्राचीन साम्राज्यों में किसी प्रांत के प्रमुख को क्षत्रप कहा जाता था।
तमांग (56) ने एसकेएम को 32 विधानसभा सीटों में से 31 पर जीत दर्ज कराने में अहम भूमिका निभाई और वह इस प्रचंड जीत के नायक कहलाए। सत्तारूढ़ पार्टी ने विधानसभा को विपक्षविहीन बना दिया तथा सदन में पूर्ण बहुमत सुनिश्चित कर लिया। तीन माह पहले सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के एकमात्र विधायक तेनजिंग नोरबू लाम्था ने एसकेएम का दामन थाम लिया।
सिक्किम में शायद सर्वाधिक एकतरफा चुनावों में से एक रहे इन चुनाव में तमांग ने 58.38 प्रतिशत वोटों के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता बरकरार रखी। यह मत प्रतिशत 2019 के प्रदर्शन की तुलना में 11.21 प्रतिशत अधिक है। पार्टी ने पिछले चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में 14 सीट अधिक जीतीं। सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) को मात्र 27.37 प्रतिशत वोट मिले, जो पिछले चुनावों की तुलना में 20.26 प्रतिशत कम हैं।
परिणाम इतने अप्रत्याशित थे कि पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके पवन कुमार चामलिंग 40 वर्षों में पहली बार राज्य विधानसभा नहीं पहुंच सके।
चुनाव परिणाम स्वयं मुख्यमंत्री के लिए हैरान करने वाले थे क्योंकि उन्होंने 26 सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था और जीत उससे अधिक सीट पर मिली।
तमांग ने अपनी एक चुनावी रैली में कहा था, ‘‘ 26 सीट पक्की हैं। हमें शेष छह सीटों पर जीत हासिल करने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे, ताकि सिक्किम के लोगों की दूसरी बार सेवा करने के लिए हमें बड़ा जनादेश मिल सके।’’
एसकेएम प्रमुख ने पार्टी की भारी जीत का श्रेय कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत और उनकी सरकार में लोगों के विश्वास को दिया था।
चुनाव परिणामों की घोषणा के एक सप्ताह बाद दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते हुए तमांग ने लोगों से किए गए सभी वादों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने का प्रण लिया।
चुनावों के बाद पार्टी प्रमुख ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से भी नजदीकियां बढ़ाईं, हालांकि उनका दल औपचारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी का सहयोगी नहीं है।
तमांग को सभी राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों में भाजपा सरकारों के शपथ ग्रहण समारोहों में भी भाग लेते देखा गया है। इसलिए उन्हें नरेन्द्र मोदी नीत सरकार का करीबी भी माना जाता है।
राजनीति से इतर अगर बात करें तो सिक्किम इस वर्ष भी प्रकृति के प्रकोप का शिकार बना। मानसून की बारिश ने उत्तरी सिक्किम में भारी कहर बरपाया, जिससे सड़क और संचार अवसंरचना नष्ट हो गई। हालात इन कदर खराब हो गए कि जून में 2000 से अधिक फंसे हुए पर्यटकों को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों और अन्य परिवहन साधनों की मदद से निकालना पड़ा था।
इसके अलावा मानसून की बारिश से एनएच-10 के बड़े हिस्से के बह जाने से राज्य को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा, जिससे काफी समय तक वाणिज्यिक गतिविधियां ठप्प रहीं।
सिक्किम की इस चिरकालिक समस्या को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने राजमार्ग के रखरखाव का काम राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड को सौंप दिया।
भाषा शोभना मनीषा
मनीषा
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