नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कुलदीप सिंह सेंगर को चिकित्सा आधार पर दी गई अंतरिम जमानत शुक्रवार को एक महीने के लिए बढ़ा दी।
अदालत ने भाजपा से निष्कासित नेता सेंगर पर कुछ शर्तें भी लगाईं, जैसे कि उपचार के लिए एम्स जाने के अलावा अपने आवास से बाहर नहीं निकलना और दिल्ली नहीं छोड़ना।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और बलात्कार पीड़िता दोनों ने अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की याचिका का विरोध किया।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने कहा कि सेंगर 20 जनवरी को जेल अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण करेंगे। पीठ ने इससे पहले नेता को 20 दिसंबर तक अंतरिम जमानत दी थी।
पांच दिसंबर को, अदालत ने सेंगर की सजा को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था और एम्स में उनकी चिकित्सकीय जांच का निर्देश दिया था। सेंगर के मोतियाबिंद सहित विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होने का दावा किया गया था। उसके बाद उसके वकील ने उचित देखभाल और आवश्यक उपचार सुनिश्चित करने के लिए अंतरिम राहत को पांच महीने और बढ़ाने का अनुरोध किया।
पीठ ने 20 दिसंबर को पारित आदेश में निर्देश दिया, ‘‘अपीलकर्ता (सेंगर) की समग्र चिकित्सा स्थिति पर विचार करते हुए, इस अदालत की राय है कि जिस अवधि के लिए निलंबन की मांग की जा रही है वह लंबी है। हालांकि अपीलकर्ता को उसकी आंख की सर्जरी, अंडकोष के दर्द और शौच के दौरान होने वाले रक्तस्राव की समस्या से उबरने में मदद के लिए, एक महीने की अवधि के लिए अंतरिम जमानत बढ़ाने का निर्देश दिया जाता है। आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा।’’
अदालत ने आदेश दिया कि सेंगर के यहां स्थित आवास पर दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल द्वारा 24 घंटे पहरा दिया जाएगा, जो एक समय में दो से अधिक आगंतुकों को आने की अनुमति नहीं देगा।
अदालत ने कहा कि सेंगर कुछ शर्तों का पालन करेगा, जैसे कि उपचार के लिए एम्स जाने के अलावा अपने आवास से बाहर नहीं जाना और दिल्ली नहीं छोड़ना।
खंडपीठ ने इससे पहले सेंगर की चिकित्सा स्थिति की व्यापक समीक्षा के लिए उन्हें नयी दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराने का आदेश दिया था।
भाजपा के पूर्व नेता सेंगर उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की जेल की सजा काट रहा है और उसे एक अन्य पीठ ने 20 दिसंबर तक मामले में अंतरिम जमानत दी थी।
बलात्कार मामले में दिसंबर 2019 के एक निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उनकी अपील उच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने इसे रद्द करने का अनुरोध किया है।
नाबालिग लड़की का कथित तौर पर 2017 में सेंगर ने अपहरण करके उसके साथ बलात्कार किया था।
तेरह मार्च, 2020 को हिरासत में मौत के मामले में सेंगर को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। अदालत ने सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर और पांच अन्य को भी 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी।
बलात्कार पीड़िता के पिता को कथित तौर पर सेंगर के कहने पर हथियार कानून के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। पीड़िता के पिता की नौ अप्रैल, 2018 को हिरासत में मृत्यु हो गई।
बलात्कार मामले और अन्य संबंधित मामले एक अगस्त, 2019 को उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत से दिल्ली स्थानांतरित कर दिए गए थे।
भाषा अमित नरेश
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